क्या है सरगी? करवा चौथ पर सास क्यों देती हैं अपनी बहू को? जानें इसका महत्व
हिन्दू धर्म में महिलाओं के लिए कई सारे व्रत हैं, जिन्हें करने से उन्हें कोई ना कोई लाभ मिलता है. लेकिन सबसे अहम करवा चौथ का व्रत माना जाता है,…
हिन्दू धर्म में महिलाओं के लिए कई सारे व्रत हैं, जिन्हें करने से उन्हें कोई ना कोई लाभ मिलता है. लेकिन सबसे अहम करवा चौथ का व्रत माना जाता है, जो कि सुहागिन महिला अपने पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए रखती है. यह व्रत पूरी तरह निर्जला होता है. ऐसे में सास अपनी बहू के लिए इस व्रत के दिन सरगी देती है, जिसमें खाने की कुछ चीजें होती हैं. क्या है करवाचौथ पर सरगी का महत्व? आइए जानते हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से.
क्या है सरगी?
करवा चौथ का व्रत शुरू होने से पहले अपनी बहू को सास कुछ खाने की चीजें देती हैं, इसे ही सरगी कहा गया है. यह थाली खुद सास को ही तैयार करनी होती है. सरगी सुबह 4 से 5 बजे के बीच दी जाती है. जिनके घर में सास नहीं उन्हें सरगी जेठानी सास की भूमिका में देती है.
सरगी की थाली में क्या होता है?
सरगी में कुछ मीठा जरूर शामिल किया जाता है. इसमें खास तौर पर सूखे मेवे और खीर जैसी चीजें होती हैं. सास अपने हाथों से सेवई की खीर बनाकर देती है और इस थाली को खुद बड़े प्यार से सजाती है. इसके साथ ही इसमें पराठे और मिठाई भी शामिल होती है.
सरगी क्यों जरूरी है?
अब बात करें सरगी क्यों जरूरी है तो इसे करवा चौथ के लिए महत्वपूर्ण माना गया है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, सरगी आशीर्वाद का एक स्वरूप होता है जिसे सास अपनी बहू के उत्तम स्वास्थ्य की कामना के साथ देती है. इसमें खाने की चीजों के साथ श्रृंगार की सामग्री भी शामिल होती है.