UGC ने छत्तीसगढ़ की पांच शासकीय विश्वविद्यालय को डिफाल्टर घोषित किया

 रायपुर  छत्तीसगढ़ की पांच शासकीय यूनिवर्सिटी को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने डिफाल्टर घोषित कर दिया है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के द्वारा देशभर की 157 विश्वविद्यालयों को डिफॉल्टिंग यूनिवर्सिटी की कैटेगरी…

UGC ने छत्तीसगढ़ की पांच शासकीय विश्वविद्यालय को डिफाल्टर घोषित किया

 रायपुर
 छत्तीसगढ़ की पांच शासकीय यूनिवर्सिटी को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने डिफाल्टर घोषित कर दिया है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के द्वारा देशभर की 157 विश्वविद्यालयों को डिफॉल्टिंग यूनिवर्सिटी की कैटेगरी में डाला गया है जिसमें छत्तीसगढ़ के भी पांच शासकीय विश्वविद्यालय है। शिक्षा सत्र शुरू होने के तुरंत पहले ही यूजीसी के इस कदम से हड़कंप मच गया है।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने लोकपाल नहीं रखने पर देशभर की कुल 157 यूनिवर्सिटी को चिन्हित कर डिफाल्टर घोषित किया है। जिनमें 108 राजकीय यूनिवर्सिटी, दो डीम्ड विश्वविद्यालय और 47 प्राइवेट यूनिवर्सिटी शामिल है। छत्तीसगढ़ के भी पांच राज्य विश्वविद्यालय इसमें शामिल है। जिन्हें डिफाल्टर घोषित किया गया है।

17 राज्य यूनिवर्सिटी में से 5 को डाला गया डिफाल्ट सूची:–

छत्तीसगढ़ के 17 शासकीय विश्वविद्यालयों में से पांच विश्वविद्यालयों को डिफाल्टर सूची में डाला गया है। जिनमें आयुष एंड हेल्थ साइंस यूनिवर्सिटी अटल नगर नया रायपुर, छत्तीसगढ़ कामधेनू विश्वविद्यालय अंजोरा दुर्ग, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय कृषक नगर रायपुर, महात्मा गांधी उद्यानिकी और वानिकी विश्वविद्यालय सांकरा पाटन जिला दुर्ग, शहिद नंद कुमार पटेल यूनिवर्सिटी रायगढ़ शामिल है। इसके पूर्व जो सूची जारी की गई थी उसमें भी इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय का नाम था।

क्या पड़ेगा फर्क:–

बता दे कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा किसी यूनिवर्सिटी को जब डिफाल्टर की श्रेणी में डाला जाता है तो तत्काल में उसकी मान्यता या एडमिशन की परमिशन पर तो कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। पर दीर्घकालीक इसका प्रभाव होता है। लगातार 2 बार यदि किसी यूनिवर्सिटी को डिफाल्टर की श्रेणी में डाल दिया जाए तो उसकी रैंकिंग गिरने लगती है। यूजीसी द्वारा की जा रही यूनिवर्सिटी के ग्रेडेशन में भी स्टैंडर्ड गिरता है। माना जा सकता है कि यूजीसी के द्वारा विश्वविद्यालयों को यह एक प्रकार से जारी की गई चेतवानी हैं। जिसका बार-बार पालन नहीं करने पर संबद्धता में भी असर पड़ता है।

क्या है विश्वविद्यालय लोकपाल:–

जिस प्रकार बैंक संबंधित शिकायतों के लिए बैंकिंग लोकपाल, महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना में शिकायतों को सुनने के लिए मनरेगा लोकपाल की नियुक्ति की जाती ह ठीक उसी तरह विश्वविद्यालयों की गड़बड़ियों व कमियों की शिकायत के लिए विश्वविद्यालय लोकपाल की नियुक्ति की जाती है। यदि छात्र को परीक्षा नियंत्रक, कुलसचिव या किसी अन्य यूनिवर्सिटी के अधिकारियों की शिकायत करनी हो, परीक्षा में धांधली की शिकायत करनी हो, परीक्षा शुल्क संबंधित या प्रवेश शुल्क संबंधित शिकायतें हो, इनके अलावा अन्य भी किसी किस्म की शिकायत हो तो विश्वविद्यालय लोकपाल के समक्ष शिकायत की जा सकती है। इसमें शिकायतों के निराकरण हेतु समय सीमा भी निर्धारित है। लोकपाल ना होने से छात्रों के समक्ष या समस्या होती है कि वह कहां अपनी शिकायत करें। ज्ञातव्य है कि 6 माह पहले यूजीसी द्वारा जारी सूची में अटल यूनिवर्सिटी बिलासपुर समेत यूनिवर्सिटीस को डिफाल्टर घोषित किया गया था। पर 6 माह बाद जारी सूची में लोकपाल नियुक्त करने के चलते इन्हें डिफाल्टर की श्रेणी से हटा लिया गया।

लोकपाल नियुक्त करने हेतु विश्वविद्यालय के सेवानिवृत कुलपति,पूर्व जिला जज या न्यूनतम 10 वर्षों का अनुभव रखने वाले प्राध्यापक पात्र है। यूजीसी ने ईमेल आइडी जारी कर निर्देश दिया है कि जो विश्वविद्यालय लोकपाल नियुक्त कर चुके हैं अथवा बाद में करेंगे तो ईमेल के जरिए लोकपालों की जानकारी साझा कर सकते है।