आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष के घर पर ईडी का सुबह-सुबह छापा
कोलकाता। आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल के खिलाफ ईडी ने बड़ा ऐक्शन लिया है। खबर है कि शुक्रवार को संदीप घोष के आवास पर ईडी ने छापामार कार्रवाई…
कोलकाता। आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल के खिलाफ ईडी ने बड़ा ऐक्शन लिया है। खबर है कि शुक्रवार को संदीप घोष के आवास पर ईडी ने छापामार कार्रवाई की और खबर लिखे जाने तक तलाशी जारी रही। इसके अलावा भी राज्य में कई जगह अधिकारियों ने रेड की है। ईडी ने पीएमएलए केस के तहत यह कार्रवाई की है। ईडी ने घोष और करीबियों से जुड़े 5-6 ठिकानों पर रेड की है। साथ ही अस्पताल के डेटा एंट्री ऑपरेटर प्रसून चटर्जी के घर पर भी ईडी के अधिकारी पहुंचे हैं। कार्यकाल के दौरान अनियमितताओं के आरोप में सीबीआई ने मंगलवार को ही घोष को गिरफ्तार किया था। उन्हें 8 दिन की पुलिस हिरासत में भेजा गया है। इधर, पश्चिम बंगाल सरकार ने उन्हें सस्पेंड कर दिया है। सीबीआई की तरफ से गिरफ्तार किए जाने से पहले घोष से 15 दिनों तक एजेंसी के सॉल्ट लेक ऑफिस में पूछताछ हुई थी। तब सीबीआई ने ट्रेनी डॉक्टर के रेप और मर्डर केस के संबंध में पूछताछ की थी। साथ ही अस्पताल में वित्तीय अनियमतताओं को लेकर भी सवाल पूछे गए थे। घोष को 2 बार पॉलीग्राफ टेस्ट से भी गुजरना पड़ा था। मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में ईडी भी घोष के खिलाफ जांच कर रही है।
घोष ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख किया है, जिसमें उनके कार्यकाल के दौरान संस्थान में वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगाने वाली याचिका में पक्षकार के रूप में शामिल किए जाने की उनकी याचिका खारिज कर दी गई है। उच्च न्यायालय ने कथित वित्तीय अनियमितताओं की जांच राज्य सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) से केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपने का 23 अगस्त को आदेश दिया था।उच्च न्यायालय का 23 अगस्त का आदेश अस्पताल के पूर्व उपाधीक्षक अख्तर अली की याचिका पर आया था, जिन्होंने घोष के कार्यकाल के दौरान अस्पताल में कथित वित्तीय कदाचार की प्रवर्तन निदेशालय द्वारा जांच का अनुरोध किया था। उच्च न्यायालय ने याचिका में पक्षकार के रूप में शामिल किए जाने के घोष के अनुरोध को भी खारिज कर दिया था और कहा था कि वह मामले में ‘आवश्यक पक्षकार’ नहीं थे।इसने अपने आदेश में कहा था, उपरोक्त आरोपों और घटना के बीच स्पष्ट संबंध के मद्देनजर तथा इस बात पर विचार करते हुए कि मामले (अस्पताल में डॉक्टर से बलात्कार और उसकी हत्या) की जांच पहले ही सीबीआई को सौंपी जा चुकी है, एक व्यापक और निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए इस मामले की भी जांच सीबीआई को सौंपी जानी चाहिए।