हिन्दुत्व के हितैषी और मुसलमानों पर अत्याचार; मोदी सरकार पर भड़का विदेशी मीडिया, केजरीवाल पर क्या बोला…
एक तरफ जब दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के लिए चुनाव होने वाले हैं। विदेशी मीडिया ने मोदी सरकार पर अपनी भड़ास निकाली है। पश्चिमी मीडिया ने अपने कवरेज में…
एक तरफ जब दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के लिए चुनाव होने वाले हैं।
विदेशी मीडिया ने मोदी सरकार पर अपनी भड़ास निकाली है। पश्चिमी मीडिया ने अपने कवरेज में सरकार की जमकर आलोचना की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर टिप्पणी करते हुए विदेशी मीडिया लिखता है कि मोदी शायद आजादी के सबसे महत्वपूर्ण भारतीय नेता हैं लेकिन, उनकी एक छवि हिन्दुस्व का हितैषी और भारतीय मुसलमानों के प्रति पक्षपातपूर्ण व्यवहार है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी का जिक्र करते हुए विदेशी मीडिया के अनुसार, मोदी विपक्ष के प्रति असहिष्णु हैं।
साथ ही दावा भी किया कि भारत में मीडिया की अभिव्यक्ति और स्वतंत्रता प्रभावित हुई है, इसमें बीबीसी के दफ्तरों पर पिछले साल हुई छापेमारी भी शामिल है।
भारत में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर पश्चिमी मीडिया की एकतरफा और पक्षपातपूर्ण कवरेज फिर सामने आई है। इसी साल जनवरी महीने में जब अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन हुआ था।
तब विदेशी मीडिया ने लिखा था- अप्रैल-मई में होने वाले आम चुनाव से पहले भारत के सबसे विवादास्पद धार्मिक स्थलों में से एक में मंदिर के उद्घाटन से नरेंद्र मोदी की राजनीति को बड़ी रफ़्तार मिलेगी।
अब लोकसभा चुनाव को लेकर भी विदेशी मीडिया की कवरेज लगातार जारी है।
सोमवार को प्रकाशित लेख में कहा गया- मोदी को आजादी के बाद शायद सबसे महत्वपूर्ण भारतीय नेता के रूप में पहचाने जाने की संभावना है।
उनकी लोकप्रियता के पीछे शानदार विकास, नई तकनीकों को बढ़ावा और कल्याण नीतियां हैं। मोदी ने एक ताकतवर व्यक्ति की छवि बनाई है लेकिन उनकी लोकप्रियता का एक दूसरा पक्ष भी है।
विदेशी मीडिया लिखता है कि “मोदी ‘हिंदुत्व’ अपनाते हैं, राष्ट्रवादी हिंदू धर्म की बात करते हैं लेकिन ऐसे कानून पारित करते हैं जो भारतीय मुसलमानों को नुकसान पहुंचाते हैं”।
केजरीवाल की गिरफ्तारी का भी जिक्र
विदेशी मीडिया ने अपने लेख में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी का भी जिक्र किया। कहा कि मोदी “विपक्ष के प्रति असहिष्णु” हैं।
यह भी दावा किया कि सरकार के प्रति नरम कवरेज के लिए भारतीय मीडिया पर भारी दबाव भी डाला गया , इसमें बीबीसी के दफ्तरों पर पिछले साल छापेमारी भी शामिल है।