पिघल रहे ग्लेशियर, धरती खत्म होने का खतरा; बढ़ती गर्मी पर यूनाइटेड नेशंस की चेतावनी…
बीते साल गर्मी ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए थे। इस बात की पुष्टि यूनाइटेड नेशंस की हालिया रिपोर्ट में हुई है। यूएन की वर्ल्ड मीट्रियोलॉजिकल ऑर्गनाइजेशन (डब्लूएमओ) ने मंगलवार को…
बीते साल गर्मी ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए थे। इस बात की पुष्टि यूनाइटेड नेशंस की हालिया रिपोर्ट में हुई है।
यूएन की वर्ल्ड मीट्रियोलॉजिकल ऑर्गनाइजेशन (डब्लूएमओ) ने मंगलवार को यह रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट के मुताबिक साल 2023 में बेतहाशा गर्मी पड़ी थी और यह सबसे गर्म साल के तौर पर दर्ज किया गया था।
इस दौरान खूब हीटवेव्स चली थीं, जिसका असर समंदर से लेकर ग्लेशियर तक दिखा था। डब्लूएमओ के मुताबिक सिर्फ 2023 ही नहीं, बल्कि 2014 से 2023 तक पूरा दशक ही भयंकर गर्मी की चपेट रहा है।
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंटोनियो गुटेरेस ने तो यहां तक कहा है कि रिपोर्ट दिखाती है धरती खतरे के कगार पर है।
कड़ी चेतावनी
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने इसको लेकर कड़ी चेतावनी जारी की है। उन्होंने कहा कि परिवर्तन बहुत तेजी से हो रहा है। धरती की तरफ से लगातार खतरे का इशारा मिल रहा है।
डब्लूएमओ की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल सतह का औसत तापमान लेवल से 1.45 डिग्री सेल्सियस ज्यादा था। बता दें कि 2015 पेरिस जलवायु समझौते में जो सीमा तय की गई थी यह 1.5 डिग्री है।
रिपोर्ट के मुताबिक यह रेड अलर्ट की सिचुएशन है। सबसे चौंकाने वाली चीज यह है कि पिछले साल समुद्री हीटवेव ने दुनिया के एक तिहाई महासागर पर असर डाला था। साल 2023 का अंत आते-आते यह आंकड़ा 90 फीसदी तक पहुंच चुका था।
समुद्र का बढ़ता जलस्तर
रिपोर्ट में समुद्र के बढ़ते जलस्तर का भी जिक्र किया गया है। इसके पीछे की वजह भी बढ़ते हुए तापमान को ही बताया गया है। इसके मुताबिक बढ़ती गर्मी के चलते ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं।
डब्लूएमओ ने बताया है कि पिछले एक दशक (2014-2023) में समुद्र का जलस्तर पूर्व के दशक की तुलना में दुगुनी रफ्तार से बढ़ा।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि इस तरह के जलवायु परिवर्तन से दुनिया भर में परेशानियां हो रही हैं। इसके चलते बहुत ज्यादा गर्मी, बाढ़ और सूखे के मामले सामने आ रहे हैं।