जब तक स्वतंत्र फिलिस्तीन को दर्जा नहीं, तब तक दोस्ती नहीं; सऊदी ने इजरायल के सामने रखी दोस्ती की शर्त…

इजरायल-हमास युद्ध 103 दिनों से जारी है। बीती रात भी इजरायल ने गाजा में भीषण बमबारी की है। इस बीच दुनिया भार के देश फिलिस्तीन में शांति बहाली के प्रयासों…

जब तक स्वतंत्र फिलिस्तीन को दर्जा नहीं, तब तक दोस्ती नहीं; सऊदी ने इजरायल के सामने रखी दोस्ती की शर्त…

इजरायल-हमास युद्ध 103 दिनों से जारी है। बीती रात भी इजरायल ने गाजा में भीषण बमबारी की है।

इस बीच दुनिया भार के देश फिलिस्तीन में शांति बहाली के प्रयासों में लगे हुए हैं।

मंगलवार को सऊदी अरब के विदेश मंत्री ने कहा है कि अगर इजरायल एक व्यापक समझौते के तहत फिलिस्तीनियों को एक स्वतंत्र देश का दर्जा देता है तो उनका भी देश इजरायल को मान्यता देते हुए दोस्ती का हाथ बढ़ा सकता है।

दावोस में विश्व आर्थिक मंच पर एक पैनल से बातचीत में प्रिंस फैसल बिन फरहान ने कहा, “हम इस बात से सहमत हैं कि क्षेत्रीय शांति में इजरायल के लिए भी शांति शामिल है, लेकिन यह तभी संभव है जब फिलिस्तीनियों के लिए एक स्वतंत्र फिलिस्तीन राज्य का दर्जा दिया जाय।”

जब उनसे यह पूछा गया कि क्या सऊदी अरब व्यापक राजनीतिक समझौते के हिस्से के रूप में इजरायल को मान्यता देगा, तो उन्होंने कहा: “निश्चित रूप से।”

प्रिंस फैसल ने कहा कि फिलिस्तीन-इजरायल के बीच चल रहे संघर्ष को खत्म कर एक स्वतंत्र फिलिस्तीन राज्य के निर्माण के माध्यम से क्षेत्रीय शांति स्थापित करना एक ऐसा लक्ष्य है, जिसके लिए हम वास्तव में अमेरिकी प्रशासन के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि यह कोशिश गाजा पट्टी के संदर्भ में आज अधिक प्रासंगिक है।

बता दें कि संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन और मोरक्को के साथ राजनयिक संबंध स्थापित करने के बाद सऊदी अरब के साथ रिश्ते सामान्य करना इजरायल के लिए एक बड़ा पुरस्कार हो सकता है।

इससे मध्य पूर्व की भूराजनीति भी बदल सकती है क्योंकि सऊदी अरब ना केवल अरब जगत का सबसे शक्तिशाली देश है बल्कि यह यहां इस्लाम का सबसे पवित्र धार्मिक स्थल भी है, जिसका दुनिया भर में काफी महत्व है।

7 अक्टूबर को दक्षिणी इजरायल पर हमास के आतंकी हमलों के बाद इजरायली बलों की जबावी कार्रवाई और गाजा पट्टी में फिलिस्तीनी समूह पर लगातार हो रहे हमले के बाद से सऊदी अरब ने इजरायल के साथ संबंधों को सामान्य करने की प्रक्रिया को ठंडे बस्ते में डाल दिया है।

पिछले साल सितंबर में ऐसी खबरें आई थीं कि अमेरिका की मदद से इजरायल और सऊदी अरब दोस्त बनने जा रहे हैं, जबकि दोनों पड़ोसी देश लंबे समय से दुश्मन रहे हैं।

सऊदी अरब 1932 में बना है, जबकि इजरायल की स्थापना 1948 में हुई है लेकिन दोनों के बीच कोई राजनयिक संबंध अब तक बहाल नहीं हो सके हैं।

फिलिस्तीनी चाहते हैं कि 1967 के युद्ध में इजरायल द्वारा कब्जा किए गए क्षेत्रों में एक स्वतंत्र फिलिस्तीन देश का गठन हो, जिसकी राजधानी पूर्वी येरुशलम हो।

इसके लिए  इजरायल के साथ अमेरिका की प्रायोजित वार्ता एक दशक से भी अधिक समय पहले बाधित हो चुकी है।

इसके बीच सबसे प्रमुख बाधा इजरायल द्वारा कब्ज़ा की गई भूमि का निपटान और पश्चिम समर्थित फ़िलिस्तीनी अधिकारियों और हमास के बीच झगड़ा है जो इजरायल के साथ सह-अस्तित्व को अस्वीकार करते हैं।

हालांकि, नई परिस्थितियों में जब हमास कमजोर पड़ा है, यह व्यापक समझौते के तहत संभव हो सकता है, जिसकी तरफदारी सऊदी अरब कर रहा है।