दिल्ली-गुजरात में डील, पंजाब में टक्कर, AAP और कांग्रेस में क्या चक्कर; केजरीवाल की किस पर नजर…

लोकसभा चुनाव के लिए दिल्ली, पंजाब समेत कई राज्यों में समझौते की कोशिशों में जुटे आम आदमी पार्टी और कांग्रेस अब डील के करीब हैं। सूत्रों का कहना है कि…

दिल्ली-गुजरात में डील, पंजाब में टक्कर, AAP और कांग्रेस में क्या चक्कर; केजरीवाल की किस पर नजर…

लोकसभा चुनाव के लिए दिल्ली, पंजाब समेत कई राज्यों में समझौते की कोशिशों में जुटे आम आदमी पार्टी और कांग्रेस अब डील के करीब हैं।

सूत्रों का कहना है कि दोनों ही पार्टियां पंजाब में खुद को मजबूत मान रही हैं।

यहां पहले और दूसरे नंबर पर यही दो दल हैं, जबकि जिस भाजपा के मुकाबले गठबंधन की बात है। वह वहां पर चौथे नंबर की पार्टी है।

ऐसे में दोनों दलों में इस बात को लेकर सहमति बन गई है कि पंजाब में गठबंधन न किया जाए और दोनों दल सभी 13 सीटों पर लड़ें। इसके पीछे रणनीति यह है कि किसी के भी हिस्से कोई सीट आएगी तो वह INDIA के ही खाते में होगी।

इसके अलावा दिल्ली और गुजरात में एक सप्ताह के अंदर ही समझौता हो सकता है। दिल्ली में आम आदमी पार्टी 4 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है, जबकि तीन कांग्रेस के लिए छोड़ी जा सकती हैं।

वहीं गुजरात में आम आदमी पार्टी उम्मीद कर रही है कि उसे 10 लोकसभा सीटों पर कांग्रेस मौका दे सकती है। कांग्रेस के एक सीनियर नेता ने कहा कि हम जल्दी ही दिल्ली और गुजरात के समझौते का ऐलान करेंगे।

उन्होंने कहा, ‘पंजाब में सीट शेयरिंग एक जटिल मुद्दा बन गया है। हम इसे छोड़ रहे हैं।’ 

पंजाब की 13 लोकसभा सीटों में से 7 पर कांग्रेस काबिज है, जबकि एक आम आदमी पार्टी के पास है। कांग्रेस अपनी दावेदारी 2019 के मुकाबले कम नहीं करना चाहती।

वहीं 2022 के आम चुनाव और जालंधर लोकसभा सीट के उपचुनाव में जीत का हवाला देते हुए आम आदमी पार्टी ज्यादा सीटें मांग रही है।

वहीं कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि यदि हम पंजाब में आम आदमी पार्टी को ज्यादा सीटें देते हैं तो फिर नेताओं और काडर को संभालना मुश्किल होगा। स्टेट यूनिट मानती है कि हमें अलग ही लड़ना चाहिए ताकि विधानसभा चुनाव के लिए भी हम मजबूत दावेदारी कर सकें।  

अकाली दल पर नजर, NDA में गई तो फिर होगा समझौता!

हालांकि अब भी पंजाब में AAP और कांग्रेस की एकजुटता की एक संभावना बची है। दोनों दलों की अकाली दल पर नजर है कि वह एनडीए के साथ जाता है या नहीं।

यदि उसने भाजपा को साथ लिया तो कुछ शहरी सीटों पर दोनों मिलकर मजबूत होंगे। ऐसी स्थिति में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी किसी समझौते पर विचार भी कर सकते हैं।

लेकिन फिलहाल सीट शेयरिंग के मसले को ठंडे बस्ते में डालने पर सहमति बनी है।