काटजू महिला चिकित्सालय में शुरू होगा कांप्रिहेंसिव अबॉर्शन केयर सेंटर
भोपाल । देश और प्रदेश में संस्थागत प्रसव के लिए प्रयास दशकों से जारी हैं, लेकिन विषम परिस्थितियों में गर्भ समापन को लेकर ऐसी स्थिति नहीं दिखती। प्रदेश में अब…
भोपाल । देश और प्रदेश में संस्थागत प्रसव के लिए प्रयास दशकों से जारी हैं, लेकिन विषम परिस्थितियों में गर्भ समापन को लेकर ऐसी स्थिति नहीं दिखती। प्रदेश में अब इस दिशा में प्रयास शुरू हो गए हैं। राजधानी में स्थित कैलाशनाथ काटजू शासकीय महिला चिकित्सालय में एक और नई व्यवस्था होने जा रही है। यहां पर कांप्रिहेंसिव अबॉर्शन केयर (सीएसी) सेंटर खोला गया है। इसके लिए डाक्टरों को प्रशिक्षण देने की शुरुआत की जा रही है।
फिलहाल दो डॉक्टरों और दो नर्सों को प्रशिक्षित किया जा रहा
गर्भपात कराने वाली महिलाओं के लिए इसी सप्ताह से यह यूनिट शुरू हो जाएगी। इसके लिए तीन चिकित्सकों का पैनल प्रशिक्षण दे रहा है। स्वास्थ्य विभाग के निर्देश पर खोले जा रहे इस केंद्र में दो डॉक्टरों और दो नर्सों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। सीएसी में लंबी कानूनी प्रक्रिया है। अगर 20 सप्ताह तक की प्रेग्नेंसी है, तो एक ही डाक्टर की मंजूरी से अबॉर्शन गा, जबकि 24 सप्ताह यानी छह माह तक का गर्भ है तो दो डाक्टर पूरे जांच परीक्षण के बाद इस काम को पूरा करने की प्रक्रिया पूरी करेंगे।
गर्भ समाप्ति के दौरान एमटीपी की प्रक्रिया अपनाई जाएगी
गर्भपात के दौरान एमटीपी (मेडीकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी) की प्रक्रिया अपनाई जाएगी। कांप्रिहेंसिव अबॉर्शन केयर में लंबी प्रक्रिया है। इसके लिए फार्म भराया जाएगा। अगर सिर्फ महिला अबॉर्शन चाहती है, तो यह संभव नहीं होगा। इसके लिए पति की सहमति भी जरूरी होगी। दोनों ही सहमति के बाद पर्चा भरा जाएगा। उस पर हस्ताक्षर होंगे। इसके बाद विधिवत जांच की जाएगी। इसके बाद गर्भपात की प्रक्रिया अपनाई जाएगी। चिकित्सकों ने बताया कि कई महिलाएं अस्पताल आती हैं और बताती हैं कि बिना प्लानिंग के प्रिग्नेंसी आ गई है, जबकि परिवारिक परिस्थितियों के हिसाब से जरूरत नहीं थी। कई बार अन्य शारीरिक समस्याओं को लेकर महिलाएं बच्चा नहीं चाहती हैं। हर दिन ऐसी अनके महिलाएं अपनी परेशानी लेकर आती हैं। यहां आने वाली महिलाओं को कांप्रिहेंसिव अबॉर्शन केयर (सीएसी) के लिए जागरूक भी किया जाता है। उन्हें बताया जाता है कि वह कब गर्भधारण करें। इस दौरान किन-किन सावधानियों का ध्यान रखना चाहिए। ताकि जच्चा-बच्चा शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ्य रहें। ऐसे कई बिंदुओं की महिलाओं को जानकारी दी जाएगी।