भाजपा हमेशा नए सहयोगियों का स्वागत करती है, अकाली दल के साथ बातचीत जारी: शाह…
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने शनिवार को कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) राजनीति में परिवार नियोजन में विश्वास नहीं करती है और हमेशा नए सहयोगियों का स्वागत करती है…
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने शनिवार को कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) राजनीति में परिवार नियोजन में विश्वास नहीं करती है और हमेशा नए सहयोगियों का स्वागत करती है तथा शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के साथ बातचीत जारी है।
शाह ने एक कार्यक्रम में इस बात पर जोर दिया कि संशोधित नागरिकता अधिनियम (सीएए) लोकसभा चुनाव से पहले लागू किया जाएगा और अनुमान जताया कि भाजपा 370 सीटें जीतेगी, जबकि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) को आम चुनावों में 543 में से 400 से अधिक सीटें मिलेंगी।
जयंत चौधरी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय लोक दल (रालोद), शिअद और अन्य क्षेत्रीय दलों के राजग में शामिल होने की संभावना के बारे में पूछे जाने पर शाह ने कहा, “हम परिवार नियोजन में विश्वास करते हैं लेकिन राजनीति में इसे नहीं अपनाते।”
उन्होंने ‘ईटी नाउ ग्लोबल बिजनेस समिट 2024’ में कहा, ”हम हमेशा चाहते हैं कि हमारा गठबंधन आगे बढ़े और हम हमेशा नये सहयोगियों का स्वागत करते हैं।
हमारी विचारधारा जनसंघ के समय से एक ही रही है। जो लोग हमसे जुड़ना चाहते हैं वे आ सकते हैं।” शिअद के दोबारा राजग में आने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ”बातचीत जारी है लेकिन अभी कुछ तय नहीं हुआ है।”
सुखबीर सिंह बादल नीत शिअद ने सितंबर 2020 में तीन कृषि कानूनों को लेकर राजग का साथ छोड़ दिया था। वर्ष 2018 में राजग छोड़ने वाली तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) या, वाईएसआर कांग्रेस के साथ हाथ मिलाने की संभावना पर शाह ने कहा, “ऐसे मंचों पर हर बात का खुलासा नहीं किया जाता है। कुछ समय इंतजार करें। सब कुछ, सबके लिए स्पष्ट हो जाएगा।”
लोकसभा चुनाव से पहले एक बड़े राजनीतिक बदलाव के तहत, जनता दल यूनाइटेड (जदयू) प्रमुख नीतीश कुमार पिछले महीने विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन का साथ छोड़कर राजग में शामिल हो गए, जबकि रालोद के भी भाजपा नीत राजग में शामिल होने की चर्चा है।
शाह ने कहा कि भाजपा ने कभी भी किसी गठबंधन सहयोगी से अलग होना नहीं चाहा और बड़ा साझेदार होने के बावजूद उसने अपने क्षेत्रीय सहयोगियों को राज्य सरकारों का नेतृत्व करने दिया।
उन्होंने कहा कि कई ‘दोस्त’ आए और कई चले गए। शाह ने कहा, “आम तौर पर उनके जाने के दो कारण होते हैं। यह किसी घटना के कारण होता है या किसी विशेष राज्य के राजनीतिक समीकरण के कारण होता है। लेकिन भाजपा ने कभी किसी पार्टी से अलग होना नहीं चाहा।
भाजपा ने हमेशा गठबंधन धर्म का पालन किया।” शाह ने कहा कि लोकसभा चुनाव के नतीजों को लेकर कोई संशय नहीं है और यहां तक कि कांग्रेस एवं अन्य विपक्षी दलों को भी एहसास हो गया है कि उन्हें फिर से विपक्ष में बैठना होगा।
उन्होंने कहा, ”हमने (पूर्ववर्ती राज्य जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के) अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया, इसलिए हमें भरोसा है कि देश की जनता भाजपा को 370 सीट और राजग को 400 से अधिक सीटों पर जीत दिलाकर अपना आशीर्वाद देगी।”
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोकसभा में कुछ दिन पहले, लगातार तीसरी बार जीत हासिल करने का दावा किया था। शाह ने कहा कि 2024 का चुनाव राजग और विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस) के बीच नहीं, बल्कि विकास एवं उज्ज्वल भविष्य का वादा पूरा करने वाले और केवल नारे देने वाले एवं निराशा का प्रतिनिधित्व करने वालों के बीच होगा।
उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के बारे में पूछे जाने पर कहा कि नेहरू-गांधी के वंशज को इस तरह की यात्रा करने का कोई अधिकार नहीं है क्योंकि 1947 में देश के विभाजन के लिए उनकी पार्टी जिम्मेदार थी।
उन्होंने कहा कि अब फिर कांग्रेस के कुछ लोग देश को (दक्षिण भारत-उत्तर भारत) में बांटने की बात कर रहे हैं और पार्टी ऐसे बयानों से दूरी भी नहीं बना रही है।
