बांग्लादेश के चुनाव पर विपक्ष के बहिष्कार का असर, मतदान प्रतिशत बेहद कम; हसीना की वापसी तय…

बांग्लादेश में हिंसा की छिटपुट घटनाओं और मुख्य विपक्षी दलों के बहिष्कार का असर रविवार को हुए आम चुनाव के दौरान देखने को मिला। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) और उसके…

बांग्लादेश के चुनाव पर विपक्ष के बहिष्कार का असर, मतदान प्रतिशत बेहद कम; हसीना की वापसी तय…

बांग्लादेश में हिंसा की छिटपुट घटनाओं और मुख्य विपक्षी दलों के बहिष्कार का असर रविवार को हुए आम चुनाव के दौरान देखने को मिला।

बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) और उसके सहयोगी दलों के बहिष्कार के बीच हुए आम चुनाव में कम मतदान प्रतिशत दर्ज किया गया।

बांग्लादेश मुख्य निर्वाचन आयुक्त काजी हबीबुल अवल ने बताया कि शुरुआती अनुमान के मुताबिक मतदान लगभग 40 प्रतिशत था, लेकिन अभी यह आंकड़ा बदल सकता है।

निर्वाचन आयोग ने बताया कि 12वें संसदीय चुनाव में अपराह्न तीन बजे तक 27.15 फीसदी मतदान दर्ज किया गया। इस चुनाव के बाद से मौजूदा प्रधानमंत्री शेख हसीना की एक फिर से सत्ता में वापसी तय हो गई है।

बांग्लादेश के चुनाव आयोग के प्रवक्ता ने बताया, ”(दक्षिण-पश्चिमी) खुलना प्रभाग में मतदान का प्रतिशत सबसे अधिक रहा, जहां 32 प्रतिशत लोगों ने वोट डाले।

सबसे कम मतदान (उत्तरपूर्वी) सिलहट प्रभाग में हुआ, जहां यह आंकड़ा 22 प्रतिशत था।” वर्ष 2018 के आम चुनाव में कुल मिलाकर 80 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ था। निर्वाचन आयोग के एक प्रवक्ता ने कहा, ”मतदान शाम चार बजे समाप्त हो गया और मतगणना शुरू हो गई है।”

उन्होंने बताया कि नतीजे सोमवार तड़के तक आने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि अनियमितताओं को लेकर सात मतदान केंद्रों पर मतदान स्थगित कर दिया गया है। 

काफी हद तक शांतिपूर्ण रहा चुनाव: बांग्लादेश चुनाव आयोग
प्रवक्ता ने कहा कि हिंसा की कुछ छिटपुट घटनाओं के अलावा, 300 में से 299 निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान काफी हद तक शांतिपूर्ण रहा। एक उम्मीदवार के निधन के कारण एक सीट पर मतदान बाद में कराया जाएगा। खबरों के अनुसार, नरसिंगडी में एक और नारायणगंज में दो मतदान केंद्रों पर मतदान रद्द कर दिया गया।

निर्वाचन आयोग ने नरसिंगडी में चुनावी धांधली के आरोपों पर उद्योग मंत्री नुरुल माजिद महमूद हुमायूं के बेटे को गिरफ्तार करने का आदेश दिया है। खबरों के अनुसार चट्टोग्राम-10 सीट से चुनाव लड़ रहे दो उम्मीदवारों के समर्थकों के बीच झड़प के दौरान गोलियां चलाई गईं।

दो लोगों 24 वर्षीय शांतो बरुआ और 35 वर्षीय जमाल को गोली मार दी गई और उन्हें चट्टोग्राम मेडिकल कॉलेज अस्पताल ले जाया गया। जमालपुर के शरीशाबाड़ी में एक मतदान केंद्र पर अवामी लीग के उम्मीदवार और एक निर्दलीय उम्मीदवार के समर्थकों के बीच झड़प के बाद दो लोग घायल हो गए। 

ढाका के हजारीबाग में एक मतदान केंद्र के पास दो देशी बम विस्फोट होने से एक बच्चा सहित चार लोग घायल हो गए। देश के निर्वाचन आयोग के अनुसार, 42,000 से अधिक मतदान केंद्रों पर मतदान हुआ। चुनाव में 27 राजनीतिक दलों के 1,500 से अधिक उम्मीदवार मैदान में हैं और उनके अलावा 436 निर्दलीय उम्मीदवार भी हैं। भारत के तीन पर्यवेक्षकों समेत 100 से अधिक विदेशी पर्यवेक्षक 12वें आम चुनाव की निगरानी करेंगे।

मतदान के दौरान कानून व व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने के लिए कानून प्रवर्तन एजेंसियों और सुरक्षाबलों के 7.5 लाख से अधिक सदस्य तैनात किए गए हैं। निर्वाचन आयोग ने कहा कि नतीजे आठ जनवरी की सुबह से आने की उम्मीद है। प्रधानमंत्री शेख हसीना ने मतदान शुरू होने के तुरंत बाद ढाका सिटी कॉलेज मतदान केंद्र पर अपना वोट डाला। इस दौरान उनकी बेटी साइमा वाजिद भी उनके साथ थीं। 

