क्या रूस में भी वंदे भारत का मुद्दा उठेगा? पीएम मोदी से बात कर सकते हैं पुतिन, जानें पूरा मामला…

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व्लादिमीर पुतिन के निमंत्रण पर 22 और 23 अक्टूबर को कजान में आयोजित होने वाले 16वें BRICS शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने रूस जा रहे हैं। जानकारों…

क्या रूस में भी वंदे भारत का मुद्दा उठेगा? पीएम मोदी से बात कर सकते हैं पुतिन, जानें पूरा मामला…

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व्लादिमीर पुतिन के निमंत्रण पर 22 और 23 अक्टूबर को कजान में आयोजित होने वाले 16वें BRICS शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने रूस जा रहे हैं।

जानकारों का कहना है कि इस दौरान रूस पीएम मोदी से वंदे भारत रेल प्रोजेक्ट को लेकर भी बात कर सकता है।

नियामक और तकनीकी बाधाओं की वजह से रूस की कंपनी ट्रांसमाशहोल्डिंग (TMH) वंदेभारत ट्रेनों का निर्माण नहीं कर पा रही है। इसके चलते 6.5 अरब डॉलर का प्रोजेक्ट लटका पड़ा है।

रूस की कंपनी TMH सरकारी कंपनी रेल विकास निगम लिमिटेड (RVNL) के साथ मिलकर इस प्रोजेक्ट पर काम कर रही है। जुलाई में पीएम मोदी के मॉस्को दौरे के समय भी इस मुद्दे को उठाया गया था।

जानकारों का कहना है कि इस बार भी रूस इस मामले को प्रमुखता से रखना चाहता है। पीएम मोदी मंगलवार को राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात करेंगे।

इससे पहले जुलाई में दोनों नेताओं के बीच वार्षिक द्विपक्षीय बातचीत हुई थी। सितंबर में पुतिन ने कहा था कि पीएम मोदी से होने वाली मुलाकात मौजूदा प्रोजेक्ट्स के लिए अहम होगी।

बिड जीतने के बाद से ही दिक्कत

मार्च 2023 में 58000 रुपये का टेंडर जीतने के बाद सेही आरवीएनएल और टीएमएच के कंसोर्टियम में दिक्कतें आने लगी थीं। इस प्रोजेक्ट के तहत 200 वंदेभारत ट्रेनों का निर्माण किया जाना था।

वहीं एक ट्रेन की लागत करीब 120 करोड़ थी। इसके बाद सरकार ने प्रोजेक्ट को घटाकर केवल 120 ट्रेनें कर दीं और प्रोजेक्ट को घटाकर 36 हजार करोड़ का कर दिया।

कन्सोर्टियम में जब शेयरहोल्डिंग को रीस्ट्र्क्चर करने की अपील की तो सरकार ने इसे मंजूरी नहीं दी। आरवीएनएल के प्रवक्ता, काइनेट रेलवे सलूशन्स, पीएम कार्यालय और विदेश मंत्रालय की तरफ से इस मामले में ईमेल को कई उत्तर नहीं दिया गया।

वहीं सितंबर महीने में टीएमएच के सीनियर अधिकारी दिल्ली आए ते। इसके बाद रूस की टीम ने महाराष्ट्र का भी दौरा किया था जहां से संबंधित यह प्रोजेक्ट है।

एक अन्य जानकार ने कहा, इस प्रोजेक्ट में आरवीएनएल और दो रूसी कंपनियां इक्विटी पार्टनर हैं। दो रूसी कंपनियों के शेयरहोल्डिंग में बदलाव की अपील की गई थी।

ऐसा इसलिए किया गया था ताकि पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों का असर इसपर ना हो। टीएमएच उन कंपनियों में शामिल है जिसपर अमेरिका ने प्रतिबंध लगाए हैं।

आरवीएनएल के प्रेस नोट के मुताबिक 29 मार्च 2023 को टीएमएच की सब्सीडरी कंपनी मेट्रोवैगनमैश, और लोकोमोटिव इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम और भारत की आरवीएनएल ने एसपीवी काइनेट रेलवे सलूशन्स के नाम से शेयरहोल्डिंग अग्रीमेंट पर साइन किए थे। इसके तहत 35 साल तक मेंटिनेंस की जिम्मेदारी भी ली जानी थी।

आरवीएनएल के काइनेट रेलवे सलूशन्स में 25 फीसदी शेयर थे। इसके अलावा अन्य दो रूसी कंपनियों के शेयर 70 और पांच फीसदी थे।

रूस की कंपनी ने सरकार से कहा कि MWM और LES की शेयरहोल्डिंग आपस में बदल दी जाए। इससे आरवीएनएल की हिस्सेदारी भी प्रभावित नहीं होगी।

हालांकि सरकार ने अब तक इसकी अनुमति नहीं दी है। उन्होंने बताया, सरकार चाहती है कि ट्रेनों की संख्या को और कम कर दिया जाए और हर ट्रेन में कोच बढ़ा दिए जाएं।

कोच 16 से 24 करने का प्लान है। ऐसे में इन बाधाओं के चलते वंदेभारत प्रोजेक्ट अटका पड़ा है।

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