कार्तिक माह में ऐसे जलाएंगे दीप, भगवान शिव और माता लक्ष्मी की बनी रहेगी कृपा
कार्तिक माह आते ही लोग आंवले से दीपक जलाने की परंपरा निभाते हैं. आज हम यह जानने की कोशिश करेंगे कि आखिरकार इस विशेष समय में आंवले से दीपक जलाने…
कार्तिक माह आते ही लोग आंवले से दीपक जलाने की परंपरा निभाते हैं. आज हम यह जानने की कोशिश करेंगे कि आखिरकार इस विशेष समय में आंवले से दीपक जलाने का क्या अर्थ है. पुजारी नरसिम्हा चारी का कहना है कि आंवले के पेड़ और आंवले के फल के बीच एक गहरा संबंध है. पुजारी के अनुसार, आंवले के पेड़ को भगवान शिव का स्वरूप माना जाता है.
धार्मिक महत्व
इतिहास में भी यह कहा गया है कि आंवले के पेड़ में भगवान शिव के साथ-साथ देवी लक्ष्मी, भगवान विष्णु और आंवला भी वास करते हैं. आंवला अपनी विशेषताओं के कारण कार्तिक माह में अत्यधिक महत्वपूर्ण हो जाता है. यही कारण है कि इस माह, खासकर कार्तिक पूर्णिमा के दिन, आंवले के पेड़ के नीचे दीपक जलाने की परंपरा है.
आंवले से दीपक जलाने के लाभ
पुजारी नरसिम्हा चारी ने बताया कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन आंवले के पेड़ के नीचे दीपक जलाने से विशेष लाभ प्राप्त होते हैं. वे कहते हैं कि चौलाई के छोटे गोल हिस्से को बीच से काटकर उसमें तेल डालकर और बाती लगाकर दीपक जलाना चाहिए. पुराणों में यह भी बताया गया है कि आंवले के दीपक को जलाने से भगवान शिव, श्री महाविष्णु और माता लक्ष्मी प्रसन्न होते हैं.
शिव, लक्ष्मी और विष्णु की कृपा प्राप्ति
इसलिए यह मान्यता है कि जो लोग कार्तिक माह में आंवले से दीपक जलाते हैं, उन्हें भगवान शिव, लक्ष्मी और विष्णु की कृपा प्राप्त होती है. पांडवों के वनवास के दौरान, जब वे भगवान शिव की पूजा करना चाहते थे, तो उनके पास कोई शिवलिंग या मंदिर नहीं था. इस दौरान भगवान कृष्ण ने द्रौपदी को आंवले से दीपक जलाने की सलाह दी, जिससे यह परंपरा शुरू हुई.
आंवले से दीपक जलाने से ग्रह दोष दूर होते हैं
पुराणों में यह भी कहा गया है कि अगर चौलाई के गोल हिस्से को हटाकर उसमें गाय के घी से दीपक जलाया जाए, तो यह ग्रह दोषों को दूर करता है और युद्ध में विजय दिलाता है. इस प्रकार, आंवले से दीपक जलाने की परंपरा की शुरुआत हुई. पुजारी के अनुसार, अगर भक्त कार्तिक महीने में आंवले के साथ दीपक जलाकर ब्राह्मणों को आंवले का दीपक और कपड़े दान करते हैं, तो यह बहुत शुभ होता है.