छत्तीसगढ़-रायगढ़ में अविवाहित बनकर युवती से दुष्कर्म, गर्भवती कर छोड़ने पर 10 साल का सश्रम कारावास
रायगढ़. रायगढ़ जिले में खुद को अविवाहित बताकर युवती से शारीरिक संबंध बनाकर उसे गर्भवती करने के बाद शादी से मुकर जाने वाले आरोपी को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश की अदालत…
रायगढ़.
रायगढ़ जिले में खुद को अविवाहित बताकर युवती से शारीरिक संबंध बनाकर उसे गर्भवती करने के बाद शादी से मुकर जाने वाले आरोपी को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश की अदालत ने 10 साल सश्रम कारावास और जुर्माने से दंडित किया है। अभियोजन पक्ष के अनुसार, पीड़िता 2019 में हंडी चैक में स्थित डेंटल क्लीनिक में काम करती थी। उस वक्त क्लीनिक में लाइट बनाने का काम चल रहा था।
लाइट बनाने का काम अभियुक्त भुनेश्वर साहू निवासी छातामुडा के द्वारा लिया गया था। इस दौरान भुनेश्वर ने पीड़िता से उसका मोबाइल नंबर लिया और बात करने लगा। भुनेश्वर अपने आपको कुंवारा बताकर पढ़ाई करना बताया गया और पीड़िता को पसंद करता हूं शादी करूंगा बोला गया। इस दौरान पीड़िता उसे अपने घर मिलवाने ले गई थी। मई 2019 में भुनेश्वर उसे रायगढ़ कोर्ट ले जाकर नोटरी में लिखवा कर शादी किया और बैकुंठपुर में किराये के मकान में डेढ माह तक रखकर शारीरिक संबंध बनाता रहा। पीड़िता की तबीयत खराब हुई तो भुनेश्वर ने उससे कहा कि घर चली जाओ मैंने अपने घर बात कर ली है। समाज में बात कर अपने घर ले जाउंगा। इसके बाद अपने घर ले जाने के लिये वह टाल मटोल करता रहा। इस दौरान बीच-बीच में पीडिता से मिलने जाता और शारीरिक संबंध बनाता था, जिससे वह गर्भवती हो गई थी। 22 जून 2020 को भुनेश्वर की पत्नी ने पीड़िता को फोन करके बताया कि भुनेश्वर की पत्नी है और उनके दो बच्चे हैं। इसके बाद पीड़िता ने भुनेश्वर से इस संबंध में पूछा और दोनों के बीच लड़ाई हुई। इसके बाद भुनेश्वर ने पीड़िता को रखने से साफ इंकार कर दिया। पीड़िता की शिकायत के बाद पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उपार्पण पश्चात माननीय प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश रायगढ़ के न्यायलय में उपार्पित पश्चात दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद अभियुक्त भुनेश्वर साहू को पीडिता को शादी का प्रलोभन देकर उसके साथ दुष्कर्म के मामले में भादवि की धारा 376 (के) (एन) का दोषी पाया गया। जिसके बाद अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एफटीसी रायगढ़ के विद्वान न्यायाधीश जगदीश राम ने आरोपी भुनेश्वर साहू को 376 (के) (एन) के अपराध में दस वर्ष के सश्रम कारावास एवं 5 हजार रूपये के अर्थदण्ड से दंडित किया है। अर्थदण्ड न पटाने पर 6 माह का अतिरिक्त कारावास भुगताने का भी प्रावधान रखा गया है। इस मामले में अपर लोक अभियोजक हरिलाल पटेल ने पैरवी की।