इस मंदिर में आज भी मौजूद हैं मां काली के हाथों के चिन्ह, किया था भैरव बाबा का वध
बताया जाता है कि प्राचीन काल में सहारनपुर में देवता और दानवों का युद्ध हुआ था. मां भगवती वैष्णो की शक्ति दानवों से युद्ध करते हुए जब कम पड़ गई,…
बताया जाता है कि प्राचीन काल में सहारनपुर में देवता और दानवों का युद्ध हुआ था. मां भगवती वैष्णो की शक्ति दानवों से युद्ध करते हुए जब कम पड़ गई, तब मां भगवती वैष्णो देवी ने मां काली का आह्वान किया. इसके बाद मां काली ने प्रकट होकर भैरव बाबा का वध किया. वैष्णो में ही नहीं सहारनपुर में भी मां भगवती वैष्णो की गुफा का आधार है. मां काली के हाथों के निशान आज भी यहां मौजूद हैं. मां के दर्शन करने के लिए श्रद्धालु हरियाणा, पंजाब, दिल्ली सहित अन्य प्रदेशों से आते हैं.
भैरव बाबा पर बरसा था मां काली का प्रकोप
सहारनपुर नगर के राधा विहार में श्री महाशक्ति पीठ वैष्णो महाकाली मंदिर है. जबकि पास में ही औघड़दानी नर्मदेश्वर महादेव मंदिर है. जहां पर सवा 5 फीट ऊंची पिंडी के रूप में भगवान शिव नर्मदेश्वर के रूप में विराजमान हैं. स्वामी कालेंद्र नंद महाराज बताते हैं कि प्राचीन काल में सहारनपुर में देवता और दानवों का युद्ध हुआ था. मां भगवती वैष्णो की शक्ति दानवों से युद्ध करते हुए, जब कम पड़ गए तब मां भगवती वैष्णो देवी ने मां काली का आह्वान किया था. जिसके बाद मां काली ने प्रकट होकर भगवान शिव के प्रिय भक्त भैरव बाबा का वध किया था.
मनोकामना लेकर पहुंचते हैं श्रद्धालु
आज भी महाशक्ति पीठ वैष्णो महाकाली मंदिर में मां काली के हाथों के चिन्ह मौजूद है. जहां मां वैष्णो का प्राकट्य हुआ था. वहां मां वैष्णो की पिंडियों के चिन्ह है. वहीं, जब खुदाई करके देखी गई, तो छोटी सी गुफा भी दिखाई दी. जो कि आज भी मौजूद है. यह गुफा महाशक्ति पीठ वैष्णो महाकाली मंदिर से औघड़दानी नर्मदेश्वर महादेव मंदिर में निकल रही है. यानी कि वैष्णो में ही नहीं सहारनपुर में भी मां भगवती वैष्णो की गुफा का आधार है. दूरदराज से श्रद्धालु अपनी मनोकामनाएं लेकर यहां पहुंचते हैं और उनकी मनोकामनाएं भी पूर्ण होती है. जबकि हर सावन और नवरात्रों में विशाल भंडारे का भी आयोजन होता है.