अमेरिकी कॉलेजों में लग रहे हमारी मौत के नारे; फिर भड़के नेतन्याहू, हिटलर से तुलना…

गाजा में फिलिस्तीनी आतंकियों के साथ चल रही भीषण लड़ाई और ईरान संग संभावित युद्ध के बीच इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू अमेरिकियों पर भड़के हुए हैं। उन्होंने अमेरिकी विश्वविद्यालयों में…

गाजा में फिलिस्तीनी आतंकियों के साथ चल रही भीषण लड़ाई और ईरान संग संभावित युद्ध के बीच इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू अमेरिकियों पर भड़के हुए हैं।

उन्होंने अमेरिकी विश्वविद्यालयों में चल रहे फिलिस्तीन समर्थक विरोध प्रदर्शन की कड़ी निंदा की। कहा कि अमेरिका के कॉलेजों में जो हो रहा है वह भयानक है।

वहां हमारी मौत के नारे लग रहे हैं। नेतन्याहू ने कहा कि अमेरिका में जो हो रहा है वह 1930 में हिटलर शासन के दौरान जर्मन विवि की याद दिलाता है। उधर, बाइडेन सरकार ने नेतन्याहू के बयान से किनारा कर लिया है।

एक वीडियो संदेश में, बेंजामिन नेतन्याहू ने आरोप लगाया कि अमेरिका में “यहूदी विरोधी भावना में असाधारण वृद्धि” हुई है और इसे ठीक करने के लिए बहुत कुछ करने की जरूरत है।

उन्होंने कहा, “अमेरिका के कॉलेज परिसरों में जो हो रहा है वह भयावह है। यहूदी विरोधी भीड़ ने प्रमुख विश्वविद्यालयों पर कब्जा कर लिया है। वे इजरायल के विनाश का आह्वान कर रहे हैं। उन्होंने यहूदी छात्रों पर हमला किया। उन्होंने यहूदी परिसरों पर भी हमला किया। यह 1930 के दशक में जर्मन विश्वविद्यालयों में जो हुआ उसकी याद दिलाता है।”

बता दें कि गाजा में इजरायली सेना द्वारा किए जा रहे ऑपरेशन के विरोध में कोलंबिया, हार्वर्ड, येल और न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय सहित कई शीर्ष स्तर के अमेरिकी विश्वविद्यालयों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।

सैकड़ों लोगों को गिरफ्तार किया गया है लेकिन, प्रदर्शन थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। नेतन्याहू ने बुधवार को कहा कि “यह सही नहीं है। इसे रोकना होगा। इसकी स्पष्ट रूप से निंदा की जानी चाहिए।

उन्होंने कहा, “यह हमें बताता है कि यहां यहूदी विरोधी लहर है जिसके भयानक परिणाम होंगे। हम पूरे अमेरिका और पश्चिमी समाज में यहूदी विरोधी भावना में असाधारण वृद्धि देख रहे हैं क्योंकि इजराइल नरसंहार करने वाले आतंकवादियों से बचाव की कोशिश कर रहा है।”

इस बीच, अमेरिकी सरकार ने नेतन्याहू की टिप्पणी से किनारा कर लिया है। व्हाइट हाउस ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के हवाले से बयान दिया कि कॉलेज परिसरों में स्वतंत्र भाषण और बहस बेहद महत्वपूर्ण हैं। इस पर पाबंदी नहीं लगाई जानी चाहिए।