यह नया भारत है, अपनी रक्षा करना जानता है; विदेश मंत्री जयशंकर ने गिनाई उपलब्धि…
भारत के बारे में दुनिया की धारणा बदल चुकी है। अब भारत अपनी समस्याओं का समाधान ढूंढने में सक्षम है और दुनिया भी यह जानती है। यह कहना विदेश मंत्री…
भारत के बारे में दुनिया की धारणा बदल चुकी है।
अब भारत अपनी समस्याओं का समाधान ढूंढने में सक्षम है और दुनिया भी यह जानती है। यह कहना विदेश मंत्री एस जयशंकर का है।
उन्होंने कहा कि हमारी सरकार अपने नागरिकों के हितों, ऊर्जा विकल्पों और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खड़ा होना जानती है। जयशंकर ने कहा, “आज जब दुनिया भारत के बारे में सोचती है तो यह देखती है कि यह समाधान खोजने में सक्षम है। अपनी बात कहने में सक्षम है। उत्तरी सीमाओं पर सैनिकों की तैनाती कर अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खड़ा हुआ। मैं आपको बता नहीं सकता कि विदेश में इसका प्रतिनिधित्व करने पर मुझे कितना गर्व है।”
जयशंकर ने कहा कि भारत ने पिछले कुछ वर्षों में विश्व चेतना पर गहरी छाप छोड़ी है। उन्होंने कहा कि दुनिया ने देखा कि कैसे भारत ने कोविड-19 महामारी जैसी चुनौतियों से निपटा है और ‘वैक्सीन मैत्री’ के तहत दुनिया भर के 100 देशों को टीके और अन्य जीवन रक्षक दवाएं भेजी हैं।
भारत की वैश्विक पहुंच पर जयशंकर ने कहा, “इसमें कोई संदेह नहीं है कि पिछले कुछ वर्षों में हमने विश्व चेतना पर गहरी छाप छोड़ी है। दुनिया ने देखा है कि हम विदेशों में अपने नागरिकों की देखभाल कैसे करते हैं। ऑपरेशन गंगा, कावेरी, अजय आज संभव है। कोविड के दौरान ‘वंदे भारत’ मिशन चलाया। आज विदेशों में परियोजनाओं में हमारे व्यवसायों की उपलब्धियों देखने वाली है।”
विदेश मंत्री ने बढ़ती भारतीय अर्थव्यवस्था पर बात करते हुए कहा, “दुनिया आज देख सकती है कि जबरदस्त वैश्विक प्रतिकूलताओं के बावजूद यह एक ऐसी अर्थव्यवस्था है जो 8 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है। पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था एक दशक पहले भी 11वें स्थान पर था। उम्मीद है कि बहुत जल्द यह तीसरी अर्थव्यवस्था बना जाएगी।”
जयशंकर ने कहा कि दुनिया महामारी से बाहर आने के बाद भी यूक्रेन में संघर्ष, गाजा में संघर्ष और लाल सागर में समुद्री चिंताओं जैसी विभिन्न चुनौतियों का सामना कर रही है।
इससे पहले 7 मार्च को विदेश मंत्री ने कहा था कि भारत अपने पूर्व और पश्चिम दोनों ओर प्रमुख गलियारों पर काम कर रहा है। इसके पूरा हो जाने पर ये गलियारे एशिया के माध्यम से अटलांटिक को प्रशांत महासागर से जोड़ देंगे।
7 मार्च को टोक्यो में ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ओआरएफ) द्वारा आयोजित रायसीना गोलमेज सम्मेलन में बोलते हुए जयशंकर ने उन प्रमुख गलियारों के बारे में बात की थी जिन पर भारत वर्तमान में काम कर रहा है।