कड़ाके की ठंड में भी धधक रहे उच्च हिमालय के जंगल, माइनस 3 डिग्री में वनाग्नि पर एक्सपर्ट को इस बात की चिंता…

देशभर के उत्तरी राज्यों में कड़ाके की ठंड पड़ रही है। मैदानी शहरों में कोहरे ने लोगों को परेशान किया हुआ तो दूसरी ओर, पर्वतीय जिलों में माइनस तापमान से…

कड़ाके की ठंड में भी धधक रहे उच्च हिमालय के जंगल, माइनस 3 डिग्री में वनाग्नि पर एक्सपर्ट को इस बात की चिंता…

देशभर के उत्तरी राज्यों में कड़ाके की ठंड पड़ रही है।

मैदानी शहरों में कोहरे ने लोगों को परेशान किया हुआ तो दूसरी ओर, पर्वतीय जिलों में माइनस तापमान से कंपकपी छूट रही है।

कड़ाके की ठंड व न्यूनतम तापमान माइनस 1 डिग्री सेल्सियस के बीच उच्च हिमालयी क्षेत्र से लगे जंगल धूं- धूं कर जल रहे हैं।

उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिलों में 9 जगह जंगलों में आग लगने से वन संपदा को नुकसान पहुंच रहा है।

स्थानीय लोगों का आरोप है कि इस समय जंगलों की आग उच्च हिमालयी क्षेत्र से घाटी की तरफ आने वाले दुर्लभ प्रजाति के वन्य जीवों के शिकार के लिए लगाई जाती है,हांलाकि वन विभाग के अफसर इस तरह के कारणों को खारिज करते हैं।

समुद्र तल से 10 हजार फीट से अधिक की ऊंचाई में जहां तापमान माइनस 3 से भी कम पहुंच रहा है। वहां जंगलों में इस समय आग धधकने की घटनाओं से हर कोई हैरान है।

शुक्रवार को पंचचूली, बलाती, छिपलाकेदार, पत्थरकोट, कुलथम सहित कई जंगलों में दिन भर आग का धुंआ उठता रहा।

मानव आबादी क्षेत्र से करीब 2 से 5 किमी दूर के जंगलों में इस समय घास के लिए आग लगाने का वन विभाग का तर्क लोगों के समझ में नहीं आ रहा है।

इन जंगलों में कस्तूरा मृग, मोनाल, गुरल, काकड़, स्नो लेपर्ड के साथ ही कई दुर्लभ प्रजाति के वन्य जीव पाए जाते हैं। पिछले 20 दिनों में हिमालय के इन जंगलों में आग लगने की यह 6वीं घटना है।

हांलाकि पूर्व में वनों में आग की घटना के बाद वन विभाग की टीम ने मौके पर पहुंचकर आग बुझाई । गैला पत्थरकोट के सरपंच गणेश सिंह दानू ने डीएफओ को पत्र देकर कहा है कि बाहरी लोगों का जंगलों में आना खतरनाक है।

कहा कि वन्य जीवों के अवैध शिकार के लिए इस तरह की आग लगाई जाती है। जिसे रोकने के लिए वन विभाग को गंभीर कदम उठानी चाहिए।

वन विभाग हर साल हो रही आग की घटनाओं को रोकने में विफल: मल्ला जोहार विकास समिति के अध्यक्ष श्रीराम सिंह धर्मशत्तू ने जंगलों में इस समय आग की घटनाओं पर रोष प्रकट किया है। कहा है कि हर साल जंगल जाड़ों के मौसम में जल रहे हैं ।

वन विभाग इस तरह की घटनाओं के बाद अराजक तत्वों को नहीं पकड़ पा रहा है। एनएसयूआई डीडीहाट मंडल के अध्यक्ष विक्रम दानू ने कहा हर साल मई जून में आग बुझाने को वन विभाग के पास बजट रहता है। शीतकाल में आग बुझाने को कोई व्यवस्था नहीं होती है।

कहा कि यहां आग बुझाने को वन विभाग की चौकियां बनाई जाएं। इधर, यहां से 21 किमी दूर पंचाचूली की तहलटी के जंगलों में आग वाले स्थानों में पहुंचने को वन विभाग की टीम को दो दिन का समय लगता है। शुक्रवार को गई टीम को वहां पहुंचने में समय लग सकता है।

आग लगने की घटना की जानकारी के बाद वन विभाग की टीम को सुबह ही रवाना कर दिया गया है। जल्द आग बुझा ली जाएगी। 
जीवन मोहन दगाड़े, डीएफओ, पिथौरागढ़।

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