पाकिस्तान में सेना के विरोध में उतरी जनता, फेल हो गया चीन को खुश करने वाला अभियान…

पाकिस्तान की सेना ने आरोप लगाया है कि कई सारे अवैध राजनीतिक माफिया आतंकियों के खिलाफ अभियान को नाकाम करने पर तुले हुए हैं। सेना ने कहा कि देश में…

पाकिस्तान में सेना के विरोध में उतरी जनता, फेल हो गया चीन को खुश करने वाला अभियान…

पाकिस्तान की सेना ने आरोप लगाया है कि कई सारे अवैध राजनीतिक माफिया आतंकियों के खिलाफ अभियान को नाकाम करने पर तुले हुए हैं।

सेना ने कहा कि देश में बढ़ते आतंकवाद के खिलाफ चलाए गए अभियान ‘अज्म-ए-इस्तेहकाम’ को राजनेता आगे नहीं बढ़ने दे रहे हैं।

इंटर सर्विस पब्लिक रिलेशन (ISPR) डीजी लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ ने रावलपिंडी में प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा कि बड़े स्तर पर अवैध राजनीतिक माफिया जन्म ले चुके हैं और वे अपने निहित स्वार्थों के चलते अभियान को आगे नहीं बढ़ने देना चाहते।

बता दें कि सेना ने इमरान खान के समर्थकों की ओर इशारा करते हुए ये  आरोप लगाए हैं। पाकिस्तान में चीन को खुश करने के लिए चलाए गए इस अभियान का विरोध आवाम कर रही है। इसको लेकर सेना परेशान है।

शरीफ ने कहा, अज्म-ए-इस्तेकाम केवल एक सैन्य अभियान नहीं है बल्कि यह एक आतंक विरोधी अभियान है जिसे नेशनल ऐक्शन प्लान का नया रूप कहा जा सकता है।

उन्होंने कहा कि इस ऑपरेशन का उद्देश्य आतंकवाद को खत्म करना है जिससे की देश के सामाजिक और आर्थिक हालात में सुधार आए।

DG ISPR ने कहा कि बहुत ही मजबूत राजनीतिक लॉबी इस अभियान के खिलाफ खड़ी हो गई है और वह इसे बर्बाद कर देना चाहती है। वह नहीं चाहती कि नेशनल ऐक्शन प्लान सफल हो। 

उन्होंने कहा कि इस प्लान को बर्बाद करने में काफी पैसा भी खर्च किया जा रहा है। शरीफ ने कहा, सबसे पहले तो इस राजनीतिक माफिया ने ऑपरेशन के बारे में झूठ फैलाकर इसे विवादित बनाने की कोशिश की।

उन्होंने कहा कि नेशनल ऐक्शन प्लान के तहत धार्मिक संगठनों का रजिस्ट्रेशन होना है। अब तक 32 हजार संगठनों में से केवल 16 हजार का रजिस्ट्रेशन हुआ है। उन्होंने कहा, क्या इसके लिए सेना जिम्मेदार है। 

डीजी आईएसपीआर ने कहा कि दे में अवैध अर्थव्यवस्था चल रही है जिसके द्वारा आतंकवाद और आपराधिक तंत्र को फंडिंग मिलती है।

इसका समाधान केवल नेशनल ऐक्शन प्लान को ठीक से लागू करना है। बता दें कि पाकिस्तान की राजनीति में सेना का इस तरह से खुलकर बोलना एक बड़ा मुद्दा हो सकता है। पहले भी पाकिस्तान की राजनीति में सेना का दखल रहा है और इसके चलते सरकारें विवाद में भी रही हैं। 

पाकिस्तान में पहले भी आतंकवाद के खिलाफ ‘जर्ब-ए-अज्ब’ और रद्द-उल-फसाद जैसे अभियान चलाए गए हैं। इससके चलते कई बार विस्थापन भी बड़े स्तर पर हुआ था।

विस्थापन को लेकर जब सेना से सवाल किया गया तो डीजी आईएसपीआर ने कहा, यह केवल सैन्य अभियान नहीं है बल्कि आर्थिक विकास और स्थिरता को बढ़ावा देने के उद्देश्य चलाया गया आतंकरोदी ऑपरेशन है।

बता दें कि पाकिस्तान ने यह अभियान चीन नागरिकों पर हमलों के बाद उसे खुश करने के लिए चलाया था। इसके अलावा वह आर्थिक मदद लेने के लिए यह दिखाना चाहता है कि आतंकवाद के खिलाफ कड़े कदम उठाए जा रहे हैं। 

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