दोनों मुसलमान देश, फिर क्यों भिड़े रहते हैं ईरान और पाकिस्तान; क्या है बलोच वाली जंग…
अकसर इस्लामिक देशों की एकता की दुहाई देने वाले ईरान और पाकिस्तान के बीच इन दिनों ठनी हुई है। मंगलवार की रात को ईरान ने पाकिस्तान पर मिसाइल अटैक कर…
अकसर इस्लामिक देशों की एकता की दुहाई देने वाले ईरान और पाकिस्तान के बीच इन दिनों ठनी हुई है।
मंगलवार की रात को ईरान ने पाकिस्तान पर मिसाइल अटैक कर दिया था तो वहीं अब पाक ने जवाबी कार्रवाई कर दी है। दोनों ओर से दावा किया जा रहा है कि उन्होंने सीमा पार सक्रिय आतंकवादियों के ठिकानों को निशाना बनाया है।
पाकिस्तान का कहना था कि उसकी सप्रभुता पर ईरान ने हमला किया है, ऐसे में उसका जवाबी कार्रवाई का हक है। वहीं ईरान का कहना है कि उसने जैश अल-अदल नाम के आतंकी संगठन को टारगेट किया है।
खैर, इस जंग के बीच सवाल यह है कि दोनों मुस्लिम देश हैं। फिलिस्तीन जैसे मामले पर इस्लाम की दुहाई देते हुए एकता की भी बात करते हैं।
फिर ईरान और पाकिस्तान के बीच इतना संघर्ष क्यों है? दरअसल इसका जवाब दोनों ही देशों के एक आतंरिक मसले में छिपा है।
इसे लेकर दोनों एक-दूसरे पर आरोप लगाते रहते हैं। पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में बलोचों की बड़ी आबादी रहती है।
इसके अलावा ईरान के सिस्तान में भी बलूचों का एक तबका रहता है। बलोच इतिहास को समझने वाले कहते हैं कि इनकी संस्कृति भी ईरान से ही मेल खाती है, लेकिन शिया बहुल ईरान में ये उत्पीड़न का आरोप लगाते हैं।
यही नहीं जैश अल-अदल जैसे कुछ आतंकी संगठन तो बलूचिस्तान और सिस्तान को मिलाकर एक अलग देश ही बनाने की वकालत करते हैं।
कुल मिलाकर यह मामला एक अलग बलोच पहचान और उसके लिए अलग मुल्क से जुड़ा है। ईरान में बलोच उत्पीड़न का आरोप लगाते रहे हैं और पाकिस्तान में भी ऐसा ही है।
पाकिस्तान में बलोच लिबरेशन आर्मी जैसे कई संगठन हैं, जो उसकी सरकार और सेना के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह करते रहे हैं। वहीं ईरान में जैश अल-फदल विद्रोही रहा है।
अब मसला यह है कि ईरान अकसर कहता है कि जैश अल-फदल ने पाकिस्तान में बेस बना रखा है और वहीं से ईरान के सीमांत सिस्तान प्रांत में हमले करता है। यही नहीं वह सेना को भी सीमा पर निशाना बनाता है।
सऊदी और अमेरिका पर भी जैश अल-फदल के सपोर्ट का आरोप
ईरान का कहना है कि इसी संगठन के दो ठिकानों को उसने एयरस्ट्राइक कर के नेस्तनाबूद किया है। वहीं पाकिस्तान का कहना है कि बलोच लिबरेशन आर्मी जैसे संगठनों को ईरान से समर्थन हासिल है।
इस तरह दोनों इस्लामी मुल्क होने के बाद भी बलोचों के मसले पर आमने-सामने हैं। इसके अलावा शिया और सुन्नी वाला मतभेद भी दोनों में वैसी एकता नहीं होने देता, जैसी सऊदी अरब से पाकिस्तान की है।
ईरान का तो कहना रहा है कि जैश अल-फदल को पाकिस्तान के अलावा सऊदी अरब और ईरान से भी समर्थन हासिल है।
ईरान के अलावा किन देशों ने लगा रखा है बैन
जैश अल-फदल की 2012 में स्थापना हुई थी। उसके बाद से ही वह ईरान की सेना को निशाना बनाता रहा है। इसे ईरान, जापान, न्यूजीलैंड और अमेरिका ने प्रतिबंधित कर रखा है और आतंकी संगठन घोषित किया है।
फिलहाल इस संगठन का मुखिया सलाहुद्दीन फारूकी है, जिसके भाई आमिर नौरी को तालिबान ने मार गिराया था। इसने ईरान पर सबसे पहला हमला 2013 में बोला था और तब से लगातार ऐसा होता रहा है।
बीते साल दिसंबर में भी इस संगठन ने ईरान की सेना पर हमला किया था, जिसमें 10 सैनिक मारे गए थे।