GSAT-N2: आधी रात से बदल गई भारत की इंटरनेट दुनिया, ISRO का GSAT-N2 उपग्रह हुआ लॉन्च 0
दिल्ली। भारत में इंटरनेट और ब्रॉडबैंड सेवाओं का परिदृश्य अब बदलने जा रहा है। एलन मस्क की कंपनी SpaceX ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के संचार उपग्रह GSAT-N2 को…
दिल्ली। भारत में इंटरनेट और ब्रॉडबैंड सेवाओं का परिदृश्य अब बदलने जा रहा है। एलन मस्क की कंपनी SpaceX ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के संचार उपग्रह GSAT-N2 को सफलतापूर्वक लॉन्च कर देश को डिजिटल युग में एक नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया। यह प्रक्षेपण फ्लोरिडा के कैनावेरल स्पेस फोर्स स्टेशन से फाल्कन 9 रॉकेट के माध्यम से हुआ।
स्मार्ट सिटी मिशन को मिलेगा बढ़ावा
GSAT-N2 उपग्रह को विशेष रूप से भारत के स्मार्ट सिटी मिशन की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए विकसित किया गया है। इसकी हाई-थ्रूपुट क्षमता, जो 48 Gbps तक है, डेटा ट्रांसमिशन को तेज और अधिक प्रभावी बनाएगी। यह उपग्रह न केवल देशभर में ब्रॉडबैंड सेवाओं में सुधार करेगा, बल्कि इन-फ्लाइट कनेक्टिविटी जैसी सेवाएं भी प्रदान करेगा, जिससे यात्रियों को विमान में भी तेज इंटरनेट का अनुभव होगा।
ISRO की वाणिज्यिक इकाई न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड के प्रमुख राधाकृष्णन दुरईराज ने पुष्टि की कि उपग्रह को सटीक कक्षा में स्थापित कर दिया गया है। यह अत्याधुनिक उपग्रह, जिसे इसरो के सैटेलाइट सेंटर और लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर ने मिलकर विकसित किया है, हाई-थ्रूपुट क्षमता वाला है और इसकी डेटा ट्रांसमिशन क्षमता 48 Gbps है। यह उपग्रह न केवल देश में ब्रॉडबैंड सेवाओं में सुधार करेगा, बल्कि उड़ानों के दौरान इंटरनेट कनेक्टिविटी भी प्रदान करेगा।
GSAT-N2 का डिज़ाइन
GSAT-N2 को 14 वर्षों तक परिचालन में रहने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह उपग्रह 32 उपयोगकर्ता बीम से लैस है, जिनमें से 8 संकीर्ण बीम पूर्वोत्तर भारत को कवर करते हैं और 24 चौड़े बीम भारत के अन्य हिस्सों को। इसका का-बैंड HTS पेलोड उच्च डेटा ट्रांसमिशन को सुनिश्चित करेगा और भारत के स्मार्ट सिटी मिशन के तहत महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
ISRO ने भारी पेलोड वाले उपग्रहों के लिए अक्सर फ्रांसीसी कंपनी एरियनस्पेस का उपयोग किया है। हालांकि, इस बार GSAT-N2 का वजन 4,700 किलोग्राम होने के कारण इसे स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट से लॉन्च किया गया। इसरो का वर्तमान प्रक्षेपण यान LVM-3 भी 4,000 किलोग्राम तक का पेलोड ले जा सकता है, लेकिन GSAT-N2 के लिए फाल्कन 9 को चुना गया।