यूक्रेन ने रूस की गैस सप्लाई पर लगा दिया ब्रेक, जाने किसे होगा नुकसान?
रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच कीव ने गैस सप्लाई से जुड़े ट्रांजिट समझौते पर फिर से बातचीत करने से इनकार कर दिया है. जिससे 1 जनवरी 2025 से यूरोपीय देशों में…
रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच कीव ने गैस सप्लाई से जुड़े ट्रांजिट समझौते पर फिर से बातचीत करने से इनकार कर दिया है. जिससे 1 जनवरी 2025 से यूरोपीय देशों में यूक्रेन के जरिए होने वाली रूसी गैस की सप्लाई पूरी तरह से रोक दी गई है.
कीव के इस फैसले से एक ओर यूरोपीय यूनियन के ऊर्जा बाजार में रूस का प्रभुत्व समाप्त हो गया है, वहीं कई यूरोपीय देशों में ऊर्जा संकट पैदा होने की आशंका है, खास तौर पर ऑस्ट्रिया, स्लोवाकिया और मोल्दोवा में, जो अपनी बिजली आपूर्ति के लिए इस ट्रांजिट रूट पर ही निर्भर थे.
रूसी ऊर्जा दिग्गज गैज़प्रोम ने बुधवार को कहा कि, ‘यूक्रेन की सरकारी तेल और गैस कंपनी Naftogaz की ओर से 5 साल के ट्रांजिट समझौते को रिन्यू करने से इनकार करने के बाद स्थानीय समयानुसार सुबह 8 बजे यूरोप को गैस सप्लाई रोक दी गई थी.
वहीं यूक्रेन के ऊर्जा मंत्री जर्मन गलुशेंको ने एक बयान में कहा कि, ‘हमने यूक्रेन के रास्ते से रूसी गैस की सप्लाई को रोक दिया है, यह एक ऐतिहासिक घटना है. उन्होंने कहा कि रूस अपना बाजार खो रहा है, उसे भारी नुकसान उठाना पड़ेगा. यूरोप ने पहले ही रूसी गैस को छोड़ने का फैसला कर लिया है.
गैस सप्लाई रुकने से किसे ज्यादा नुकसान?
जेलेंस्की ने 2019 में यूरोपीय देशों को गैस सप्लाई के लिए रूस-यूक्रेन के बीच हुई ट्रांजिट डील को रिन्यू करने से इनकार कर दिया है, यूक्रेनी राष्ट्रपति का मानना है कि ऐसा कर वह रूस से राजस्व छीन सकते हैं जिसका इस्तेमाल मॉस्को उनके देश के खिलाफ युद्ध को फंडिंग करने के लिए कर सकता है. कीव के इस कदम से जहां यूरोपीय यूनियन के ऊर्जा बाजार पर रूस का वर्चस्व खत्म हो जाएगा, तो वहीं पूर्वी यूरोप में ऊर्जा संकट पैदा होने की आशंका है.
यूरोपीय देश जैसे- ऑस्ट्रिया, स्लोवाकिया और मोल्दोवा अपनी बिजली आपूर्ति के लिए इस ट्रांजिट रूट पर ही निर्भर थे. ऑस्ट्रिया को यूक्रेन के जरिए रूस से अपनी अधिकांश गैस प्राप्त हो रही थी, जबकि स्लोवाकिया को सालाना लगभग 3 BCM गैस इस रूट से मिल रही थी, जो इसकी मांग का लगभग दो-तिहाई है.
यूरोप को कितनी गैस निर्यात कर रहा था रूस?
फरवरी 2022 में यूक्रेन पर मास्को के आक्रमण के बाद कई यूरोपीय देशों ने रूसी गैस पर अपनी निर्भरता कम करना शुरू कर दिया. 2022 में यूक्रेन पर आक्रमण से पहले, रूस ने यूरोप के पाइपलाइन प्राकृतिक गैस निर्यात का करीब 35 फीसदी आपूर्ति की थी. लेकिन अब यह गिरकर करीब 8 फीसदी ही रह गया है.
1 दिसंबर तक यूरोपीय संघ को यूक्रेन के जरिए रूस से 14 बिलियन क्यूबिक मीटर (BCM) से भी कम गैस प्राप्त हुई, जो 2020 में अनुबंध शुरू होने के समय सालाना 65 BCM से कम थी.
यूक्रेनी मीडिया ने यूक्रेनी बताया गया है कि ट्रांजिट डील के जरिए यूक्रेन की तुलना में रूस ने काफी अधिक कमाई की है. माकोहोन ने अनुमान लगाया कि रूस सालाना 5 बिलियन डॉलर कमा रहा था. हालांकि ब्लूमबर्ग के मुताबिक, इस सौदे से रूस की कमाई और भी अधिक यानी सालाना करीब 6.5 बिलियन डॉलर रही होगी.
यूक्रेनी प्रमुख मुताबिक यूरोप को गैस सप्लाई के लिए इस ट्रांजिट डील से यूक्रेन को सालाना 800 मिलियन डॉलर मिल रहे थे, लेकिन इस पैसे का अधिकांश हिस्सा ट्रांजिट पर ही खर्च किया जाता है. उन्होंने अनुमान लगाया कि इसके जरिए यूक्रेन के राजस्व में महज़ 100-200 मिलियन डॉलर ही मिलते हैं.