सत्ता में वापसी की ओर शेख हसीना
शेख हसीना वर्ष 2009 से सत्ता में हैं और उनकी पार्टी आवामी लीग ने दिसंबर 2018 में पिछला चुनाव भी जीता था। उनके इस एकतरफा चुनाव में लगातार चौथी बार और कुल मिलाकर पांचवीं बार सत्ता में लौटना तय माना जा रहा है। हसीना ने वोट डालने के बाद पत्रकारों से कहा, ”देश में मतदान सुचारू रूप से हो रहा है। मुझे उम्मीद है कि सभी लोग वोट डालने आएंगे और अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे। देश में लोकतांत्रिक प्रवाह बनाए रखें और लोगों के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए काम करें।” उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्षी बीएनपी-जमात-ए-इस्लामी गठबंधन लोकतंत्र में यकीन नहीं रखता है। उन्होंने कहा, ”लोग अपनी इच्छा के अनुसार मतदान करेंगे और हम मतदान का माहौल पैदा कर पाए। हालांकि बीएनपी-जमात गठबंधन ने आगजनी समेत कई घटनाओं को अंजाम दिया।” 

हसीना ने एक सवाल के जवाब में पत्रकारों से कहा कि भारत, बांग्लादेश का ”भरोसेमंद मित्र” है। उन्होंने कहा, ”हम बहुत सौभाग्यशाली हैं…भारत हमारा भरोसेमंद मित्र है। मुक्ति संग्राम (1971) के दौरान, 1975 के बाद उन्होंने न केवल हमारा समर्थन किया जब हमने अपना पूरा परिवार- पिता, मां, भाई, हर कोई (सैन्य तख्तापलट में) खो दिया था और केवल हम दो (हसीना और उनकी छोटी बहन रिहाना) बचे थे…उन्होंने हमें शरण भी दी। इसलिए हम भारत के लोगों को शुभकामनाएं देते हैं।”

सैन्य अधिकारियों ने अगस्त 1975 में शेख मुजीबुर रहमान, उनकी पत्नी और उनके तीन बेटों की उनके घर में ही हत्या कर दी थी। उनकी बेटियां हसीना और रिहाना उस हमले में बच गयी थीं क्योंकि वे विदेश में थीं। यह पूछने पर कि बीएनपी के बहिष्कार के कारण यह चुनाव कितना स्वीकार्य है, इस पर प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी जिम्मेदारी लोगों के प्रति है। उन्होंने कहा, ”मेरे लिए महत्वपूर्ण यह है कि लोग इस चुनाव को स्वीकार करते हैं या नहीं। इसलिए मैं उनकी (विदेशी मीडिया) स्वीकार्यता की परवाह नहीं करती हूं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आतंकवादी दल क्या कहता है या क्या नहीं कहता है।” 

2014 में भी हुआ था चुनाव का बहिष्कार
बीएनपी ने 2014 के चुनाव का बहिष्कार किया था लेकिन 2018 के चुनाव में भाग लिया था। प्रधानमंत्री हसीना की सत्तारूढ़ आवामी लीग के लगातार चौथी बार जीतने की उम्मीद है क्योंकि पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया (78) की पार्टी बीएनपी ने चुनाव का बहिष्कार किया है।

खालिदा भ्रष्टाचार के आरोपों में दोषी ठहराए जाने के बाद घर में नजरबंद हैं। देश में जो 27 राजनीतिक दल चुनाव लड़ रहे हैं उनमें विपक्षी जातीय पार्टी भी शामिल है। बाकी सत्तारूढ़ अवामी लीग की अगुवाई वाले गठबंधन के सदस्य हैं जिसे विशेषज्ञों ने ”चुनावी गुट” का घटक सदस्य बताया है।

मुख्य विपक्षी दल ने चुनाव का बहिष्कार करते हुए छह जनवरी को सुबह छह बजे से आठ जनवरी सुबह छह बजे तक 48 घंटे की देशव्यापी आम हड़ताल का आह्वान किया है।

पार्टी का दावा है कि मौजूदा सरकार के रहते कोई भी चुनाव निष्पक्ष और विश्वसनीय नहीं होगा। बीएनपी के प्रवक्ता रुहुल कबीर रिजवी ने बंद की घोषणा करते हुए कहा कि इसका उद्देश्य ”इस अवैध सरकार के इस्तीफे, एक तटस्थ सरकार के गठन और सभी पार्टी नेताओं तथा कार्यकर्ताओं को जेल से रिहा करने की मांग करना है।” 

गृह मंत्री असदुज्जमां खान ने रविवार को कहा कि बीएनपी ने संसदीय चुनाव में भाग नहीं लिया क्योंकि उसे पता था कि वह हार जाएगी। ‘ढाका ट्रिब्यून’ अखबार ने सत्तारूढ़ अवामी लीग के वरिष्ठ नेता खान के हवाले से एक खबर में कहा, ”बीएनपी ने विभिन्न मांगों के साथ चुनाव का बहिष्कार करने की रणनीति अपनाई है। इसने 2018 के चुनाव में भाग लिया और कुछ संसदीय सीट हासिल की थी, लेकिन इसने इसलिए चुनावों का बहिष्कार किया क्योंकि उन्हें पता था कि वह हार जायेगी।”

चुनाव के मद्देनजर हसीना सरकार ने हजारों विरोधी नेताओं और समर्थकों को गिरफ्तार किया है। मानवाधिकार समूहों ने इस कदम की निंदा कर इसे विपक्ष को पंगु करने का प्रयास बताया।

देश में 15 अन्य राजनीतिक दल भी चुनाव का बहिष्कार कर रहे हैं। ‘द डेली स्टार’ अखबार ने धानमंडी निवासी मोहम्मद मुनीर हसन के हवाले से कहा, ”मतदान केंद्रों पर जाने का क्या फायदा है जब चुनाव महज एक ही पार्टी के दो समूहों के बीच है। हम सभी जानते हैं कि अंत में आवामी लीग इस दौड़ को जीत लेगी।” शनिवार को बांग्लादेश के कम से कम 14 मतदान केंद्रों पर आगजनी की गई जिनमें से एक मतदान केंद्र राजधानी ढाका के बाहरी इलाके में स्थित है। 

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