कड़ाके की ठंड से अभी राहत नहीं, अगले 5 दिन तक घने कोहरे और शीतलहर का अलर्ट…
उत्तर भारत में बीते कई दिनों से कड़ाके की ठंड पड़ रही है। घने कोहरे और शीतलहर ने मुश्किलें और ज्यादा बढ़ी दी हैं। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) का…
उत्तर भारत में बीते कई दिनों से कड़ाके की ठंड पड़ रही है।
घने कोहरे और शीतलहर ने मुश्किलें और ज्यादा बढ़ी दी हैं। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) का कहना है कि अगले 5 दिनों तक नॉर्थ इंडिया में बहुत घने कोहरे का प्रकोप जारी रहेगा।
आईएमडी ने अपने ताजा बुलेटिन में कहा कि अगले कुछ दिनों तक कोल्ड डे की स्थिति बने रहने की आशंका है।
पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ के अलग-अलग हिस्सों में अगले 4 दिनों तक घना से बहुत घना कोहरा छाए रहने की संभावना है।
सुबह और रात के वक्त शीतलहर की भी कुछ ज्यादा ही मार पड़ेगी। उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में 21 जनवरी तक कोहरे को लेकर अलर्ट जारी हुआ है। यहां अलग-अलग इलाकों में घने से बहुत घने कोहरे की स्थिति बन सकती है।
उत्तराखंड में 23 जनवरी तक सुबह के समय घने से बहुत घने कोहरे की स्थिति बनने वाली है। राजस्थान का हाल भी कुछ ऐसा ही है।
राज्य के उत्तरी हिस्सों में सुबह के समय घना से बहुत घना कोहरा अपना प्रकोप दिखाएगा। राजस्थान के लोगों को अभी आने वाले तीन दिनों तक कोहरे का सामना करना होगा और शीतलहर जारी रहेगी।
इसके अलावा, 23 तारीख तक बिहार, असम, मेघालय, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा के अलग-अलग इलाकों में घना कोहरा छाए रहने की संभावना है।
ओडिशा, पश्चिम बंगाल, सिक्किम, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश और झारखंड भी कोहरे की चपेट में होंगे। इस तरह देश के कई इलाकों गलन भले ही थोड़ी कम हो गई हो मगर कोहरे की मार अभी जारी रहेगी।
पश्चिमी विक्षोभ की कमी के कारण मौसम में बदलाव
पश्चिमी हिमालय क्षेत्र में दिसंबर में 80 प्रतिशत वर्षा की कमी दर्ज की गई और जनवरी अब तक लगभग शुष्क रही है। IMD ने इसके लिए इस सर्दी के मौसम में सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ की कमी को जिम्मेदार ठहराया है।
आईएमडी ने कहा कि सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ की कमी 25 दिसंबर से क्षेत्र के मैदानी इलाकों में कोहरे की परत छाए रहने की वजह भी है।
सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ की मौसम प्रणाली भूमध्यसागरीय क्षेत्र में उत्पन्न होती है और उत्तर पश्चिम भारत में बेमौसम बारिश लाती है।
लद्दाख के लेह में मौसम विज्ञान केंद्र के प्रमुख सोनम लोटस ने कहा कि वर्षा की कमी से हिमालय क्षेत्र में मीठे पानी की उपलब्धता प्रभावित होने की संभावना है, जिससे बागवानी और कृषि उत्पादन प्रभावित होगा।
लंबे समय तक सूखे के दौर ने क्षेत्र की नदियों और नालों में जल स्तर को कम कर दिया है।