महाराष्ट्र RS चुनावों में चौथा कैंडिडेट क्यों उतार रही BJP, 2022 वाला खेल दोहराने का क्या है गेम प्लान?…
27 फरवरी को 15 राज्यों की कुल 56 राज्यसभा सीटों पर चुनाव होना है। महाराष्ट्र की छह सीटें भी इसमें शामिल हैं। बीजेपी, शिव सेना और एनसीपी गठबंधन को इनमें…
27 फरवरी को 15 राज्यों की कुल 56 राज्यसभा सीटों पर चुनाव होना है। महाराष्ट्र की छह सीटें भी इसमें शामिल हैं। बीजेपी, शिव सेना और एनसीपी गठबंधन को इनमें से पांच सीटों पर जीत मिलने की उम्मीद है।
बीजेपी ने इनमें से तीन सीटें अपने पास रखी हैं क्योंकि उसके पास तीन सांसद चुनने का ही संख्या बल है, जबकि एक-एक सीट एकनाथ शिंदे और अजित पवार की पार्टी को आवंटित की हैं।
छठी सीट पर बीजेपी ने अपना ही चौथा उम्मीदवार खड़ा करने का प्लान बनाया है।
दरअसल, बीजेपी चौथा उम्मीदवार खड़ा कर इंडिया अलायंस खासकर कांग्रेस पार्टी में टूट कराना चाहती है। बीजेपी के चौथे उम्मीदवार से कांग्रेस विधायकों में फूट हो सकती है और क्रॉस वोटिंग हो सकता है।
बीजेपी को उम्मीद है कि लोकसभा चुनावों से ठीक पहले ऐसा कर विपक्ष के मनोबल को कमजोर किया जा सकता है। कांग्रेस नेता बाबा सिद्दीकी पहले ही पार्टी छोड़ चुके हैं और एनसीपी में शामिल होने के लिए तैयार हैं।
हालांकि, उनके बेटे जीशान सद्दिीकी अभी भी मुंबई शहर के बांद्रा पश्चिम विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस विधायक हैं। इस बीच, कहा जा रहा है कि मुंबई से एक और कांग्रेस विधायक भी पार्टी छोड़ने के लिए बातचीत कर रहे हैं।
गौरतलब है कि पिछले महीने पूर्व केंद्रीय मंत्री मिलिंद देवड़ा ने भी कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना में शामिल हो गए थे।
ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक, एक कांग्रेस नेता के अनुसार, एक दर्जन से अधिक कांग्रेस विधायक पार्टी आलाकमान के रुख से ‘नाखुश’ चल रहे हैं।
बीजेपी की नजर इन विधायकों पर है। कांग्रेस नेता ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि कई कांग्रेसी विधायक बीजेपी के संपर्क में हैं और अगर बीजेपी ने चौथा उम्मीदवार उतारा तो इससे कांग्रेस में फूट पड़ सकती है और कांग्रेस विधायक क्रॉस वोटिंग कर सकते हैं।
2022 में भी बीजेपी ने तीन राज्यसभा सीटें जीती थीं, जबकि उसके पास केवल दो सांसद चुनने के लिए ही विधायक थे। उस चुनाव के 10 दिन बाद, बीजेपी पांच एमएलसी सीटें जीतने में भी कामयाब रही थी, जबकि उसके पास केवल चार MLC चुनने का ही संख्याबल था।
इसके बाद ही शिवसेना में टूट हुई थी और एकनाथ शिंदे ने बीजेपी के साथ मिलकर नई सरकार बना ली थी।
महाराष्ट्र कांग्रेस के नेताओं ने तब अनुमान लगाया था कि कम से कम 7 विधायकों ने एमएलसी चुनावों में भाजपा उम्मीदवार के लिए क्रॉस वोटिंग की थी।