केजरीवाल को राहत, हेमंत सोरेन की फंसी जमानत; जानें सुप्रीम कोर्ट से क्यों नहीं मिल पा रही बेल…
देश की सर्वाच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में लोकसभा चुनाव के दौरान प्रचार करने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल को…
देश की सर्वाच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में लोकसभा चुनाव के दौरान प्रचार करने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल को जमानत दी थी।
इसके बाद जेल में बंद झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की उम्मीदें भी बढ़ गई थी। हालांकि उन्हें अभी भी राहत का इंतजार है।
सोरेन को अपनी अंतरिम जमानत की याचिका पर फैसला सुनने के लिए कुछ और इंतजार करना होगा, क्योंकि शुक्रवार की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट में गर्मी की छुट्टी की घोषणा हो गई। सुनवाई को अवकाश पीठ में सुनवाई के लिए 21 मई तक के लिए स्थगित कर दी गई है।
दिल्ली के सीएम की गिरफ्तारी से काफी पहले ही सोरेन को ईडी ने गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन इस बीच अरविंद केजरीवाल को शीर्ष अदालत से अंतरिम जमानत मिल गई है और सोरेन की याचिका पर अभी सुनवाई नहीं हुई है।
भूमि घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों के संबंध में सात घंटे से अधिक समय तक पूछताछ के बाद हेमंत सोरेन को 31 जनवरी को गिरफ्तार किया गया था।
केजरीवाल को 21 मार्च को गिरफ्तार किया गया था। केजरीवाल और सोरेन दोनों ने अपनी गिरफ्तारी के खिलाफ सीधे सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और दोनों को अपने-अपने राज्यों के हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने के लिए कहा गया था।
दिल्ली हाईकोर्ट ने अरविंद केजरीवाल की याचिका पर जल्द ही फैसला करके सुप्रीम कोर्ट जाने का रास्ता खोल दिया। वहीं, झारखंड हाईकोर्ट ने हेमंत सोरेन की याचिका पर निर्णय लेने में देरी की।
झारखंड हाईकोर्ट ने 28 फरवरी को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। फैसले को दो महीने तक रोके रखा। इसके बाद हेमंत सोरेन को 24 अप्रैल को हाईकोर्ट में हो रही देरी के खिलाफ शिकायत करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा।
जैसे ही सुप्रीम कोर्ट ने हेमंत सोरेन की याचिका पर संज्ञान लिया, हाईकोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज करते हुए आदेश पारित किया।
इसके बाद उस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा कि हेमंत सोरेन की याचिका पर सुनवाई करना संभव नहीं है। 21 मई को अवकाश पीठ के समक्ष सुनवाई तय की गई।