ऐसा क्या हुआ……………..कश्मीर के मुददे पर चुप्पी साधे रहे  प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ 

इस्लामाबाद । एससीओ बैठक में पाकिस्तानी  प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इजरायल-गाजा संघर्ष पर अंतर्राष्ट्रीय ध्यान केंद्रित करने का आह्वान किया, लेकिन कश्मीर मुद्दे पर चुप्पी साधे रखी। अपने इस बयान…

ऐसा क्या हुआ……………..कश्मीर के मुददे पर चुप्पी साधे रहे  प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ 

इस्लामाबाद । एससीओ बैठक में पाकिस्तानी  प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इजरायल-गाजा संघर्ष पर अंतर्राष्ट्रीय ध्यान केंद्रित करने का आह्वान किया, लेकिन कश्मीर मुद्दे पर चुप्पी साधे रखी। अपने इस बयान के साथ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शरीफ ने बुधवार को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की शासनाध्यक्षों की परिषद (सीएचजी) की बैठक का समापन हुआ। इस महत्वपूर्ण बैठक के दौरान शरीफ ने इजरायल-गाजा संघर्ष पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से तत्काल ध्यान केंद्रित करने की अपील की। दिलचस्प यह है कि पाकिस्तान के लंबे समय से विवादित कश्मीर मुद्दे चुप दिखाई दिया, जो शरीफ के सतर्क रुख को दर्शाता है।
इस्लामाबाद स्थित जिन्ना कन्वेंशन सेंटर में आयोजित बैठक में रूस को एससीओ की अध्यक्षता सौंपते समय, शरीफ ने कश्मीर मुद्दे पर बोलने से परहेज किया, जबकि यह लंबे समय से भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव का प्रमुख कारण रहा है। इसके पहले के कई मंचों पर पाकिस्तान की ओर से कश्मीर का मुद्दा उठाया जाता रहा था, लेकिन इस बार शरीफ ने कश्मीर मुददे पर चुप्पी रखना ही बेहतर समझा है। अपने समापन भाषण में शरीफ ने राजनीतिक मतभेदों और विभाजनों के बावजूद सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, आइए, हम राजनीतिक मतभेदों और विभाजनों से ऊपर उठकर सहयोग को प्राथमिकता दें। अपनी उपलब्धियों को बढ़ावा दें और साझा चुनौतियों का समाधान करने के लिए हाथ से हाथ मिलाकर काम करें, ताकि एससीओ स्थिरता, विकास और पारस्परिक लाभ का प्रतीक बन सके।
इस दौरान शरीफ ने इजरायल और फिलिस्तीन के बीच चल रहे संघर्ष की ओर भी ध्यान दिलाया। उन्होंने कहा, हम गाजा में हो रहे नरसंहार को अनदेखा नहीं कर सकते। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की जिम्मेदारी है कि वह तत्काल और बिना शर्त युद्धविराम सुनिश्चित करे, ताकि 1967 से पहले की सीमाओं के आधार पर एक स्वतंत्र फिलिस्तीन राज्य की स्थापना हो सके, जिसकी राजधानी अल-कुद्स (पूर्वी यरुशलम) हो। पाकिस्तान की चुप्पी पर विशेषज्ञों का मानना है कि कश्मीर का जिक्र न करने का यह निर्णय पाकिस्तान के भीतर विपक्षी दलों और आलोचकों के बीच चर्चा का विषय बन सकता है। हालांकि, एससीओ मंच पर शरीफ ने आपसी सहयोग और विकास के मुद्दों को प्राथमिकता देने की बात कही।