कनाडा जाने को कुछ ही दिनों में मिल गया था बराड़ को स्टूडेंट वीजा; निज्जर मर्डर केस में नई रिपोर्ट…
ग्लोबल न्यूज की एक रिपोर्ट के अनुसार, खालिस्तानी अलगाववादी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के आरोप में गिरफ्तार भारतीय नागरिकों में से एक ने स्टूडेंट वीजा के आधार पर…
ग्लोबल न्यूज की एक रिपोर्ट के अनुसार, खालिस्तानी अलगाववादी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के आरोप में गिरफ्तार भारतीय नागरिकों में से एक ने स्टूडेंट वीजा के आधार पर कनाडा में प्रवेश किया था।
उन्होंने पंजाब के बठिंडा में एथिकवर्क्स इमिग्रेशन सर्विसेज के माध्यम से स्टूडेंट वीजा के लिए आवेदन किया था और कुछ ही दिनों में उन्हें यह प्राप्त हो गया। देखा जाए तो इसमें करीब 7-9 सप्ताह का समय लगता है।
एथिकवर्क्स इमिग्रेशन सर्विसेज ने अपने फेसबुक पेज पर बरार की एक तस्वीर के साथ एक वीडियो पोस्ट किया था, जिसमें वह कनाडाई स्टडी परमिट के साथ पासपोर्ट पकड़े हुए दिखाई दे रहे हैं।
हालांकि वीडियो को अब हटा दिया गया है। कैप्शन में लिखा था, “कनाडा स्टडी वीजा के लिए करण बराड़ को बधाई। कोटकपुरा से एक और खुश ग्राहक।”
ग्लोबल न्यूज की रिपोर्ट में कहा गया है कि बरार ने 30 अप्रैल 2020 को कैलगरी के बो वैली कॉलेज में पढ़ाई शुरू की।
वह 4 मई 2020 को एडमॉन्टन चले गए। कॉलेज के एक प्रवक्ता ने कहा कि बराड़ को आठ महीने के एक कोर्स में दाखिला दी गई थी।
हालांकि, प्रवक्ता ने इस बात की पुष्टि नहीं की है कि वह यह वही व्यक्ति है जिसे निज्जर की हत्या के लिए गिरफ्तार किया गया है। कॉलेज ने कहा कि उसका कभी भी एथिकवर्क्स इमिग्रेशन सर्विसेज नामक कंपनी से जुड़ाव नहीं था।
आपको बता दें कि तीन भारतीयों को 3 मई को अल्बर्टा के एडमोंटन में गिरफ्तार किया गया। उन पर निज्जर की हत्या का आरोप लगाया गया। बराड़ के अलावा अन्य दो की पहचान करणप्रीत सिंह और कमलप्रीत सिंह के रूप में की गई है।
कनाडाई पुलिस ने तीनों आरोपियों के भारत सरकार से जुड़े होने का कोई सबूत नहीं दिया है।
हरदीप निज्जर की 18 जून 2023 को सरे में एक गुरुद्वारे के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। कनाडाई पुलिस ने कहा कि जिस दिन निज्जर की हत्या हुई थी, उस दिन तीनों ने कथित तौर पर शूटर, ड्राइवर और जासूस के रूप में अलग-अलग भूमिकाएं निभाई थीं।
कनाडाई अधिकारी इस बात की भी जांच कर रहे हैं कि क्या उनके भारत सरकार से संबंध हैं।
पिछले साल कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने इस घटना के पीछे भारत सरकार के एजेंटों को दोषी ठहराया था। भारत सरकार ने दावे को बेतुका बताया है और इस घटना ने कनाडा के साथ राजनयिक गतिरोध पैदा कर दिया है।
भारत सरकार ने कनाडा से अपने 40 से अधिक राजनयिकों को देश से वापस बुलाने को कहा था। साथ ही नाडाई नागरिकों को वीजा जारी करना भी बंद कर दिया था। बाद में इसने चरणबद्ध तरीके से वीजा जारी करना फिर से शुरू कर दिया।