घुसपैठियों के लव और लैंड जिहाद को रोकना जरूरी, RSS-ईसाई मिशनरी मिलाएं हाथ: निशिकांत दुबे…

भाजपा सांसद डॉ. निशिकांत दुबे झारखंड की गोड्डा लोकसभा सीट से एनडीए के प्रत्याशी हैं। इंटरव्यू में उन्होंने चुनाव को लेकर कई सारी बातें साझा कीं। उन्होंने कहा, ‘मैं अपने निर्वाचन…

घुसपैठियों के लव और लैंड जिहाद को रोकना जरूरी, RSS-ईसाई मिशनरी मिलाएं हाथ: निशिकांत दुबे…

भाजपा सांसद डॉ. निशिकांत दुबे झारखंड की गोड्डा लोकसभा सीट से एनडीए के प्रत्याशी हैं।

इंटरव्यू में उन्होंने चुनाव को लेकर कई सारी बातें साझा कीं। उन्होंने कहा, ‘मैं अपने निर्वाचन क्षेत्र में कम से कम 1 लाख लोगों को जानता हूं और उनके नाम भी पता हैं।

मैं उन्हें चेहरे से पहचान सकता हूं। मैं हमेशा कहता रहा हूं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी डिपार्टमेंटल स्टोर की तरह हैं, जबकि मैं किराने की छोटी सी दुकान की तरह हूं।

पीएम ने जो कुछ भी दिया, उसे मैंने रिटेलर की तरह अपने संसदीय क्षेत्र के लिए ले लिया।’ उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने हमें 1.5 लाख करोड़ रुपये की योजनाएं दीं, जिनमें से कई पूरी हो चुकी हैं और कुछ पाइपलाइन में हैं।

इंटरव्यू में निशिकांत दुबे ने कहा, ‘हमारा निर्वाचन क्षेत्र लंबे समय तक पिछड़ा रहा। मगर, पीएम मोदी लुक ईस्ट पॉलिसी लेकर आए। इसलिए मैंने यहां योजनाओं का लाभ पहुंचाने के लिए खुदरा विक्रेता के रूप में सभी जुगाड़ किए। एम्स और हवाई अड्डे का श्रेय पीएम मोदी और भाजपा को जाना चाहिए। यह भी ध्यान रहे कि गोड्डा भगवान शिव की भूमि है और पीएम भी उनके भक्त हैं।’

आदिवासियों की आबादी 11% कम हुई
पीएम मोदी की तरह मेरा भी यह मानना ​​है कि इलाके की जनसांख्यिकी बदली है। साल 1947 के बाद से झारखंड अकेला ऐसा राज्य है जहां 2008 में सर्वे किए जाने के बावजूद परिसीमन लागू नहीं किया जा सका।’

उन्होंने कहा कि आंकड़ों पर नजर डालें तो राज्य भर में आदिवासियों की आबादी 11% कम हुई है। संथाल परगना में ऐसा सबसे अधिक है। वहीं, बांग्लादेशी मुस्लिम आबादी में वृद्धि दर्ज कई गई है क्योंकि आलमगीर आलम (गिरफ्तार मंत्री) का परिवार उन्हें नागरिकता दे रहा है।

बीजेपी लीडर ने कहा, ‘मैं ये बातें जिम्मेदारी से कह रहा हूं। अब समय आ गया है कि आदिवासियों को बचाया जाए। इसके लिए बांग्लादेशी घुसपैठियों की ओर से लव और लैंड जिहाद ना हो।

इसके लिए हमने कहा है कि ईसाई मिशनरियों और आरएसएस दोनों को हाथ मिलाना चाहिए।

हम आदिवासी समुदाय के भीतर धर्मांतरण के मुद्दे से बाद में निपटेंगे, लेकिन मौजूदा समय आदिवासी संस्कृति को बचाने का है।

इमरजेंसी के दौरान RSS ने सीपीआई (एम) के साथ काम किया और सभी कांग्रेस विरोधी ताकतों को देश को तानाशाही से बचाने में मदद की।

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