किस हाल में सुनीता विलियम्स, कैसे गुजरता है स्पेस का समय; पृथ्वी लौटे अंतरिक्ष यात्रियों की जुबानी…

इसी साल जून महीने में दो अमेरिकी अंतरिक्ष यात्रियों सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर ने आठ दिन के मिशन के लिए अंतरराष्ट्रीय स्पेस सेंटर की ओर उड़ान भरी थी। लेकिन,…

किस हाल में सुनीता विलियम्स, कैसे गुजरता है स्पेस का समय; पृथ्वी लौटे अंतरिक्ष यात्रियों की जुबानी…

इसी साल जून महीने में दो अमेरिकी अंतरिक्ष यात्रियों सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर ने आठ दिन के मिशन के लिए अंतरराष्ट्रीय स्पेस सेंटर की ओर उड़ान भरी थी।

लेकिन, तकनीकी खराबी के चलते उनकी धरती पर वापस लौटने की उम्मीद आठ महीने तक के लिए टल गई है।

नासा के वैज्ञानिकों की कोशिश है कि उन्हें फरवरी 2025 तक धरती पर लाया जाए। अभी वे करीब 6 बेडरूम वाले घर के आकार वाले स्थान पर नौ अन्य लोगों के साथ जगह शेयर कर रहे हैं।

सुनीता और विल्मोर ने हालिया एक वीडियो में खुलासा किया था कि वे बहुत अच्छे से रह रहे हैं। लेकिन, धरती से 400 किलोमीटर ऊपर रहना आसाना है या मुश्किल? पूर्व अंतरिक्ष यात्रियों ने इसका खुलासा किया।

अंतरिक्ष यात्रियों ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय स्पेस सेंटर में रहना आसान नहीं है। वहां रोजाना कम से कम दो घंटे व्यायाम करना होता है, कपड़े खुद धोने पड़ते हैं, खाना क्या खा रहे हैं, इसका विशेष ख्याल रखना पड़ता है।

सबसे जरूरी बात अंतरिक्ष की गंध बड़ी विचित्र होती होती है। एक ने यह भी खुलासा किया कि बिना एक्सरसाइज ही बहुत पसीना आता है।

पसीने की बूंदें हवा में तैरने न लगे इसलिए, हिल भी नहीं सकते। उन्हें एक जोड़ी पैंट में तीन महीने तक गुजारने पड़े।

सुबह जल्दी उठने से दिन की शुरुआत

बीबीसी से पूर्व अंतरिक्ष यात्रियों ने आईएसएस में जीवित रहने के रहस्यों का खुलासा किया। वे सुबह करीब 06:30 बजे उठ जाते हैं।

अंतरिक्ष यात्रियों को हार्मनी नामक ISS मॉड्यूल में फ़ोन-बूथ आकार के शयन कक्ष में सोना पड़ता है। नासा की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री निकोल स्टॉट 2009 और 2011 में दो मिशनों के तहत अंतरिक्ष में 104 दिन बिता चुकी हैं।

उनका कहना है कि परिवार की जब भी याद सताती है तो उनसे जुड़ी तस्वीरों और पुस्तकों के लिए एक कोना भी है।

2012-13 में 35 मिशनों के कमांडर रहे कनाडाई अंतरिक्ष यात्री क्रिस हैडफील्ड का कहना है कि अंतरिक्ष में यात्रियों का सबसे ज्यादा समय रखरखाव या वैज्ञानिक प्रयोगों में जाता है।

आईएसएस में विभिन्न प्रयोगों के लिए छह प्रयोगशालाएं हैं। सेंटर का आकार एक फुटबॉल मैदान जितना बड़ा है। उनके अनुसार, “अंदर से ऐसा लगता है जैसे कई बसें एक साथ जुड़ी हुई हैं। कई बार ऐसा होता है कि आधे दिन तक भी कोई इंसान आपको नजर नहीं आता। आईएसएस में बहुत ही शांतिपूर्ण माहौल रहता है।

अंतरिक्ष की गंध कैसी है?

कुछ भाग्यशाली अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के बाहर अंतरिक्ष में चलने का मौका मिलता है। हेडफील्ड बताते हैं कि उन्हें यह मौका दो बार मिल चुका है।

उनका कहना है, ‘मैंने अंतरिक्ष में 15 घंटे बिताए। केवल मेरा प्लास्टिक मुखौटा मेरे और ब्रह्मांड के बीच खड़ा था। यह समय भी जिंदगी के बाकी 15 घंटों की तरह ही था।’

लेकिन स्पेस वॉक के दौरान मैंने महसूस किया कि’अंतरिक्ष गंध’ किसी धातु की गंध की तरह है। पृथ्वी पर हमें बहुत सी अलग-अलग गंध आती हैं।

लेकिन अंतरिक्ष में सिर्फ़ एक गंध होती है और हम जल्दी ही उसके आदी हो जाते हैं।” इसके अलावा अंतरिक्ष में कोई मौसम नहीं होता। आपके चेहरे पर बारिश नहीं होती और न ही आपके बाल हवा से उड़ते हैं।

तीन महीने तक सिर्फ एक जोड़ी पैंट

निकोल स्टॉट कहती हैं कि पूरे दिन काम के दौरान बहुत पसीना निकलता है। यह सबसे बड़ी समस्या है। “हमारे पास कपड़े धोने का कोई सामान नहीं है।

केवल पानी है जो बूंदों के रूप में बनता है और कुछ साबुन जैसा पदार्थ है। कपड़े इतने गंदे हो जाते हैं कि उन्हें अंतरिक्ष में जलाने के लिए डाल दिया जाता है। वह बताती हैं, ‘शून्य गुरुत्वाकर्षण में, कपड़े शरीर पर तैरते हैं, इसलिए तेल या अन्य किसी भी चीज़ का उन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।

मेरे पास तीन महीने तक एक ही जोड़ी पैंट थी।’ इसके बजाय, भोजन सबसे बड़ी चिंता थी। वह कहती हैं, ‘उदाहरण के लिए, कोई खाने का डिब्बा खोलता है, उसमें मांस और ग्रेवी होती है। हर कोई अलर्ट रहता है कि कहीं मांस की चर्बी हवा में न तैरने लगे।

The post किस हाल में सुनीता विलियम्स, कैसे गुजरता है स्पेस का समय; पृथ्वी लौटे अंतरिक्ष यात्रियों की जुबानी… appeared first on .