सिर्फ नागपंचमी पर खुलता है ये नाग मंदिर, दुर्गम खाई में यहां 13 KM तक सजेगा मेला, तैयारियां शुरू

9 अगस्त को नागपंचमी का पर्व मनाया जाएगा. नागपंचमी पर नर्मदापुरम में बड़ा मेला लगता है, जहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. सभी की आस्था का केंद्र दुर्गम…

सिर्फ नागपंचमी पर खुलता है ये नाग मंदिर, दुर्गम खाई में यहां 13 KM तक सजेगा मेला, तैयारियां शुरू

9 अगस्त को नागपंचमी का पर्व मनाया जाएगा. नागपंचमी पर नर्मदापुरम में बड़ा मेला लगता है, जहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. सभी की आस्था का केंद्र दुर्गम रास्तों से होते हुए पचमढ़ी के गुफा में स्थित नाग मंदिर के प्रति होती है. सबसे खास बात ये कि यह मंदिर साल में सिर्फ एक बार नागपंचमी के दिन ही खुलता है.

यही वजह है कि यहां भारी भीड़ उमड़ती है. मेले की व्यवस्था को लेकर तैयारियां शुरू कर दी गई हैं. जिला प्रशासन के 13 विभागों के अधिकारियों का दल गठित किया है. यह दल 15 जून को 13 किलोमीटर गहरी खाई में उतरकर निरीक्षण करेगा. बाबा अमरनाथ की तरह दुर्गम और खतरनाक पचमढ़ी की नागद्वारी की यात्रा बेहद कठिन मानी जाती है.

महादेव मेला समिति द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि मेला क्षेत्र में व्यवस्था को बनाने के लिए अधिकारियों की टीम जलगलि से कालाझाड़, जोड़ नाला, हनुमान गिरी, चित्रशाला, चिंतामणी गुफा, स्वर्गद्वार, पश्चिम द्वार, नागद्वारी से काजरी तक निरीक्षण करेगी. टीम 15 जून की सुबह 5 बजे पचमढ़ी के ओल्ड होटल मैदान से रवाना होगी.

10 दिन पहले से शुरू होगा मेला
बता दें कि 9 अगस्त को पड़ने वाली नागपंचमी के लगभग 10 दिन पहले से नागद्वारी मेला शुरू हो जाएगा. इसमें एमपी, महाराष्ट्र सहित अन्य प्रदशों से लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचेंगे. गहरी खाई में उतरकर नाग मंदिर में नाग देवता का पूजन करेंगे. खाई में आवागमन के लिए बनने वाले अस्थाई रास्ता का निरीक्षण करने के लिए ही टीम बनाई गई है.

ये सुविधाएं होंगी
एसडीएम पिपरिया संतोष तिवारी ने बताया कि अधिकारियों की टीम 13 किलोमीटर की दुर्गम पदयात्रा कर नाग मंदिर तक जाएगी. नागद्वारी के रास्ते में पांच जगह ऊंची चट्टान से श्रद्धालुओं को आवागमन करना पड़ता है. यहां श्रद्धालुओं के उतरने और चढ़ने के लिए लोहे की सीढ़ियां लटकाई जाती हैं. साल भर ये चट्टानों पर ही लटकी रहती हैं. इनका भी टीम निरीक्षण करेगी. जलगलि से दुर्गम खाई में जाने वाले रास्ते में कई जगह मेडिकल कैंप लगाए जाएंगे. श्रद्धालुओं के ठहरने और पेयजल की व्यवस्था की जाएगी. खानपान सहित अन्य सामानों की खरीदारी के लिए खाई में जगह-जगह अस्थाई दुकानें होंगी. लोगों को रोजगार भी मिलेगा.