एनआईटी रायपुर में भारत की विदेश नीतियों पर वार्ता सत्र का हुआ आयोजन
रायपुर राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) रायपुर में स्टूडेंट एंड मिनिस्ट्री ऑफ एक्सटर्नल अफेयर्स इंगेजमेंट प्रोग्राम (समीप) के अंतर्गत छात्रों के लिए वार्ता सत्र का आयोजन किया गया। सत्र के मुख्य…
रायपुर
राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) रायपुर में स्टूडेंट एंड मिनिस्ट्री ऑफ एक्सटर्नल अफेयर्स इंगेजमेंट प्रोग्राम (समीप) के अंतर्गत छात्रों के लिए वार्ता सत्र का आयोजन किया गया। सत्र के मुख्य अतिथि जीईसी-एनआईटी रायपुर के भूतपूर्व छात्र एवं विदेश मंत्रालय में लैटिन अमेरिका और कैरिबियन के एडिशनल सेक्रेटरी जी. वी. श्रीनिवास रहे। इस कार्यक्रम में संस्थान के डायरेक्टर डॉ. एन. वी. रमना राव, डीन (एकेडमिक्स) डॉ. श्रीश वर्मा, डीन (शोध एवम अधिष्ठाता) डॉ. प्रभात दीवान, फैकल्टी मेंबर्स, रिसर्च स्कॉलर्स और छात्र उपस्थित थे। कार्यक्रम के समन्वयक इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग के प्रमुख डॉ. तोषन मीनपाल रहे।
कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य छात्रों और शिक्षाविदों को भारतीय विदेश नीति की प्रमुख विशेषताओं, उपलब्धियों और सफलता की कहानियों से उन्हें अवगत कराना था। डॉ. श्रीश वर्मा ने सभी का सत्र में स्वागत किया और अतिथिगण का परिचय करवाया। उन्होंने विदेश नीति और उसके प्रति जागरूकता के महत्व में बात की। डॉ. रमना राव ने विदेश मंत्रालय द्वारा छात्रों के लिए संचालित विभिन्न प्रोग्राम्स जैसे स्पार्क, ज्ञान, वज्र आदि के बारे में चर्चा की। इसके बाद श्री जी. वी. श्रीनिवास ने सभी को भारतीय संस्थान और विदेशी संस्थानों के बीच संबंधों को मजबूत बनाने और उसे नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए मार्गदर्शन दिया। उन्होंने छात्रों के संदर्भ में विदेश मंत्रालय की नीतियों के बारे में चर्चा की और जीवन में अनुशासन के महत्व पर जोर डाला।
उन्होंने सिंगापुर का उदाहरण देकर अनुशासन के महत्व को बताया। उन्होंने समझाया कि असली सफलता पहली बार में जीतने में नहीं है जबकि असली सफलता वह है जब आप असफल होने के बाद अपनी योग्यता के अनुसार जोखिम लेकर पुन: प्रयास करते है। उन्होंने बीते समय में दुनिया में हुई घटनाओं के बारे में बात की और उनमें भारत की भूमिका के विषय में चर्चा की। इसके बाद उन्होंने विदेश मंत्रालय में अपने कार्यकाल के अनुभव साझा किए। उन्होंने जी 20 समिट की सफलता के बारे में बात की और भारत के संदर्भ में इसका महत्व समझाया। इसके अलावा उन्होंने भारत के बढ़ते विदेशी संबंधों, उपलब्धियों, विदेश मंत्रालय से जुडने के रास्तों, मंत्रालय के काम करने के तरीकों के बारे में विस्तार से चर्चा की। उन्होंने सभी से हमेशा अपना सर्वश्रेष्ठ देने के लिए प्रेरित किया। अंत में प्रश्नोत्तर सत्र में उन्होंने छात्रों और फैकल्टी के विदेशी संस्थाओ के साथ काम करने संबंधी प्रश्नों का जवाब दिया और इससे संबंधित नीतियों के प्रश्नों के उत्तर दिए।
डॉ. तोषन मीनपाल ने सभी अतिथियों और आयोजन समिति के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करते हुए सत्र का समापन किया और कहा कि यह कार्यक्रम सभी उपस्थित लोगों के लिए एक यादगार और ज्ञानवर्धक अनुभव होगा।