मां-बेटा और फिल्म… बांग्लादेश में सत्ता पाने का नया तिकड़म, टॉप पर क्यों खालिदा जिया?…

बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के नाटकीय तरीके से सत्ता से बाहर होने के बाद शीर्ष पद पर कब्जा करने की होड़ मच गई है। इस लड़ाई में बांग्लादेश नेशनलिस्ट…

मां-बेटा और फिल्म… बांग्लादेश में सत्ता पाने का नया तिकड़म, टॉप पर क्यों खालिदा जिया?…

बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के नाटकीय तरीके से सत्ता से बाहर होने के बाद शीर्ष पद पर कब्जा करने की होड़ मच गई है।

इस लड़ाई में बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की सुप्रीमो बेगम खालिदा जिया टॉप पर है। उनके बेटे तारिक ने मां खालिदा को अगला पीएम बनाने के लिए प्रचार करना भी शुरू कर दिया है।

तारिक अपनी मां खालिदा जिया के जीवन पर आधारित एक फिल्म बनाने जा रहे हैं। फिल्म का नाम है- मदर ऑफ डेमोक्रेसी। लोकल मीडिया रिपोर्ट है कि फिल्म का प्री प्रोडक्शन काम भी शुरू हो गया है।

बांग्लादेश में शेख हसीना की सत्ता के दौरान खालिदा जिया जेल की सलाखों में रही। उनके बैंक खाते भी सीज कर रखे थे। हसीना के देश छोड़कर भागने के बाद ही बांग्लादेश में विरोधियों की चांदी हो गई है।

विरोध प्रदर्शनों के बाद मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में नई अंतरिम सरकार का गठन भी हो चुका है।

अभी हालांकि यह अंतरिम सरकार है और जल्द ही बांग्लादेश में नई सरकार के लिए चुनाव भी होंगे। इसे लेकर हसीना के विरोधियों में टॉप नेता या पीएम बनने की होड़ मच गई है।

खालिदा जिया की सिनेमाई ताजपोशी

खालिदा की बिगड़ती सेहत और बढ़ती उम्र के कारण प्रधानमंत्री की कुर्सी पर वापस लौटना उनके लिए हालांकि दूर की कौड़ी है लेकिन, फिर भी मदर ऑफ डेमोक्रेसी नाम से तारिक अनवर अपनी मां खालिदा की जिंदगी पर एक फिल्म बना रहे हैं।

‘मदर ऑफ डेमोक्रेसी’ नामक एक फिल्म बनने वाली है और फिल्म निर्माता एम.के. ज़मान इस फिल्म का निर्देशन करने वाले हैं।

फिल्म में क्या है?

ढाका के डेली स्टार की रिपोर्ट के अनुसार, पूर्व प्रधानमंत्री की अनुमति मिलने, कहानी पूरी होने और शीर्षक को आधिकारिक रूप से पंजीकृत किए जाने के बाद, अब प्री-प्रोडक्शन का काम जोरों पर है।

फिल्म में खालिदा जिया के जीवन और बांग्लादेश में लोकतंत्र के लिए उनके योगदान को दिखाया जाएगा।

फिल्म में खालिदा जिया को लोकतंत्र का चैंपियन और एक मजबूत नेता के रूप में दिखाया जाएगा, जिन्होंने अपने राजनीतिक करियर के दौरान कई चुनौतियों का सामना किया है।

फिल्म निर्माता एम.के. ज़मान ने एक अन्य स्थानीय समाचार पत्र कलर कंथो को बताया, “बांग्लादेश में सच्चे लोकतंत्र को समझने और सीखने के लिए लोगों को यह फिल्म देखनी चाहिए।”

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