मसौदा नियम: माता-पिता की पहचान सत्यापित करने के लिए डाटा फिड्यूशियरी करेंगे जांच
सरकार ने डिजिटल व्यक्तिगत डाटा संरक्षण नियमों का बहुप्रतीक्षित मसौदा जारी कर दिया है। इसमें नियमों के उल्लंघन के लिए किसी दंडात्मक कार्रवाई का उल्लेख नहीं है। मसौदा नियमों को…
सरकार ने डिजिटल व्यक्तिगत डाटा संरक्षण नियमों का बहुप्रतीक्षित मसौदा जारी कर दिया है। इसमें नियमों के उल्लंघन के लिए किसी दंडात्मक कार्रवाई का उल्लेख नहीं है। मसौदा नियमों को सार्वजनिक परामर्श के लिए जारी किया गया है। 18 फरवरी के बाद अंतिम नियम बनाने के लिए मसौदे पर विचार किया जाएगा।
बच्चों के डाटा उपयोग करने के लिए लेनी होगी माता-पिता से मंजूरी
संसद द्वारा लगभग 14 महीने पहले डिजिटल डाटा संरक्षण विधेयक 2023 को मंजूरी दिए जाने के बाद मसौदा नियम जारी किए गए हैं। मसौदा नियम में किसी व्यक्ति से स्पष्ट सहमति प्राप्त करने के लिए एक तंत्र बनाया गया है। बच्चों के डाटा का किसी भी रूप में उपयोग करने के लिए माता-पिता की सहमति अनिवार्य होगी।
डिजिटल व्यक्तिगत डाटा संरक्षण (डीपीडीपी) अधिनियम 2023 में व्यक्तिगत डाटा एकत्र करने और उसका उपयोग करने वाली संस्थाओं को डाटा फिड्यूशियरी कहा गया है। मसौदा नियम में कहा गया है कि डाटा फिड्यूशियरी को यह सुनिश्चित करने के लिए उचित तकनीकी और संगठनात्मक उपाय अपनाने होंगे कि बच्चे के किसी भी व्यक्तिगत डाटा का उपयोग करने से पहले माता-पिता की सहमति प्राप्त कर ली जाए।
डाटा को लेकर मसौदे में ये भी
डाटा फिड्यूशियरी को यह जांचने के लिए उचित परिश्रम करना होगा कि खुद को बच्चे का माता-पिता बताने वाला व्यक्ति वयस्क है। भारत में लागू किसी भी कानून के अनुपालन के संबंध में जरूरत पड़ने पर उसकी पहचान की जा सकती है। डाटा फिड्यूशियरी को केवल उस समय तक डाटा रखने की अनुमति होगी, जिसके लिए सहमति प्रदान की गई है। उसके बाद इसे हटा देना होगा।