सिर्फ फल नहीं, ये सब्जियां चढ़ाने से भी खुश होती हैं मां लक्ष्मी, बढ़ता है धन भंडार

दिवाली के अवसर पर लोग देवी लक्ष्मी को अपनी पसंदीदा चीज़ें अर्पित करने के लिए खरीदारी करने में जुट जाते हैं. इसी परंपरा के तहत थार के रेगिस्तान में लोग…

सिर्फ फल नहीं, ये सब्जियां चढ़ाने से भी खुश होती हैं मां लक्ष्मी, बढ़ता है धन भंडार

दिवाली के अवसर पर लोग देवी लक्ष्मी को अपनी पसंदीदा चीज़ें अर्पित करने के लिए खरीदारी करने में जुट जाते हैं. इसी परंपरा के तहत थार के रेगिस्तान में लोग देवी लक्ष्मी को सूखी सब्ज़ियाँ अर्पित करते हैं. ऐसी ही एक सब्ज़ी है ‘कोठींबा,’ जिसका सबसे अधिक उत्पादन बीकानेर और उसके आसपास के इलाकों में होता है. कहा जाता है कि लक्ष्मीजी को यह सब्ज़ी बहुत पसंद है, जिससे इसकी माँग में भी वृद्धि हो जाती है.

कोठींबा का ज्योतिषीय महत्व
ज्योतिष पंडित युगल नारायण रंगा का कहना है कि पहले यह सब्ज़ी केवल रेगिस्तान में ही उगती थी. इस सब्ज़ी का इस्तेमाल औषधि के रूप में भी किया जाता है. दिवाली के दौरान बीकानेर और आसपास के क्षेत्रों के लोग देवी लक्ष्मी को अर्पण के लिए इस कोठींबा सब्ज़ी को ख़रीदते हैं. वहीं, कई लोग इसका आनंद लेते हैं और इससे विशेष पकवान बनाते हैं और अगले दिन उसका स्वाद लेते हैं.

काचरी की प्रसिद्ध चटनी: एक खास रसोई का हिस्सा
दरअसल, कोठींबा (काचरी) सब्ज़ी का सबसे अधिक उपयोग चटनी बनाने में होता है. काचरी की यह चटनी राजस्थान का प्रमुख व्यंजन है और यह विदेशों में भी मशहूर है. इसकी विशेषता यह है कि यह कई दिनों तक खराब नहीं होती है. स्वास्थ्य के लिए लाभकारी इस काचरी की फसल श्रावण मास में शुरू होती है और चार से पाँच महीने तक चलती है. यह सब्ज़ी मुख्य रूप से बीकानेर और उसके आसपास के क्षेत्रों में उगती है और राजस्थान के अन्य इलाकों में भी इसकी आपूर्ति की जाती है.

कोठींबा के स्वास्थ्य लाभ और बाज़ार में कीमत
यह सब्ज़ी बाज़ार में 30 से 40 रुपये प्रति किलो की कीमत पर उपलब्ध है. इसमें कई प्रकार के पोषक तत्व होते हैं जो शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं और इससे अनेक बीमारियाँ दूर होती हैं. इसके सेवन से पाचन शक्ति बढ़ती है, सर्दी-खांसी में राहत मिलती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है. साथ ही इसमें एंटीऑक्सीडेंट भी होते हैं.