भारत सुखोई विमानों को करेगा अपग्रेड, 2055 तक भर सकेंगे उड़ान 

नई दिल्ली। भारत अपने सुखोई-30एमकेआई लड़ाकू विमानों को और शक्तिशाली बनाने में जुटा है। रक्षा मंत्रालय ने 84 सुखोई जेट को और शक्तिशाली बनाने के लिए करीब 63,000 करोड़ रुपए…

भारत सुखोई विमानों को करेगा अपग्रेड, 2055 तक भर सकेंगे उड़ान 

नई दिल्ली। भारत अपने सुखोई-30एमकेआई लड़ाकू विमानों को और शक्तिशाली बनाने में जुटा है। रक्षा मंत्रालय ने 84 सुखोई जेट को और शक्तिशाली बनाने के लिए करीब 63,000 करोड़ रुपए की योजना को मंजूरी दी है। इन लड़ाकू विमानों को  अपग्रेड के बाद ये सुखोई जेट अगले 30 साल तक आसमान में दुश्मनों को धूल चटा सकेंगे। इसमें जेट में अडवांस्ड रडार, बेहतर इलेक्ट्रॉनिक्स, लंबी दूरी तक मार करने वाले हथियार और मल्टी-सेंसर फ्यूजन जैसी कई खूबियां होगी। इसके बाद ये सुखोई जेट पांचवी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों को टक्कर दे सकेंगे। सूत्र ने बताया कि ये अपग्रेडेड सुखोई जेट 2055 तक उड़ान भर सकेंगे।
वर्तमान में भारतीय वायुसेना के पास 30 लड़ाकू स्क्वाड्रन हैं, जबकि उसे चीन और पाकिस्तान दोनों से निपटने के लिए 42 स्क्वाड्रन की जरूरत है। हर स्क्वाड्रन में 16-18 जेट होते हैं। ऐसे में इन सुखोई जेट का अपग्रेड होना ज़रूरी है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) अगले 15 सालों में 84 सुखोई जेट को अपग्रेड करेगा। सीसीएस से मंजूरी मिलने के बाद, इसके डिजाइन और विकास में सात साल का समय लगेंगे। इसके बाद जेट को बैचों में अपग्रेड करके वायुसेना में शामिल कर लिया जाएगा।
भारत के पास अभी 259 सुखोई जेट हैं, जो उसकी लड़ाकू क्षमता की रीढ़ हैं। इनमें से ज़्यादातर जेट एचएएल ने रूस से लाइसेंस लेकर बनाए हैं। इसके अलावा दुर्घटनाग्रस्त हुए जेट की भरपाई के लिए 11,500 करोड़ रुपए में 12 नए सुखोई जेट और उनके उपकरण खरीदे जा रहे हैं। एक अन्य सूत्र ने बताया कि अगले 15 साल में भारत के पास खुद का पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट होगा। इसकी तकनीक का इस्तेमाल पहले 84 जेट के बाद अपग्रेड किए जाने वाले सुखोई जेट में किया जाएगा।
इस अपग्रेड में सुखोई जेट में स्वदेशी ‘विरूपाक्ष’ एईएसए रडार लगाए जाएंगे, जो मौजूदा रडार की तुलना में 1.5 से 1.7 गुना ज़्यादा दूरी तक दुश्मन के विमानों का पता लगा सकेंगे। इसके साथ ही जेट में लंबी दूरी तक मार करने वाले एस्तरा-3 एयर-टू-एयर मिसाइल भी लगाए जाएंगे, जो 350 किलोमीटर से भी ज़्यादा दूरी तक मार कर सकते हैं। वायुसेना अभी 100 किलोमीटर तक मार करने वाली एस्तरा-1 मिसाइलों को शामिल कर रही है। वहीं डीआरडीओ 160 किमी तक मार करने वाली एस्तरा-2 और सॉलिड फ्यूल डक्टेड रैमजेट प्रणोदन वाली एस्तरा-3 मिसाइल विकसित कर रहा है।
एक सूत्र ने बताया कि फ्लाई-बाय-वायर सिस्टम को छोड़कर अपग्रेड किए गए सुखोई जेट के सभी इलेक्ट्रॉनिक्स स्वदेशी होंगे। इसमें बेहतर एल्गोरिदम वाले तीनों मिशन कंप्यूटर शामिल हैं। कुल मिलाकर, अपग्रेड किए जाने वाले 51 सिस्टम में से 30 एचएएल द्वारा, 13 डीआरडीओ द्वारा और आठ निजी क्षेत्र द्वारा बनाए जाएंगे। अभी 40 सुखोई जेट को ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ले जाने के लिए अपग्रेड किया है। ब्रह्मोस की मारक क्षमता को पहले ही 290 से बढ़ाकर 450 किलोमीटर कर दिया है और जल्द ही 800 किमी वाले वर्जन को भी शामिल किया जाएगा।