सीजी न्यूज़: सेना के प्रशिक्षण केंद्र को चालू करने की योजना फिर से शुरू, राज्य सरकार ने नारायणपुर जिला कलेक्टर से 500 वर्ग वर्ग की जमीन की जानकारी ली

रायपुर। नक्सलियों की मांद कहे जाने वाले अबूझमाड़ इलाके में थल सेना का ट्रेनिंग कैंप चालू करने की कवायद एक बार फिर शुरू हो गई है। राज्य सरकार ने नारायणपुर…

सीजी न्यूज़: सेना के प्रशिक्षण केंद्र को चालू करने की योजना फिर से शुरू, राज्य सरकार ने नारायणपुर जिला कलेक्टर से 500 वर्ग वर्ग की जमीन की जानकारी ली

रायपुर। नक्सलियों की मांद कहे जाने वाले अबूझमाड़ इलाके में थल सेना का ट्रेनिंग कैंप चालू करने की कवायद एक बार फिर शुरू हो गई है। राज्य सरकार ने नारायणपुर कलेक्टर को निर्देश दिया है कि, वह ओरछा में इसके लिए चुनी गई पांच सौ वर्ग किमी या करीब 54 हजार 543 हेक्टेयर जमीन के बारे में सारी तथ्यात्मक जानकारी तुरंत उपलब्ध कराए।

सूत्रों का कहना है कि, नक्सलियों पर दबाव बढ़ाने के लिए राज्य सरकार सेना के सालों से लटके प्रस्ताव पर गंभीर है, और जल्द से जल्द इस पर आगे बढ़ने को लेकर उत्सुक भी है। नारायणपुर जिला प्रशासन के सूत्रों ने राज्य सरकार से इस तरह का पत्र आने की पुष्टि कर दी है, लेकिन यह अभी तक साफ नहीं हो पाया है कि, उन्होंने इस जमीन की सर्वे रिपोर्ट रायपुर भेजी हैं या नहीं। सेना के लिए जो हिस्सा चुना गया है, वह ओरछा तहसील के सोनपुर- गारपा गांव के पास का है। सरकार ये पूरी सरकारी जमीन ट्रेनिंग सेंटर के लिए सेना को हस्तांतरित करना चाहती है।

बता दें कि, सेना को ट्रेनिंग सेंटर के लिए अबूझमाड़ में 500 वर्ग किमी की जगह देने का प्रस्ताव 2009 का है। इस प्रस्ताव की राज्य सरकार समीक्षा कर रही है। इसमें वहां के लोगों का भी मत लिया जा रहा है। सारी चीजों को समझने के बाद सरकार राज्य और लोगों के हित को देखते हुए फैसला करेगी। ट्रेनिंग सेंटर के लिए फाइलों की दौड़ ओरछा के सोनपुर-गारपा इलाके में ट्रेनिंग सेंटर के लिए जमीन हासिल करने के लिए सेना कई सालों से पापड़ बेल रही है। जिसकी कहानी राजस्व और आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा नारायणपुर जिले में कलेक्टर को पिछले महीने लिखा गया पत्र ही कह रहा है। खुद राज्य सरकार 13 सितंबर 2017 से इस मुद्दे को लेकर नारायणपुर के राजस्व अमले से पत्र व्यवहार कर रही है। नारायणपुर जिला प्रशासन से इस जमीन के राजस्व सर्वेक्षण संबंधी कार्यवाही की तथ्यात्मक जानकारी मांगी जा रही है, जो आज तक उसे नहीं दी गई। 2017 में दो पत्र भेजने के सात सालों बाद मंत्रालय ने एक बार फिर नारायणपुर कलेक्टर से सर्वे की जानकारी मांगी है।