भारतीय स्टार्टअप पर USA को भरोसा, मेड इन इंडिया सेमीकंडक्टर चिप्स का इस्तेमाल करेगी अमेरिकी सेना…
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे में भारत और अमेरिका के बीच सेमीकंडक्टर चिप्स को लेकर एक महत्वपूर्ण समझौता हुआ है। दोनों ही नेताओं ने इस समझौते की सराहना की…
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे में भारत और अमेरिका के बीच सेमीकंडक्टर चिप्स को लेकर एक महत्वपूर्ण समझौता हुआ है।
दोनों ही नेताओं ने इस समझौते की सराहना की है। भारत की तरफ से इस समझौते पर कहा गया कि यह दिखाता है कि भारतीय स्टार्टअप में दुनिया को कितना भरोसा है।
इस समझौते के तहत भारत को अपना पहला राष्ट्रीय सुरक्षा सेमीकंडक्टर निर्माण संयंत्र मिलेगा, जिसका निर्माण अमेरिका के द्वारा अगले साल यानि की 2025 तक किया जाएगा, इसका नाम शक्ति रखा गया है।
इस संयंत्र में बनी सेमीकंडक्टर चिप्स का इस्तेमाल भारत ही नहीं बल्कि अमेरिका और उसके सैन्य सहयोगी देशों की सेनाएं भी करेंगी।
पीएम मोदी और राष्ट्रपति बाइडेन के बीच डेलावेयर में हुई मुलाकात के बाद जो संयुक्त बयान दिया गया उसके पहले ही पैरा में ही इस समझौते की सराहना करते हुए कहा गया कि इससे दोनों देशों के बीच में रणनीतिक प्रौद्योगिकी साझेदारी को और भी ज्यादा मजबूत किया जाएगा।
इस समझौते के लिए अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा प्रतिष्ठान ने दो भारतीय उद्यमियों, विनायक डालमिया और वृंदा कपूर के स्टार्टअप पर भरोसा जताया है।
इस स्टार्टअप के पास सेमीकंडक्टर चिप्स बनाने की तकनीक है, इसके द्वारा बनाई गई यह चिप्स अमेरिका के सहयोगी देशों और भारत की सेना के लिए उपयोगी होंगी।
इस समझौते के तहत यह स्टार्टअप अमेरिकी रक्षा प्रमुख जनरल एटॉमिक्स के साथ काम कर रहा है। दरअसल, इस समझौते की नींव पीएम मोदी की 2023 की अमेरिका यात्रा से ही शुरू होती है। कपूर ने दोनों राष्ट्राध्यक्षों की तकनीकी सीईओ के साथ हुई मीटिंग में भाग लिया था तब ही दोनों देशों ने संयुक्त बयान देकर इस मामले को आगे बढ़ाने का फैसला किया था।
एचटी की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका के सहयोग से बनने वाला यह दुनिया का पहला मल्टीचिप मिलिट्री फैब होगा। एडवांस्ड सेंसिंग इन्फ्रारेड चिप्स का इस्तेमाल नाइट विजन, मिसाइल सीकर्स, अंतरिक्ष सेंसर, हथियार स्थलों, सैनिकों के हाथ से पकड़े जाने वाले हथियारों और ड्रोन के लिए किया जाएगा।
इसके अलावा एडवांस शक्तिशाली चिप्स का इस्तेमाल उपग्रहों, ड्रोन, लड़ाकू विमानों, छोटे उपग्रहों, इलेक्ट्रिक वाहनों, नवीकरणीय ऊर्जा, डेटा केंद्रों और रेलवे इंजनों में किया जाएगा।
दोनों ही देशों की तरफ से इस संयंत्र को 2025 तक शुरु करने का लक्ष्य रखा गया है। अपने पहले चरण में इस संयंत्र से 50 हजार चिप्स का निर्माण किया जाएगा। इस फैब के जरिए करीब 700 लोगों को रोजगार मिलेगा।
इस समझौते पर बात करते हुए कार्नेगी इंडिया के कोणार्क भंडारी ने एचटी से बात करते हुए बताया कि इस फैब के बारे में फिलहाल कोई ज्यादा जानकारी तो नहीं है लेकिन भारतीय सेमीकंडक्टर क्षेत्र के लिए यह एक स्वागत योग्य कदम है।
इस संयंत्र के साथ भारत और अमेरिका अपनी सेनाओं के अलावा सहयोगी सेनाओं को भी चिप्स मुहैया कराएंगी, जो की भविष्य के लिए भारत को इस क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण होगी।
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