ऐसा गांव जहां रात के अंधेरे में हर घर में घूमती थी मां दुर्गा, सुबह उठते ही दौड़े चले आते थे लोग

मान्यता है या अनसुनी कहानी? लेकिन स्थानीय लोग बताते है कि गांव के हर आंगन में मां दुर्गा को रात के अंधेरे में आते जाते हुए उन्होंने अपनी आंखों से…

ऐसा गांव जहां रात के अंधेरे में हर घर में घूमती थी मां दुर्गा, सुबह उठते ही दौड़े चले आते थे लोग

मान्यता है या अनसुनी कहानी? लेकिन स्थानीय लोग बताते है कि गांव के हर आंगन में मां दुर्गा को रात के अंधेरे में आते जाते हुए उन्होंने अपनी आंखों से देखा है. जी हां हम बात करें दरभंगा जिला मुख्यालय से लगभग 15 किलोमीटर दूर हायाघाट प्रखंड क्षेत्र के पौराम गांव की जहां स्थित है मां बागेश्वरी स्थान. स्थानीय लोगों का कहना है कि सदियों पहले मां दुर्गा की यहां उत्पत्ति हुई थी किसी के द्वारा यहां स्थापना नहीं की गई है और गांव के हर आंगन में रात को मां भगवती आई थी.

दरअसल, यहां एक विशालकाय पत्थर है जो जमीन से लगभग 2 से 3 फीट ऊपर निकला हुआ है अंदर का कोई अनुमान नहीं है. उसके आसपास छोटे-छोटे पत्थर के टुकड़े पाए जाते हैं जो रात के अंधेरे में गांव के हर आंगन में खुद-ब-खुद चले जाते हैं. सुबह घर वाले फिर से उसे पत्थर को भगवती स्थान पहुंच जाते हैं.

आज भी मन्नत मांगने आते हैं लोग
स्थानीय निवासी ललित झा बताते हैं कि यहां पर आषाढी नवरात्रि की पूजा होती है. सदियों पहले खुद से प्रकट हुई मां भगवती का स्थान है. पहले इस गांव के आंगन में मां दुर्गे घूमा करती थी. जो यहां बड़ा सा काला पत्थर स्थापित है उसके आसपास छोटे-छोटे पत्थर भी मौजूद रहते थे. जो कि गांव के विभिन्न घरों में रात में अपने आप चले जाते थे. सुबह उस घर के लोग मंदिर में उस पत्थर को पहुंचा जाते थे. मां दुर्गा की यह लीला देखने वाले लोगों में से आज भी कई लोग इस गांव में जीवित है. आज भी दूर दराज के लोग यहां अपनी मन्नतें मांगने आते हैं.