हफ्ते भर में नीतीश के दूसरे सिग्नल से मुश्किल में कांग्रेस, अरुणाचल में JDU ने क्यों उम्मीदवार उतारा…
बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल यूनाइटेड के अध्यक्ष नीतीश कुमार ने हफ्ते भर के अंदर दूसरी बार ऐसा सिग्नल दिया है, जिससे कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं।…
बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल यूनाइटेड के अध्यक्ष नीतीश कुमार ने हफ्ते भर के अंदर दूसरी बार ऐसा सिग्नल दिया है, जिससे कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं।
इंडिया अलायंस में अभी 28 सहयोगी दलों के बीच लोकसभा चुनाव के लिए सीटों का बंटवारा नहीं हुआ है, बावजूद इसके उनकी अध्यक्षता वाली जेडीयू ने अरुणाचल प्रदेश की एक लोकसभा सीट से अपने उम्मीदवार का ऐलान कर दिया है।
इस एकतरफा फैसले ने कांग्रेस को आश्चर्यचकित कर दिया है और इससे इंडिया अलायंस में खलबली मच गई है।
बड़ी बात ये है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार दूसरे नंबर पर रहे थे।
जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव और पूर्वोत्तर क्षेत्र के प्रभारी अफाक अहमद खान ने बुधवार को कहा कि उनकी पार्टी की अरुणाचल इकाई की अध्यक्ष रूही तागुंग अरुणाचल पश्चिम सीट से अगला लोकसभा चुनाव लड़ेंगी। खान ने यह भी कहा कि यह घोषणा पार्टी अध्यक्ष नीतीश कुमार के निर्देश पर की गई है।
अभी, जब इंडिया गठबंधन के घटक दलों के बीच सीट बंटवारा नहीं हुआ है, तब नीतीश कुमार द्वारा दो कदम आगे बढ़ाकर अरुणाचल में कैंडिडेट उतारने के सियासी कदम को नीतीश कुमार का प्रेशर टैक्टिक समझा जा रहा है।
उन्होंने यह कदम तब बढ़ाया है, जब इस बात की चर्चा हो रही है कि नीतीश इंडिया गठबंधन से नाराज हो चुके हैं। दूसरी तरफ उन्हें इंडिया अलायंस का संयोजक बनाने की चर्चा हो रही है और गठबंधन अगली मीटिंग करने वाला है।
बता दें कि अरुणाचल प्रदेश में दो लोकसभा सीटें हैं – अरुणाचल पश्चिम और अरुणाचल पूर्व। सबसे पुरानी पार्टी होने की वजह से दोनों निर्वाचन क्षेत्रों में कांग्रेस का यहां मजबूत समर्थन आधार रहा है।
पार्टी दोनों सीटों पर उम्मीदवार उतारने की तैयारी भी कर रही थी, तभी जेडीयू ने ऐसा कर कांग्रेस को चौंका दिया है। अरुणाचल पश्चिम सीट फिलहाल भाजपा के केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू के पास है, जिन्होंने 2019 में अरुणाचल कांग्रेस अध्यक्ष नबाम तुकी को हराया था।
पिछले सप्ताह ही जेडीयू अध्यक्ष पद से राजीव रंजन उर्फ लल्लन सिंह को हटाकर नीतीश ने खुद पार्टी की कमान संभाल ली थी। ऐसा तब हुआ, जब सियासी हलकों में इसकी चर्चा तेज थी कि ललन सिंह की विदाई होगी फिर नीतीश एनडीए के साथ जा सकते हैं।
इनमें से एक खबर तो सच हो गई, दूसरी पर अटकलों का बाजार गर्म है। हालांकि, जेडीयू और बीजेपी दोनों की तरफ से इसका खंडन हो चुका है।
ऐसे में माना जा रहा है कि नीतीश की सारी कोशिशें इंडिया अलायंस के घटक दलों पर दबाव बनाने की कवायद है क्योंकि पिछली महाबैठक में ममता बनर्जी ने मल्लिकार्जुन खरगे को पीएम पद का चेहरा बनाने का प्रस्ताव रखा था, जिसका अरविंद केजरीवाल ने भी समर्थन किया था। नीतीश इससे नाराज बताए जा रहे हैं।