पॉलीग्राफ टेस्ट में गुमराह करने वाले जवाब दे रहे संदीप घोष

कोलकाता । पश्चिम बंगाल में प्रशिक्षु महिला डॉक्टर की दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले को एक महीने से अधिक समय हो गया है। पूरे देश में विरोध-प्रदर्शन हो रहे…

पॉलीग्राफ टेस्ट में गुमराह करने वाले जवाब दे रहे संदीप घोष

कोलकाता । पश्चिम बंगाल में प्रशिक्षु महिला डॉक्टर की दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले को एक महीने से अधिक समय हो गया है। पूरे देश में विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं। इस मामले में लगातार नए-नए चौंकाने वाले पहलू सामने आ रहे हैं। अब केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने एक हैरान करने वाला दावा किया है। जांच एजेंसी का कहना है कि आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष ने पॉलीग्राफ टेस्ट में हर अहम सवाल का भ्रामक जवाब दिया। उन्होंने आवाज के विश्लेषण के दौरान भी जांच एजेंसी को गुमराह करने की कोशिश की।
वित्तीय अनियमितताओं के मामले में पहले ही गिरफ्तार किए गए डॉ. घोष पर अब सबूतों से छेड़छाड़ का भी आरोप लगाया गया है। अस्पताल में महिला रेजीडेंट डॉक्टर के दुष्कर्म और हत्या की घटना ने देश को हिलाकर रख दिया है। सियालदह की एक अदालत ने संदीप घोष को 17 सितंबर तक सीबीआई की हिरासत में भेजा है। वहीं, सीबीआई ने अभिजीत मंडल को भी सबूतों से छेड़छाड़ करने के आरोप में गिरफ्तार किया है। जांच के दौरान पूर्व प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष का पॉलीग्राफ टेस्ट और आवाज विश्लेषण किया गया। घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले अधिकारियों ने बताया कि नई दिल्ली स्थित केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (सीएफएसएल) की एक रिपोर्ट के मुताबिक उनका बयान इस मामले से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर भ्रामक पाया गया है। उन्होंने आगे कहा कि हो सकता है कि पॉलीग्राफ टेस्ट के दौरान मिली जानकारी को ट्रायल के दौरान सबूत के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जा सके। मगर, एजेंसी पुष्टि करने वाले सबूत इकट्ठा कर सकती है, जिनका इस्तेमाल अदालत में किया जा सकता है।
सीबीआई ने आरोप लगाया कि घोष को इस मामले की जानकारी नौ अगस्त को नौ बजकर 58 मिनट पर मिल गई थी, लेकिन उन्होंने तत्काल पुलिस में शिकायत नहीं की। घोष ने बाद में चिकित्सा अधीक्षक-उप प्रधानाचार्य के माध्यम से एक अस्पष्ट शिकायत की। जबकि पीडि़ता को दोपहर 12 बजकर 44 मिनट पर मृत घोषित कर दिया गया था। अधिकारी ने आगे बताया, उन्होंने तुरंत एफआईआर दर्ज कराने की कोशिश नहीं की। बल्कि आत्महत्या का एक नया सिद्धांत पेश किया। जबकि पीडि़ता के शरीर पर दिखाई देने वाली चोट के अनुसार यह संभव नहीं है।