विमान में मास्टरबेट करने का आरोप, बेकसूर निकला भारतीय मूल का डॉक्टर; सामने आया सच…

अमेरिका के बोस्टन में रहने वाले भारतीय मूल के डॉ. सुदीप्त मोहंती पर विमान यात्रा के दौरान गंभीर आरोप लगे थे। एक 14 साल की बच्ची ने आरोप लगाया था…

विमान में मास्टरबेट करने का आरोप, बेकसूर निकला भारतीय मूल का डॉक्टर; सामने आया सच…

अमेरिका के बोस्टन में रहने वाले भारतीय मूल के डॉ. सुदीप्त मोहंती पर विमान यात्रा के दौरान गंभीर आरोप लगे थे। एक 14 साल की बच्ची ने आरोप लगाया था कि वह विमान में ही मास्टरबेट कर रहे थे।

शिकायत दर्ज होने के बाद डॉ. सुदीप्त की गिरफ्तारी भी हो गई थी। वहीं डॉ. को काफी बेइज्जती भी बर्दाश्त करनी पड़ी। वहीं अब बोस्टन फेडरल कोर्ट ने उन्हें बाइज्जत बरी कर दिया है।

डॉ. सुदीप्त का कहना है कि इस बेबुनियाद आरोप की वजह से उनको और उनके परिवार को बहुत मानसिक कष्ट झेलना पड़ा। उन्होंने कहा, आज तक समझ नहीं आया कि आखिर ऐसा आरोप किसलिए लगाया गया था। 

डॉ. सुदीप्त मोहंती ने अपने लिखित बयान में कहा था, विमान में मेरे बगल मेरी मंगेतर बैठी थी। मुझे नहीं पता कि मेरे साथ ऐसा क्यों किया गया।

मैंने अपना पूरा जीवन लोगों की सेवा में समर्पित कर दिया। इस तरह के आरोप लगना मेरे लिए ही बहुत शर्मनाक और कष्टदायी है।

बता दें कि डॉ, सुदीप्त को एफबीआई ने गिरफ्तार किया था। हालांकि कोर्ट से उन्हें जमानत मिल गई थी। अगर सुदीप्त दोषी करार दिए जाते तो उन्हें 90 दिनो की जेल, 5 हजार डॉलर तक जुर्माना और एक साल तक की निगरानी की सजा दी जा सकती थी। 

नाबालिग ने क्या लगाए थे आरोप
नाबालिग लड़की ने आरोप लगाए थे कि होनूलूलू से बोस्टन जाने वाली फ्लाइट में डॉ. सुदीप्त उसके बगल की सीट पर बैठे थे। उन्होंने खुद को कंबल से ढक लिया और फिर अंदर ही मास्टरबेट करने लगे।

उसका कहना था कि उनकी जिप खुली हुई थी। इसके बाद जब डॉ. सुदीप्ट टॉइलट गए तो बच्ची उठकर दूसरी सीट पर बैठ गई।

उसने क्रू मेंबर से भी इसकी शिकायत की। 11 अगस्त 2023 को डॉ. सुदीप्त की गिरफ्तारी हो गई। 

सुदीप्त ने दावा किया था कि उनके साथ सफर करने वाले लोगों को कभी नहीं लगा कि उन्होंने कुछ गलत किया था। डॉ. मोहंती के वकील ने कहा, वह एक प्रतिभाशाली डॉक्टर हैं।

उनकी हिस्ट्री साफ सुथरी रही है। उनपर कभी इस तरह के आरोप भी नहीं लगे। बच्ची के आरोप के बाद पांच महीने उनके लिए किसी दुश्वप्न से कम नहीं थे।

हालांकि अब फैसला आ गया है। अब वह दोबारा अपने काम पर फोकस कर सकेंगे।