मप्र में आईएएस की कमी और बढ़ी
इम्पैनल से और गड़बड़ा गया ब्यूरोक्रेसी का पिरामिड भोपाल । मप्र में ब्यूरोक्रेट्स की कमी लगातार बनी हुई है। ऐसे में मप्र कैडर के नौ आईएएस अधिकारियों को केंद्र सरकार…
इम्पैनल से और गड़बड़ा गया ब्यूरोक्रेसी का पिरामिड
भोपाल । मप्र में ब्यूरोक्रेट्स की कमी लगातार बनी हुई है। ऐसे में मप्र कैडर के नौ आईएएस अधिकारियों को केंद्र सरकार ने ज्वाइंट सेक्रेट्री के पद के लिए इम्पैनल किया है। इनमें से छह आईएएस पहले से ही केंद्र में सेवाएं दे रहे हैं। ऐसे में एमपी में सेवाएं दे रहे शेष बचे तीन अधिकारी जल्द ही केंद्र में सेवाएं देने के लिए प्रतिनियुक्ति पर जा सकते हैं। इससे पहले से आईएएस अफसरों की कमी का रोना रो रहे प्रदेश में 3 और अधिकारी कम हो जाएंगे।
गौरतलब है कि मप्र में ब्यूरोक्रेसी का पूरा पिरामिड उलटा-पुलटा हो गया है। फील्ड से अफसर गायब और मुख्यालय में यह टॉप हैवी हो गए हैं। टॉप हैवी यानी तय क्षमता से ज्यादा। कार्मिक मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार मप्र में 1018 अफसरों की जरूरत है, लेकिन सिर्फ 842 ही काम कर रहे हैं। इनमें आईएएस के 417 में 342, आईपीएस के 305 में से 249 और आईएफएस के 296 में से 251 अफसर हैं। अभी भी 176 अफसरों की दरकार मप्र को है। समस्या यह है कि मप्र में जो 842 अफसर हैं, इनमें से करीब 190 अधिकारी मुख्यालय में हैं। यह सेंक्शन पोस्ट से भी अधिक हो गए हैं, जबकि फील्ड में महज 20 फीसदी ही हैं। मप्र में आईएएस अफसरों की कुल संख्या 417 है। इनमें से 342 अफसर ही मप्र के पास हैं। उधर इस नए इम्पैनलमेंट के बाद केंद्र सरकार और केंद्र के आदेश के माध्यम से दूसरे राज्यों में सेवाएं दे रहे आईएएस अफसरों की संख्या 40 तक पहुंच गई है। यानी मप्र में 304 आईएएस अफसर ही बच जाएंगे।
इनका हुआ इम्पैनल
केंद्रीय कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग द्वारा जारी किए गए नए इम्पैनल आदेश में 2008 बैच के एमपी कैडर के जिन अधिकारियों को केंद्र में ज्वाइंट सेक्रेट्री के पद पर इम्पैनल किया गया है उनमें छवि भारद्वाज, नंदकुमारम, विश्वनाथन एस, जेपी आईरिन सिंथिया, कृष्ण गोपाल तिवारी, सिबि चक्रवर्ती एम, विशेष गढ़पाले, वी किरण गोपाल, सुरभि गुप्ता के नाम शामिल हैं। डीओपीटी ने इसके आदेश 13 जून को जारी किए हैं जिसमें 64 अधिकारी शामिल हैं और इसमें एमपी के 9 आईएएस अधिकारियों के नाम हैं। जिन अधिकारियों को केंद्र में ज्वाइंट सेक्रेट्री पद पर इम्पैनल किया गया है उनमें छवि भारद्वाज, नंदकुमारम, विश्वनाथन एस, आईरिन सिंथिया जेपी, ब्रिर्दोष गढ़पाले पहले से ही केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर हैं। छवि भारद्वाज और नंदकुमारम एलबीएसएनएए मसूरी में उप संचालक पद पर पदस्थ हैं।
ये पहले से केंद्र में डेपुटेशन पर
मप्र कैडर के जो आईएएस अधिकारी पहले से ही डेपुटेशन पर हैं उनमें अनुराग जैन, आशीष उपाध्याय, अलका उपाध्याय, मनोज गोविल, पंकज अग्रवाल, आशीष श्रीवास्तव, वीएल कांताराव, नीलम शमी राव, दीप्ति गौड़ मुखर्जी, विवेक अग्रवाल, हरिरंजन राव, पल्लवी जैन गोविल, नीतेश व्यास, फैज अहमद किदवई, केरोलिन खॉगवार देशमुख, आकाश त्रिपाठी के नाम हैं। इसके अलावा ज्ञानेश्वर पाटिल, राहुल जैन, भावना वालिम्बे, स्वाती मीणा नायक, संकेत एस भोंडवे, शशांक मिश्रा, विकास नरवाल, विशेष गढ़पाले, वी किरण गोपाल, तेजस्वी नायक, गणेश शंकर मिश्रा, षणमुगा प्रिया मिश्रा, विजय कुमार जे, बी विजय दत्ता, आशीष भार्गव और रूही खान भी केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर हैं। इनमें से भावना वालिम्बे जनगणना निदेशालय एमपी में ही केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर हैं।
