नगरीय निकाय-पंचायत चुनाव कराने की तैयारी में छत्‍तीसगढ़

रायपुर छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। इस बार चुनावी प्रक्रिया को लेकर कई महत्वपूर्ण घटनाक्रम सामने आ रहे हैं। आगामी 11…

नगरीय निकाय-पंचायत चुनाव कराने की तैयारी में छत्‍तीसगढ़

रायपुर

छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। इस बार चुनावी प्रक्रिया को लेकर कई महत्वपूर्ण घटनाक्रम सामने आ रहे हैं। आगामी 11 दिसंबर को नगरीय निकाय चुनाव के लिए अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित होगी।

चुनाव एक साथ कराने की योजना अगले वर्ष जनवरी या फरवरी में विधानसभा बजट सत्र से पहले की जा रही है। इसके बाद, दिसंबर में चुनावों की आधिकारिक घोषणा की जाएगी, और जैसे ही घोषणा होगी, आचार संहिता लागू हो जाएगी।

अलग-अलग तारीखों पर होगा चुनाव
अधिकारियों के मुताबिक, नगरीय निकाय और पंचायत चुनावों की तारीखें थोड़ी अलग-अलग होंगी, क्योंकि एक ही दिन दोनों चुनाव कराना संभव नहीं है। आगामी फरवरी में विधानसभा बजट सत्र से पहले दोनों चुनाव कराने की योजना है।

हालांकि, दोनों चुनावों की अधिसूचनाएं अलग-अलग जारी की जाएंगी। पंचायत चुनाव के नतीजे मतदान के दिन ही घोषित कर दिए जाते हैं, जबकि नगरीय निकाय चुनावों के नतीजे कई चरणों में होने के बाद तय तारीख को घोषित किए जाएंगे।

निर्वाचन आयोग ने तेज़ी से चलने वाली प्रक्रिया का किया ऐलान
नगरीय निकाय चुनाव का कार्यकाल समाप्त होने को है, और इसके चलते निर्वाचन आयोग ने सभी प्रक्रियाओं को तेज़ी से पूरा करने की योजना बनाई है। दिसंबर में होने वाले विधानसभा सत्र से पहले अधिकांश काम पूरे करने का लक्ष्य रखा गया है।

नियमों में बदलाव की आवश्यकता
इन चुनावों को एक साथ कराने से पहले राज्य सरकार को कई महत्वपूर्ण काम करने होंगे। नगर पालिका अधिनियम, नगर निगम अधिनियम और पंचायत अधिनियम में संशोधन की जरूरत होगी। इसके लिए कैबिनेट, राज्यपाल और विधानसभा की मंजूरी की आवश्यकता होगी। विधानसभा सत्र 16 दिसंबर से शुरू होने जा रहा है, और इसी दौरान ये संशोधन किए जा सकते हैं।

चुनाव की घोषणा के बाद बनेगा कार्यक्रम
अन्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग ने ओबीसी सर्वे रिपोर्ट शासन को सौंप दी है, और इस रिपोर्ट को सैद्धांतिक मंजूरी भी मिल चुकी है। नगर पालिका निगम, नगर पालिकाओं और नगर पंचायत के अध्यक्षों के चुनाव को लेकर कैबिनेट जल्द ही फैसला करेगी कि ये चुनाव सीधे प्रणाली से होंगे या नहीं। इसके बाद राज्यपाल से अध्यादेश की मंजूरी प्राप्त होगी, और राज्य निर्वाचन आयोग इसके बाद चुनाव कार्यक्रम की घोषणा करेगा। ऐसे में, सरकार की अगली कैबिनेट बैठक महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।