‘नो डिटेंशन पॉलिसी’: यूपी में जारी, बिहार और दिल्ली में बदलाव का क्या असर?

पांचवीं और आठवीं में फेल न करने के शिक्षा के अधिकार कानून में बदलाव कर केंद्र ने भले ही इसे 2019 में ही अधिसूचित कर दिया था लेकिन अभी भी…

‘नो डिटेंशन पॉलिसी’: यूपी में जारी, बिहार और दिल्ली में बदलाव का क्या असर?

पांचवीं और आठवीं में फेल न करने के शिक्षा के अधिकार कानून में बदलाव कर केंद्र ने भले ही इसे 2019 में ही अधिसूचित कर दिया था लेकिन अभी भी देश के 16 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश इसे अपनाए हुए है। जहां छात्रों को पांचवीं और आठवीं अभी भी फेल नहीं किया जाता है। इनमें उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, गोवा, ओडिशा, तेलंगाना, केरल और अरुणाचल प्रदेश जैसे राज्य शामिल है।

शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर रखने के लिए ये कदम जरूरी: सरकार
हालांकि शिक्षा मंत्रालय ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के कुछ पहलुओं को शामिल करते हुए 2019 में अधिसूचित किए गए शिक्षा के अधिकार कानून में फेल न करने की नीति में बदलाव को फिर से अधिसूचित किया है। जिसमें शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर रखने के लिए पांचवीं और आठवीं में छात्रों की परीक्षा कराने और उन्हें फेल करने को कहा है।

शिक्षा मंत्रालय ने इस नई अधिसूचना में 11 जनवरी 2019 को शिक्षा के अधिकार कानून में बदलाव को लेकर जारी की गई अधिसूचना में तीन और नए बिंदु शामिल किए है। जिसमें पांचवीं और आठवीं कक्षा में फेल होने वाला छात्र यदि दोबारा परीक्षा में भी फेल हो जाता है, उनके लिए स्कूल एक विशेष प्रक्रिया तैयार करेंगे। जिसमें अभिभावकों की मदद भी ली जाएगी। साथ ही उनकी कमजोरी को पहचान कर संबंधित विषय पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

इसके साथ ही स्कूलों के प्रमुखों को यह जिम्मेदारी दी गई है, कि वह ऐसे बच्चों की सूची बनाए और उनकी विशेष रूप से वह व्यक्तिगत रूप से मॉनीटरिंग करें। तीसरी नया पहलू जो जोड़ा गया है, उनमें छात्रों को इन कक्षाओं में पास करने के लिए याद करने या स्किल की क्षमता को न अपनाते हुए सिर्फ समग्र परीक्षा का ही विकल्प अपनाने को कहा है।

गौरतलब है कि शिक्षा मंत्रालय ने पांचवीं और आठवीं में फेल न करने की नीति में यह बदलाव 2019 में तब किया था, जब इसका असर स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता पर पड़ रहा था। संसद से इस बदलाव को मंजूरी देने के बाद ही मंत्रालय ने इसे 11 जनवरी 2019 को अधिसूचित भी कर दिया था।

इस बदलाव को गुजरात, बिहार व दिल्ली सहित देश के 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने तुरंत अपना भी लिया और वे अपने यहां पांचवीं और आठवीं में छात्रों की परीक्षा लेकर उन्हें पास और फेल करने लगे थे। खास बात यह है कि इस बदलाव में मंत्रालय ने राज्यों को इस बदलाव को अपनाने या न अपनाने को लेकर स्वतंत्र किया था।

किन राज्यों ने फेल न करने की नीति बदली
असम, बिहार, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, झारखंड, मध्य प्रदेश, मेघालय, नगालैंड, पंजाब, राजस्थान, सिक्किम, तमिलनाडु, त्रिपुरा, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, दादर नगर हवेली। हरियाणा और पुडुचेरी ने जल्द ही फेल न करने की नीति को बदलने की दी है सहमति। यानि इन राज्यों में पांचवी और आठवीं की हो रही परीक्षा। पास करने के बाद ही अगली कक्षा में छात्र होंगे प्रमोट।

इन राज्यों में अभी भी फेल न करने की नीति लागू
आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, गोवा, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, मणिपुर, मिजोरम, ओडिशा, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, अंडमान निकोबार, चंड़ीगढ़, लद्दाख, लक्षद्वीप।