डीपीसी नहीं होने से अटका पांच एएसपी का प्रमोशन
उधर, मप्र आईएएस अधिकारियों के साथ ही आईपीएस के प्रमोशन में लगातार पिछड़ता जा रहा है। खासकर प्रदेश पुलिस विभाग में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक की डीपीसी में मप्र सभी राज्यों में पिछड़ गया है। पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक 1995 और 1997 बैच के राज्य पुलिस सेवा के अफसरों की डीपीसी छह महीने से लंबित है। मप्र में 1995 और 1997 बैच के पांच अतिरिक्त पुलिस अधीक्षकों की डीपीसी होना थी, लेकिन छह माह गुजर जाने के बाद भी डीपीसी नहीं हुई है। भारत के अन्य राज्यों के इसी बैच के पुलिस अधिकारियों की डीपीसी कर उन्हें आईपीएस अवॉर्ड दिया जा चुका है। टीकमगढ़ जिले के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सीताराम ने बताया कि हम लोगों का समय से डीपीसी नहीं हुई है। उन्होंने बताया कि 1995 बैच के प्रकाश सिंह परिहार जो सहायक पुलिस महानिरीक्षक इंदौर के पद पर कार्यरत हैं। दिलीप सोनी 1997 बैच के एएसपी उज्जैन में पदस्थ हैं। अवधेश प्रताप सिंह बागरी 1997 बैच के हैं, जो छिंदवाड़ा में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक हैं। राजेंद्र वर्मा 1997 बैच के राज्य सेवा पुलिस के अधिकारी हैं। इन सभी राज्य सेवा के अधिकारियों की जनवरी में डीपीसी होना थी। इसके बाद उन्हें आईपीएस अवॉर्ड होना था। अभी तक डीपीसी नहीं हुई है। मध्य प्रदेश राजपत्रित अधिकारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष जितेंद्र सिंह कहते हैं कि यह प्रशासनिक प्रक्रिया है जो चलती रहती है। जिन लोगों का प्रमोशन नहीं हुआ है, वह अच्छी तरह से बता सकते हैं। पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार डीजी पुलिस ने इन सभी अधिकारियों की फाइल तैयार कर गृह मंत्रालय को जनवरी में भेजी थी। डीपीसी के लिए मध्य प्रदेश के एक अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि मध्य प्रदेश के जिन पांच पुलिस अधिकारियों की डीपीसी होना है, उनमें तीन अनुसूचित जाति, एक अनुसूचित जनजाति और एक पिछड़ा वर्ग से हैं।
प्रमोशन में मध्य प्रदेश फिसड्डी
भारत के अन्य राज्यों की मध्य प्रदेश से तुलना करें तो मध्य प्रदेश पुलिस विभाग के राजपत्रित अधिकारियों के प्रमोशन में सबसे ज्यादा फिसड्डी साबित हो रहा है। छत्तीसगढ़ में जहां 1998 तक, जम्मू कश्मीर में 1999, हिमाचल प्रदेश में 2000, दिल्ली में 2001, गोवा में 2001, तमिलनाडु में 2002, हरियाणा में 2004, महाराष्ट्र में 2004, मेघालय में 2004, बिहार में 2005, उत्तराखंड में 2005, वेस्ट बंगाल में 2009, गुजरात में 2010, आंध्र प्रदेश में 2010, तेलंगाना में 2010 और कर्नाटक में 2012 बेच के राजपत्रित अधिकारियों के प्रमोशन हो चुके हैं। मध्य प्रदेश में 1997 बैच के राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के प्रमोशन यानी की डीपीसी नहीं हुई है।