‘मेक इन इंडिया’ को नई उड़ान देगा रूस, FM संग 7वीं बैठक में करार; फार्मा-परमाणु क्षेत्र में भी बड़ी डील…
विदेश मंत्री एस जयशंकर पांच दिनों की रूस की आधिकारिक यात्रा पर हैं। इस दौरान आज (बुधवार) उनकी रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मुलाकात हुई। दोनों नेताओं ने रक्षा…
विदेश मंत्री एस जयशंकर पांच दिनों की रूस की आधिकारिक यात्रा पर हैं।
इस दौरान आज (बुधवार) उनकी रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मुलाकात हुई। दोनों नेताओं ने रक्षा तकनीक समेत कई क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की।
रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने जयशंकर संग मीटिंग में भारत के ‘मेड इन इंडिया’ पहल के तहत सैन्य उत्पादों के उत्पादन में समर्थन और मदद देने की पेशकश की है।
चेन्नई-व्लादिवोस्तोक मार्ग की स्थापना
लावरोव ने कहा कि उन्होंने और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत और रूस के बीच सहयोग का विस्तार करने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिसमें सैन्य साजो-सामान का उत्पादन और उत्तर-दक्षिण अंतर्राष्ट्रीय परिवहन गलियारे की शुरूआत के साथ-साथ चेन्नई-व्लादिवोस्तोक मार्ग की स्थापना भी शामिल है।
जयशंकर के साथ बैठक के बाद एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए लावरोव ने कहा,”हमने आधुनिक हथियारों के संयुक्त उत्पादन सहित सैन्य और तकनीकी सहयोग की संभावनाओं पर भी चर्चा की है। इस क्षेत्र में हमारे पास विशिष्ट कदम भी हैं। हमारा सहयोग रणनीतिक प्रकृति का है, इसे मजबूत करना दोनों देशों के राष्ट्रीय हितों और यूरेशियन महाद्वीप में सुरक्षा के हितों के अनुरूप है।”
भारत के सैन्य उत्पादों की वैश्विक मांग
लावरोव ने ऐसे वक्त में मेक इन इंडिया प्रोग्राम में तकनीकी मदद की पेशकश की है, जब भारत के कई रक्षा उत्पादों की दुनियाभर के देशों में मांग बढ़ी है।
इन रक्षा उपकरणों में ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल से लेकर आकाश मिसाइल और तेजस विमान तक शामिल हैं। इनके पिनाका रॉकेट लॉन्चर और 155 मिमी एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन भी शामिल हैं।
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, रक्षा निर्यात में 23 गुना की वृद्धि दर्ज की गई है। रक्षा उपकरणों के भारतीय डिजाइन और विकास क्षमताएं अब 85 से अधिक देशों तक पहुंच रही हैं।
भारत-रूस के बीच संबंध बेहद मजबूत और स्थिर
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि भारत और रूस के बीच संबंध “बेहद मजबूत, बेहद स्थिर हैं।” उन्होंने रूसी समकक्ष के साथ विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग, अंतरराष्ट्रीय सामरिक स्थिति, युद्ध और तनाव पर चर्चा की। पांच दिन की यात्रा पर रूस आए जयशंकर ने शुरुआती बातचीत में कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन समय-समय पर एक दूसरे से बात करते रहे हैं।
उन्होंने कहा कि दोनों नेताओं को जी20, संघाई सहयोग संगठन, आसियान, और ब्रिक्स जैसे मंचों के जरिए कई बार और नियमित रूप से एक दूसरे से बात करने का मौका मिला है।
जयशंकर ने कहा, “हमारे संबंध बेहद मजबूत, बेहद स्थिर हैं। और मुझे लगता है कि हम एक विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी पर खरे उतरे हैं। इस साल हम पहले ही छह बार मिल चुके हैं और यह सातवीं बैठक है।”
वाइब्रेंट गुजरात सम्मेलन में भागीदारी की उम्मीद
जयशंकर ने कहा कि इस साल दोनों पक्ष सहयोग की अलग-अलग अभिव्यक्तियों के गवाह बने। उन्होंने कहा, “हम निरंतर प्रगति देखकर बहुत खुश हैं और हमें जनवरी में वाइब्रेंट गुजरात सम्मेलन में रूस की ओर से मजबूत भागीदारी की उम्मीद है।”
लावरोव ने कहा कि भारत और रूस के बीच संबंध बहुत लंबे समय से चले आ रहे हैं और बहुत अच्छे हैं, साथ ही यह देखना सुखद है कि वे वर्तमान समय में लगातार आगे बढ़ रहे हैं।
इससे एक दिन पहले मंगलवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रूस के उप प्रधानमंत्री डेनिस मंतुरोव के साथ तमिलनाडु में कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र की भविष्य की बिजली उत्पादन इकाइयों के निर्माण से संबंधित ”कुछ बहुत महत्वपूर्ण” समझौतों पर हस्ताक्षर किए।
इस बैठक के दौरान परमाणु ऊर्जा और औषधि, फार्मास्युटिकल पदार्थ और चिकित्सीय उपकरणों से जुड़े समझौतों पर भी हस्ताक्षर किए गए। ‘व्यापक और रचनात्मक’करार दिया।
रूसी सहयोग से बन रहा कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र
बता दें कि कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र रूस की तकनीकी सहायता से तमिलनाडु में बनाया जा रहा है। इसका निर्माण मार्च 2002 में शुरू हुआ था।
फरवरी 2016 के बाद से कुडनकुलन परमाणु ऊर्जा संयंत्र की पहली ऊर्जा इकाई लगातार काम कर रही है, इसकी डिजाइन क्षमता 1,000 मेगावाट की है। संयंत्र के 2027 में पूरी क्षमता के साथ काम शुरू करने की उम्मीद है। बैठक के दौरान जयशंकर ने रूस के साथ व्यापार, वित्त, कनेक्टिविटी, ऊर्जा, नागरिक उड्डयन और परमाणु क्षेत्रों में प्रगति का भी उल्लेख किया।
भारतीय समुदाय को दिए संबोधन में उन्होंने रक्षा, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष जैसे कुछ क्षेत्रों में रूस को ”विशेष भागीदार” बताया। उन्होंने कहा, ”रक्षा, अंतरिक्ष और परमाणु (ऊर्जा) के क्षेत्रों में उन देशों के साथ सहयोग किया जाता है, जिनके साथ आपका उच्च स्तर का भरोसा है।”
जयशंकर ने यह भी कहा कि दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए हैं कि भारत और यूरेशियन आर्थिक क्षेत्र के बीच मुक्त व्यापार समझौते पर व्यक्तिगत बातचीत शुरू करने के लिए उनकी वार्ता टीम जनवरी के अंत तक मिलेंगी।
उन्होंने कार्यक्रमों में सवालों पर कहा, ”आज, जब मैंने रूसी उप प्रधानमंत्री से मुलाकात की तो हम इस पर सहमत हुए कि अगले साल की शुरुआत में हमारे वार्ताकार दल मुलाकात करेंगे। इसलिए मुझे उम्मीद है कि जनवरी के अंत तक आमने-सामने बैठकर बातचीत शुरू करेंगे।”
रूस और भारत के बीच भुगतान की समस्या पर एक सवाल पर विदेश मंत्री ने कहा कि किसी असामान्य स्थिति में हम ऐसे तरीके तलाश कर रहे हैं जिससे बैंक एक-दूसरे के साथ लेनदेन कर सकें।