सत्र शुरु होने के बाद भी स्कूलों को 23 लाख छात्रों का इंतजार

भोपाल । स्कूल शिक्षा विभाग भले ही कितने दावे करे , लेकिन यह सच है कि प्रदेश मे बच्चों की पढ़ाई से रुचि कम होती जा रही है। यह हम…

सत्र शुरु होने के बाद भी स्कूलों को 23 लाख छात्रों का इंतजार

भोपाल । स्कूल शिक्षा विभाग भले ही कितने दावे करे , लेकिन यह सच है कि प्रदेश मे बच्चों की पढ़ाई से रुचि कम होती जा रही है। यह हम नहीं बल्कि विभाग के आंकड़े कह रहे हैं। नए शिक्षा सत्र को शुरू हुए दो माह का समय हो चुका है, लेकिन अब भी करीब 24 लाख ऐसे छात्र और छात्राएं हैं, जिनके द्वारा नई कक्षा में प्रवेश अब तक नहीं लिया गया है। इनमें सरकारी के अलावा निजी स्कूलों के भी छात्र और छात्राएं शामिल हैं। इनमें सबसे खराब स्थिति सरकारी स्कूलों की है।
विभाग के आंकड़ों के मुताबिक अगर कुल छात्रों की संख्या देखें तो यह करीब 23 लाख 73 हजार है। यह वो विद्यार्थी हैं जिनके द्वारा अब तक नए सत्र में प्रवेश नहीं लिया गया है। इस मामले में राजधानी होने के बाद भी भोपाल के स्कूलों की हालत तो और दयनीय है।
यहां पर जिले में बीते साल की तुलना में इस वर्ष 1 लाख 22 हजार विद्यार्थियों का नामांकन कम हुआ है। स्कूल शिक्षा विभाग के जारी आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश में स्कूलों में प्रवेश को लेकर सरकार के प्रयास कारगर साबित नहीं हो रहे हैं। स्कूल शिक्षा विभाग के यह हाल तब बने हुए हैं, जबकि विभाग का ही बजट 33 हजार 532 करोड़ बजट है। वाले विभाग की स्थिति नवीन शैक्षणिक सत्र के दो महीने स्कूल लगने के बाद सामने आई है। राजधानी की स्थिति भी बेहद चिंताजनक है। प्रदेश के सभी जिलों में भोपाल नामांकन में मामले में 52 वें नंबर पर है। यानि की इस मामले में सबसे फिसड्डी। अगर बीते  साल की बात की जाए तो निजी व सरकारी स्कूलों को मिलाकर कक्षा एक से लेकर 12 तक की कक्षाओं में 13784369 विद्यार्थियों का पंजीयन हुआ था। इसकी तुलना में अब तक प्रदेश में महज 11410911 विद्यार्थियों का पंजीकरण हुआ है। यह बीते साल की तुलना में 2373458 कम है।
नवीन शैक्षणिक सत्र 2024-25 की शुरुआत एक अप्रैल से हो चुकी है। एक महीने स्कूल लगने के बाद ग्रीष्मकालीन अवकाश शुरू हो गए थे। इसके बाद जून के तीसरे सप्ताह से दोबारा स्कूल खुल गए। करीब एक महीने स्कूलों में कक्षाएं लग चुकी हैं। इन आंकड़ों के सामने आने के बाद अब विभाग की नींद खुली तो ऐसे विद्यार्थियों को खोजकर नामांकन करवाने व नामांकित विद्यार्थियों की मेपिंग करवाने के निर्देश दिए हैं।

सरकारी व निजी स्कूलों के हाल


प्रदेश में गत वर्ष की तुलना में 84.8 फीसदी ही नामांकन हुआ है, यानि 15.65 लाख से अधिक विद्यार्थियों की कमी है। इसी प्रकार शासकीय शालाओं में नामांकन भी गत वर्ष की तुलना में 87 फीसदी हो पाया है, अर्थात इसमें 8.18 लाख की कमी आई है। इसी प्रकार कक्षा 9 से 12 के नामांकन में भी 8.08 लाख की कमी आई है। कुल मिलाकर कक्षा 1 से 12 के नामांकन में 23.73 लाख की कमी है। प्रदेश की सभी कक्षाओं में कमी आयी है। विशेषकर बीते सयाल की तुलना में कक्षा 1 में कुल (शासकीय व निजी) 6.63 लाख, शासकीय शालाओं में 6.06 लाख, कक्षा 5 से 6 के बीच कुल (शासकीय व निजी) 1.87 लाख, शासकीय शालाओं में 0.82 लाख, कक्षा 8 से 9 के बीच कुल (शासकीय व निजी) 2.85 लाख, तथा कक्षा 10 से 11 के बीच कुल (शासकीय व निजी) 2.72 लाख की कमी बनी हुई है।

भोपाल में स्थिति बेहद खराब


शिक्षा विभाग के आंकड़ों के अनुसार भोपाल की स्थिति अत्याधिक खराब है। प्रदेश में पहली से आठवीं तक बीते साल 292377 विद्यार्थियों (शासकीय व निजी) का नामांकन हुआ था, जबकि इस साल अब तक 205950 विद्यार्थियों का ही नामांकन हुआ है। यानी की इसमें बीते साल की तुलना में 70.4 फीसदी यानी 86427 विद्यार्थियों की कमी आयी है। यही वजह है कि इस मामले में भोपाल अन्य जिलों की तुलना में अंतिम पायदान पर पहुंच गया है।  भोपाल जिले में पहली से बारहवी के नामांकन में बीते साल की तुलना में 122759 विद्यार्थियों की कमी आई है। इतना ही नहीं पहली कक्षा में भी शासकीय स्कूलों में पिछले साल की तुलना में महज 39.17 फीसदी बच्चों नहीं प्रवेश लिया है।