पाकिस्‍तान में जनता की आवाज उठाने वाले पत्रकारों पर बरस रहा कहर

इस्लामाबाद। सोचिए जिस देश में सच्चाई को सामने लाने वालों को ही मौत के घाट उतार दिया जा रहा है, वहां आमजन की क्या हालत होगी। आप सुनकर चौंक जाएंगे…

पाकिस्‍तान में जनता की आवाज उठाने वाले पत्रकारों पर बरस रहा कहर

इस्लामाबाद। सोचिए जिस देश में सच्चाई को सामने लाने वालों को ही मौत के घाट उतार दिया जा रहा है, वहां आमजन की क्या हालत होगी। आप सुनकर चौंक जाएंगे कि अभी तो यह साल बीता भी नहीं है और यहां अबतक सात पत्रकारों की हत्या की जा चुकी है। जी हां, एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इस साल के शुरुआती छह महीनों में रिकॉर्ड संख्या में पत्रकार मारे गए हैं। सबसे हालिया घटना की बात करें तो जून में खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में एक स्थानीय प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष खलील जिब्रान की हत्या कर दी गई थी। दरअसल, जिब्रान कार से कहीं जा रहे थे, तभी दो लोगों ने घात लगाकर हमला कर दिया था। इन बदमाशों ने पहले उन्हें कार से बाहर खींचा और फिर गोलियों से भून दिया।  पत्रकारों की हत्याओं की जांच करने वाले एक संगठन के लिए काम करने वाले आदिल जवाद ने बताया कि सात में से कम से कम चार पत्रकारों की हत्या के मामले उनके काम से संबंधित थे। बता दें, जिन लोगों की जान ली गई है उनमें पारंपरिक पत्रकार और नागरिक पत्रकार शामिल थे। अधिकत मौतें छोटे शहरों और कस्बों में हुई हैं, जहां पेशेवर पत्रकारों की पहचान बढ़ाने और नागरिक पत्रकारों को मंच देने में सोशल मीडिया की भूमिका सबसे अधिक महसूस की गई है। जवाद ने कहा कि ये हमले अपराधियों को बचाने के लिए किए जा रहे थे। 

53 में से मात्र दो मामलों में सजा

वहीं, प्रेस की स्वतंत्रता की वकालत करने वाले फ्रीडम नेटवर्क ने कहा कि 2012 और 2022 के बीच 53 पत्रकारों को उनके काम के चलते मार दिया गया था। जबकि सजा केवल दो मामलों के दोषियों को दी गई। हाल के वर्षों में पाकिस्तान में नागरिक पत्रकारिता में काफी वृद्धि हुई है, जिसकी वजह सोशल मीडिया का बढ़ना और मुख्यधारा के प्रेस पर अंकुश लगना है। आम लोगों ने बिगड़ती कानून व्यवस्था और भ्रष्टाचार को सामने लाने का बीड़ा उठा लिया है।मई के अंत में स्थानीय राजनेताओं, जमीन मालिकों और सामंती प्रभुओं को अपनी रिपोर्टिंग में जवाबदेह ठहराने के लिए जाने जाने वाले पत्रकार नसरुल्लाह गदानी की सिंध प्रांत के बदीन जिले में हत्या कर दी गई थी। इससे विरोध प्रदर्शनों की लहर चल पड़ी थी। उनके भाई याकूब गदानी ने आरोप लगाया था कि स्थानीय सांसद खालिद ने हत्या की साजिश रची। हालांकि, खालिद ने आरोपों से इनकार कर दिया है। गदानी की मौत से ठीक तीन दिन पहले उत्तरी वजीरिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा जिले में एक अन्य पत्रकार कामरान डावर की हत्या कर दी गई थी। 

गहन और पारदर्शी जांच हो

इन मौतों पर प्रतिक्रिया देते हुए इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट्स के महासचिव एंथनी बेलेंजर ने कहा था कि पाकिस्तान में पत्रकारों और मीडियाकर्मियों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का संवैधानिक अधिकार है। हालांकि, लक्ष्य बनाकर किए जा रहे हमले, और हत्याओं से यह अधिकार कमजोर हो जाता है। अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि मीडिया बिना डरे हुए काम करने के लिए स्वतंत्र हो। साथ ही उन्होंने मांग की थी कि इन हत्याओं की तत्काल, गहन और पारदर्शी जांच हो। रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स द्वारा प्रकाशित इस वर्ष के विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में पाकिस्तान दो पायदान नीचे गिरकर 180 देशों में से 152वें स्थान पर आ गया है। सूचकांक में कहा गया है कि पाकिस्तान पत्रकारों के लिए दुनिया के सबसे खतरनाक देशों में से एक है, जहां हर साल तीन से चार हत्याएं होती हैं, जो अक्सर भ्रष्टाचार या अवैध तस्करी के मामलों से जुड़ी होती हैं।