UCC में मुस्लिम धार्मिक स्वतंत्रता से छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं, विधेयक पेश होने से पहले विरोध की चेतावनी…
मुस्लिम समुदाय के प्रतिनिधियों ने कहा कि पांच सदस्यीय समिति द्वारा राज्य सरकार को सौंपे गए और मंगलवार को राज्य विधानसभा में पेश किए जाने वाले समान नागरिक संहिता (यूसीसी)…
मुस्लिम समुदाय के प्रतिनिधियों ने कहा कि पांच सदस्यीय समिति द्वारा राज्य सरकार को सौंपे गए और मंगलवार को राज्य विधानसभा में पेश किए जाने वाले समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के मसौदे से उनकी धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन नहीं होना चाहिए।
रिपोर्ट के अनुसार, हरिद्वार जिले के लक्सर निर्वाचन क्षेत्र से बहुजन समाज पार्टी (बसपा) विधायक शहजाद ने कहा कि मैंने मसौदा नहीं देखा है, लेकिन अगर इसमें ऐसे प्रस्ताव शामिल हैं जो हमारे व्यक्तिगत और धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं, तो हम इसका विरोध करेंगे।
संविधान हमें स्वतंत्र रूप से अपने धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता देता है। दूसरे, यूसीसी देश से जुड़ा मुद्दा है, इसे किसी राज्य विशेष में लागू करने का कोई औचित्य नहीं है।
उन्होंने कहा कि यह लोकसभा चुनाव से पहले जनता को धोखा देने और वास्तविक मुद्दों से उनका ध्यान भटकाने की भाजपा सरकार की एक चाल है। उदाहरण के लिए, भाजपा द्वारा कानून लाने के बावजूद तीन तलाक (तत्काल तलाक प्रथा) जारी है।
अधिवक्ता और उत्तराखंड बार काउंसिल की पूर्व अध्यक्ष रजिया बेग का कहना था कि अगर यूसीसी में प्रस्ताव शरिया कानून में हस्तक्षेप करेंगे, तो हम विरोध प्रदर्शन करेंगे।
यूसीसी के प्रस्तावों के बारे में मैं अखबारों में जो पढ़ पाया हूं, उससे पता चलता है कि वे (भाजपा) केवल मुसलमानों को निशाना बना रहे हैं।
यदि आदिवासियों को यूसीसी से छूट दी गई है, तो मुसलमानों के व्यक्तिगत और धार्मिक अधिकारों का ध्यान क्यों नहीं रखा जाना चाहिए?
हरिद्वार जिले के पिरान कलियर से कांग्रेस विधायक फुरकान अहमद ने कहते हैं कि अगर यूसीसी में नियम कुरान शरीफ के खिलाफ जाते हैं, और मुसलमानों के व्यक्तिगत कानूनों को प्रभावित करते हैं, तो हम इसका विरोध करेंगे।
चाहे गीता हो या मुस्लिम धर्मग्रंथ, सभी का सम्मान किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार को संविधान में दी गई धार्मिक स्वतंत्रता का सम्मान करना चाहिए।
कांग्रेस विधायक ने कहा कि वे (भाजपा सरकार) संसदीय चुनाव से पहले यूसीसी के जरिए जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहे हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता खुर्शीद अहमद ने कहा कि मैंने समिति द्वारा सरकार को सौंपी गई मसौदा रिपोर्ट नहीं देखी है। हमें पहले इसका अध्ययन कर इस बारे में राय बनाने की जरूरत है कि यह इस्लामी सिद्धांतों के खिलाफ है या नहीं।
उन्होंने कहा कि बेहतर होता अगर सरकार ऐसे धार्मिक विशेषज्ञ को शामिल करती जो इस्लाम और उसके सिद्धांतों को जानता हो और ऐसे प्रस्ताव पेश करता जो धर्म में हस्तक्षेप न करता हो।
उत्तराखंड स्थित सामाजिक-राजनीतिक संगठन मुस्लिम सेवा संगठन के अध्यक्ष नईम कुरैशी ने कहा कि यूसीसी के माध्यम से मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है।
‘इससे हमारी धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन नहीं होना चाहिए। रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद अगर हमें लगेगा कि यह धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करती है तो हम इसका विरोध करेंगे’।
कहा कि हर कोई जानता है कि यूसीसी क्यों लाया जा रहा है? मुस्लिम समुदाय का कहना है कि यूसीसी को उनकी धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन नहीं करना चाहिए।