राजनांदगांव लोकसभा में बीजेपी-कांग्रेस में कांटे की टक्कर, संतोष आगे तो पूर्व सीएम भूपेश बघेल पिछड़े
राजनांदगांव. लोकसभा चुनाव के लिए मतदान के बाद आज मतगणना हो रही है। रुझानों में एनडीए बहुमत का आंकड़ा पार कर चुका है लेकिन इंडिया गठबंधन को भी अच्छी खासी…
राजनांदगांव.
लोकसभा चुनाव के लिए मतदान के बाद आज मतगणना हो रही है। रुझानों में एनडीए बहुमत का आंकड़ा पार कर चुका है लेकिन इंडिया गठबंधन को भी अच्छी खासी सीटें मिल रही हैं। दोनों के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है। दोपहर बाद तस्वीरें साफ हो पाएंगी। इधर छत्तीसगढ़ की राजनांदगांव सीट से राज्य के पूर्व सीएम भूपेश बघेल मैदान में हैं जिसके चलते सब की निगाहें इस सीट पर बनी हुई हैं।
काफी दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल रहा है। बीजेपी ने मौजूदा सांसद संतोष पांडेय पर दांव खेला है। वोटों कि गिनती जारी है फिलहाल यहां से भाजपा के संतोष पांडेय आगे चल रहें हैं। राजनांदगांव से प्रदेश के पूर्व सीएम और वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह विधायक चुने गए हैं, इस लिहाज से भी यह सीट खास हो जाती है। बीजेपी के संतोष पांडेय यहां से सांसद हैं। इतना ही नहीं बीजेपी ने यहां से लगातार 4 बार जीत हासिल की है। राजनांदगांव लोकसभा सीट में 8 विधानसभा क्षेत्र आते हैं, जिसमें राजनांदगांव, खुज्जी, मोहला मानपुर, डोंगरगांव, खैरागढ़, डोंगरगढ़, कवर्धा और पंडरिया शामिल हैं।
पिछले चुनाव के परिणाम
राजनांदगांव लोकसभा सीट में हुए पिछले पांच चुनावों में बीजेपी ने यहां से जीत हासिल की है। हालांकि बीच में एक उपचुनाव हुआ जिसमें कांग्रेस को जीत मिली थी। 1999 में इसी सीट से डॉ. रमन सिंह जीते थे। 2004 में प्रदीप गांधी को जीत हासिल हुई थी, फिर 2007 के उपचुनाव में कांग्रेस के देवव्रत सिंह ने जीत दर्ज की थी। 2009 में मधुसूदन यादव यहां से सांसद बने। फिर 2014 में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के बेटे अभिषेक सिंह यहां से सांसद बने। 2019 में बीजेपी ने संतोष पांडे को मौका दिया और वह सांसद बने।
गौरवशाली रहा है राजनांदगांव का इतिहास
राजनांदगांव का इतिहास काफी गौरवशाली रहा है। इसे छत्तीसगढ़ की संस्कारधानी भी कहा जाता है यहां पर प्रसिद्ध राजवंशों जैसे सोमवंशी, कालचुरी बाद में मराठाओं द्वारा शासन किया गया था। पहले राजनांदगांव को नंदग्राम कहा जाता था। 1973 में राजनांदगांव को दुर्ग जिले से अलग करके नया जिला बनाया गया था फिर 1998 में इसके कुछ हिस्सें को अलग कर कबीरधाम जिला बना। खैरागढ़ में इंदिरा कला एवं संगीत विश्वविद्यालय है तो डोंगरगढ़ में मां बम्लेश्वरी का विश्व प्रसिद्ध मंदिर है। यहीं पर बौद्ध धर्म के अलावा जैन धर्म का भी बड़ा धार्मिक स्थल भी है।