मेलोनी सरकार का बड़ा फैसला, इटली में सरोगेसी को अब कहा जाएगा ‘यूनिवर्सल क्राइम’

इटली सीनेट ने सरोगेसी पर बैन लगाने वाले कानून को पारित कर दिया है। इस देश में सरोगेसी पहले से ही अवैध है और 2004 से ही है, ऐसे में…

मेलोनी सरकार का बड़ा फैसला, इटली में सरोगेसी को अब कहा जाएगा ‘यूनिवर्सल क्राइम’

इटली सीनेट ने सरोगेसी पर बैन लगाने वाले कानून को पारित कर दिया है। इस देश में सरोगेसी पहले से ही अवैध है और 2004 से ही है, ऐसे में यह नया कानून बैन को बिल्कुल नए स्तर पर ले जाता है। बताया जा रहा है सरोगेसी पर नए कानून के बाद से इसे 'यूनिवर्सल क्राइम' कहा जा रहा है। 

बैन का वर्णन करने के लिए ''अपराध" (रीटो यूनिवर्सल) शब्द के इस्तेमाल ने और अधिक चिंता बढ़ा दी है। यह भाषा इतने गंभीर माने जाने वाले अपराधों के लिए इतालवी आपराधिक संहिता के शब्दों की याद दिलाती है कि वे मूल्य का उल्लंघन करते हैं। इसलिए यह शब्द सरोगेसी को नरसंहार और मानवता के खिलाफ अपराधों के बराबर रखता है।

फ्रांस और जर्मनी भी लगा चुके सरोगेसी पर बैन
सरोगेसी को अनुमति दी जानी चाहिए या प्रतिबंधित, इस पर देश एकमत नहीं हैं। विभिन्न प्रतिबंधों और सुरक्षा उपायों के बावजूद, कई लोग इसकी अनुमति देते हैं। ग्रीस में, गैर-व्यावसायिक सरोगेसी 2002 से कानूनी है, जिससे भावी माता-पिता को जन्म के समय कानूनी पितृत्व प्राप्त करने की अनुमति मिलती है। कैलिफोर्निया में,  व्यावसायिक सरोगेसी सरोगेट को मुआवजा मिलने की भी अनुमति है।

फ्रांस और जर्मनी सहित अन्य देश सरोगेसी पर प्रतिबंध लगाते हैं। इसका मतलब यह है कि बच्चे के जन्म के समय सरोगेट ही कानूनी मां होती है, लेकिन वे अभी भी आम तौर पर भावी माता-पिता को अन्य तरीकों से बच्चे के साथ कानूनी बंधन स्थापित करने की अनुमति देते हैं, उदाहरण के लिए सरोगेट मां के साथ-साथ आनुवंशिक पिता को या गोद लेने के माध्यम से दोनों माता-पिता को कानूनी मान्यता देकर, ऐसे मामलों में सरोगेसी की मांग विदेश में की गई है।

इतालवी प्रधान मंत्री जियोर्जिया मेलोनी ने नए सरोगेसी प्रतिबंध को "सामान्य ज्ञान" कहा। वहीं अन्य लोग इस बैन को महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के विपरीत मानते हैं।

सरोगेसी पर नई बनी कोई सहमति
यूरोपीय मानवाधिकार न्यायालय अक्सर अपने सदस्य देशों (जिसमें इटली भी शामिल है) में घटनाओं की जांच करता है ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि किसी मुद्दे पर व्यापक सहमति है या नहीं। 2014 में इसने अपने मेनेसन बनाम फ्रांस फैसले में सरोगेसी पर गौर किया और 2019 में इसने इस मामले पर एक सलाहकार राय जारी की। हालांकि इससे सरोगेसी व्यवस्था की वैधता पर कोई आम सहमति नहीं मिली।