क्या राज्य का माहौल खराब करने आए हैं राहुल गांधी, मणिपुर के सीएम ने पूछा…
मणिपुर से राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस की ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ शुरू होने पर राज्य के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने सवाल किया कि क्या ये रैलियां करके…
मणिपुर से राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस की ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ शुरू होने पर राज्य के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने सवाल किया कि क्या ये रैलियां करके राजनीति करने का समय है।
पूर्वोत्तर राज्य में भाजपा सरकार का नेतृत्व करने वाले सिंह ने यह भी पूछा कि क्या गांधी मणिपुर में बेहतर हो रही स्थिति में गड़बड़ी करने आए हैं।
देश के पूर्वी क्षेत्र से पश्चिम तक गांधी की दो महीने से अधिक लंबी यात्रा 110 जिलों से गुजरने के बाद मार्च में मुंबई में समाप्त होगी।
मुख्यमंत्री ने इंफाल में एक कार्यक्रम से इतर संवाददाताओं के सवालों के जवाब में कहा, ”राज्य के मौजूदा हालात को देखते हुए क्या यह रैली आयोजित कर राजनीति करने का समय है? यह समय जान-माल की रक्षा करने और सांत्वना देने का है।”
उन्होंने आरोप लगाया कि यह वास्तव में ;भारत तोड़ो; यात्रा है, न कि भारत जोड़ो यात्रा। सिंह ने कहा, ”स्थिति बेहतर हो रही है और हमें संदेह है कि क्या वह (गांधी) इसमें गड़बड़ी करने आए हैं।
जब भी वह आते हैं तो दिक्कत हो जाती है। इस बार मणिपुर सतर्क है। अगर वह आते हैं, तो हमें सतर्क रहना होगा ताकि वह चीजों में गड़बड़ी न कर सकें।
राज्य में हिंसा भड़कने के कुछ सप्ताह बाद गांधी ने पिछले साल जून में दो दिन के लिए मणिपुर का दौरा किया था और कई जिलों में राहत शिविरों में रह रहे प्रभावित लोगों से मुलाकात की थी।
हालांकि, रास्ते में हिंसा की आशंका के चलते पुलिस ने इंफाल से चुराचांदपुर जा रहे उनके काफिले को रोक दिया था, जिससे कई घंटों तक अफरा-तफरी मची रही। अंतत: कांग्रेस नेता ने चुराचांदपुर पहुंचने के लिए हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल किया था।
मणिपुर में मेइती और कुकी समुदायों के बीच जातीय हिंसा में अब तक 180 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। मेइती समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में ;आदिवासी एकजुटता मार्च आयोजित किए जाने के बाद तीन मई को पहली बार झड़पें हुई थीं।
मणिपुर में मेइती लोगों की आबादी लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं, जबकि आदिवासियों-नगा और कुकी समुदाय की आबादी 40 प्रतिशत है जो पर्वतीय जिलों में रहते हैं।
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