सदन में सरकार द्वारा ‘श्वेत पत्र’ पेश किए जाने के समय पर सवाल किए जाने पर शाह ने कहा कि ऐसा करना आवश्यक था क्योंकि देश को यह जानने का पूरा अधिकार है कि 2014 में सत्ता खोने के बाद कांग्रेस नीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार कैसी अव्यवस्था छोड़ कर गई थी।
उन्होंने कहा, ”उस समय (2014) अर्थव्यवस्था खराब हालत में थी। हर जगह घोटाले हुए। विदेशी निवेश नहीं आ रहा था। अगर हम उस वक्त श्वेत पत्र पेश करते तो दुनिया में गलत संदेश जाता।” उन्होंने कहा, ”लेकिन 10 साल बाद हमारी सरकार ने अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित किया है, वह विदेशी निवेश लेकर आई है और कोई भ्रष्टाचार नहीं हुआ है इसलिए श्वेत पत्र पेश करने का यह सही समय है।”
गृह मंत्री शाह ने कहा कि कांग्रेस को डर था कि 1948 से अब तक हुए उनके घोटाले श्वेत पत्र में खुलकर सामने आ जायेंगे। उन्होंने दावा किया कि पूर्ववर्ती संप्रग सरकार के दो कार्यकाल के दौरान 12 लाख करोड़ रुपये के घोटाले हुए थे। शाह ने सीएए पर कहा कि 2019 में बना कानून इस संबंध में नियम जारी करने के बाद लोकसभा चुनाव से पहले लागू किया जाएगा।
उन्होंने कहा, ”हमारे मुस्लिम भाइयों को (सीएए के खिलाफ) गुमराह किया जा रहा है और भड़काया जा रहा है। सीएए केवल उन लोगों को नागरिकता देने के लिए है जो पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में उत्पीड़न का सामना करने के बाद भारत आए हैं। यह किसी की भारत की नागरिकता छीनने के लिए नहीं है।”
शाह ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर कहा कि यह एक संवैधानिक एजेंडा है, जिस पर देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और अन्य ने हस्ताक्षर किए हैं। उन्होंने कहा, ”लेकिन कांग्रेस ने तुष्टिकरण के कारण इसे नजरअंदाज कर दिया था। उत्तराखंड में यूसीसी को लागू करना एक सामाजिक परिवर्तन है।
इस पर सभी मंचों पर चर्चा की जाएगी और इसकी कानूनी समीक्षा की जाएगी। एक धर्मनिरपेक्ष देश में धर्म आधारित नागरिक संहिता नहीं हो सकती।” पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह और पी वी नरसिम्हा राव तथा प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक एम एस स्वामीनाथन को भारत रत्न से सम्मानित करने के फैसले के बारे में शाह ने कहा कि ये तीनों व्यक्ति अपने समय की बड़ी संस्था थे। उन्होंने कहा, ”कांग्रेस के समय में भारत रत्न या तो मजबूरी के कारण या परिवार को दिया जाता था।”
उद्धव ठाकरे सहित कुछ नेताओं द्वारा यह पूछे जाने पर कि विनायक दामोदर सावरकर को भारत रत्न क्यों नहीं दिया जा रहा है, शाह ने कहा, “हमने उनके सुझाव पर ध्यान दिया है।” हालांकि, गृह मंत्री शाह ने ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के मुद्दों पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया और कहा कि ये मामले अब अदालतों के विचारार्थ हैं। उपासना स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, “अधिनियम अपनी जगह पर है।”
यह कानून किसी भी उपासना स्थल के रूपांतरण पर रोक लगाता है और अयोध्या के राम जन्मभूमि परिसर को छोड़कर, किसी भी उपासाना स्थल के धार्मिक चरित्र को उसी रूप में बनाए रखने का प्रावधान करता है जैसा वह 15 अगस्त 1947 को अस्तित्व में था।
भाजपा के कुछ नेताओं समेत एक वर्ग की ओर से यह मांग की गई है कि इस कानून को रद्द किया जाना चाहिए। शाह ने कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जाति पर बहस हो रही है और आरोप लगाया कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी को सार्वजनिक रूप से झूठ बोलने और उसके बाद उसे दोहराने की आदत है।
शाह ने कहा कि गुजरात में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने 1994 में मोदी की जाति को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की सूची में शामिल किया था और केंद्र ने 2000 में प्रधानमंत्री की जाति को अपनी ओबीसी सूची में शामिल किया था।
शाह ने कहा, “उस समय भी, मोदी सत्ता में नहीं थे – न सांसद, न विधायक और न ही सरपंच के तौर पर। वह 2001 में मुख्यमंत्री बने। इन लोगों को तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करने की आदत है।”